न्यायाधीशों की भारी कमी के कारण अनसुने रह जाते हैं मामलेः दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बढ़ती जनसंख्या और मुकदमों की संख्या के अनुपात में 'जजों की भारी कमी' पर चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा कि मामलों की अधिकता के कारण समय पर अपीलों का निपटारा नहीं हो पाता है। एक...

नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में बढ़ती आबादी और मुकदमों की संख्या के अनुपात में 'जजों की भारी कमी' पर गहरी चिंता जताई है। न्यायालय ने कहा कि मामलों की अधिकता के चलते समय पर अपीलों का निपटारा संभव नहीं हो पाता है। कई बार कुछ मामले बिना सुने ही रह जाते हैं, जो न्यायाधीशों के लिए 'बेहद पीड़ादायक' होता है। यह टिप्पणी उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी और जालसाजी के दोषी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। याचिकाकर्ता ने सामाजिक संबंधों और व्यापारिक विकास के उद्देश्य से कजाकिस्तान और जार्जिया में रोटरी क्लब की सभा में शामिल होने के लिए विदेश यात्रा की अनुमति मांगी थी।
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शर्त के साथ न्यायालय ने दी विदेश यात्रा की अनुमति
न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ ने कहा कि जब अदालत काफी संख्या में लंबित मामलों के कारण अपीलों का समयबद्ध निपटारा नहीं कर पा रही है, तब सीमित हद तक अवकाश यात्राओं के अधिकार को भी अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। न्यायालय ने व्यक्ति को पांच लाख रुपये के व्यक्तिगत बान्ड और इतनी ही राशिल के एक जमानती की शर्त के साथ एक से 11 मई तक विदेश यात्रा की अनुमति दी है।
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