जेएनयू के निष्कासित छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति
दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोप में निष्कासित 9 जेएनयू छात्रों को परीक्षा देने की अनुमति दी है। न्यायालय ने जेएनयू को निर्देश दिया है कि छात्रों के खिलाफ 28 मई तक कोई सख्त कार्रवाई न की जाए।...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। यौन उत्पीड़न के आरोप में निष्कासित जवाहर लाल विश्वविद्यालय (जेएनयू) के 9 छात्रों को हाईकोर्ट ने परीक्षा देने की अनुमति दे दी है। जेएनयू में बुधवार से परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। न्यायमूर्ति विकास महाजन की पीठ ने जेएनयू को कहा है कि वह 28 मई तक छात्रों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई न करे। उन्हें जबरन छात्रावास खाली करने के लिए बाध्य न किया जाए। पीठ ने इस मामले में अगली सुनवाई 28 मई को तय की है। पीठ ने आदेश में कहा है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन उचित नहीं है। छात्रों पर अभी आरोप है।
उन्हें परीक्षा देने से वंचित नहीं किया जा सकता। इन छात्रों को जेएनयू प्रशासन पांच मई को अलग-अलग आदेश पारित कर दो सेमेस्टर के लिए निष्कासित कर दिया था। साथ ही इन छात्रों को छात्रावास खाली करने के आदेश दिए थे। जेएनयू प्रशासन के इस आदेश को छात्रों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया कि राहत याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई विशेष अधिकार नहीं बनाएगी। पीठ के निर्देश मामले के परिणाम के अधीन हैं। कोर्ट ने इस मामले में जेएनयू प्रशासन को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। यह था मामला सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोशल सिस्टम्स (सीएसएसएस) की 47 छात्राओं ने जेएनयू की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) में 22 अक्तूबर 2024 को विश्वविद्यालय कन्वेंशन सेंटर में सीएसएसएस फ्रेशर्स पार्टी के दौरान यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। इस मामले में जेएनयू प्रशासन ने छात्रों को दो सेमेस्टर के लिए विश्वविद्यालय से निष्कासित करते हुए दस-दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
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