वैक्सीनेशन में गिरावट से दुनियाभर में फिर पनप रहीं पुरानी बीमारियां
- डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ और गावी ने दी चेतावनी - गंभीर फंडिंग संकट में फंसा

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बयान
वैक्सीन सिर्फ बीमारियों से नहीं, बल्कि भविष्य के संकटों से भी बचाती है। आज जो निवेश हम वैक्सीनेशन में करेंगे, वही आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा की नींव बनेगा।
– डॉ. टेड्रोस, महानिदेशक, डब्ल्यूएचओ
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नंबर गेम
42 लाख लोगों की जिंदगी हर साल वैक्सीन से विश्व में बचती हैं
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न्यूयॉर्क, एजेंसी।
वैक्सीनेशन में गिरावट से दुनियाभर में फिर से पुरानी बीमारियां पनपने लगी हैं। ये वो बीमारियां हैं जिन्हें वैक्सीन के जरिए नियंत्रित किया जा रहा था। इन बीमारियों में खसरा, मैनिंजाइटिस, डिप्थीरिया और येलो फीवर शामिल हैं। इसके पनपने का मुख्य कारण वैक्सीनेशन अभियान में हो रहे कम फंड को माना जा रहा है। विश्व टीकाकरण सप्ताह के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), यूनिसेफ (यूनीसेफ) और वैश्विक वैक्सीन संस्था गावी ने रिपोर्ट जारी कर इसका खुलासा किया।
1.45 करोड़ बच्चों को नहीं लगी एक भी वैक्सीन
2023 में दुनियाभर में लगभग 1.45 करोड़ बच्चे एक भी टीका नहीं लगवा पाए। इनमें से अधिकांश बच्चे संघर्ष या अस्थिरता से प्रभावित देशों में रहते हैं।
50 से अधिक देशों में अभियान हो रहा बाधित
डब्ल्यूएचओ, यूनीसेफ और गावी ने अपील की है कि वैक्सीनेशन कार्यक्रमों को तुरंत फंडिंग दी जाए। 25 जून को गावी फंडिंग समिट में 9 बिलियन डॉलर जुटाने का लक्ष्य है। इससे 2026 से 2030 तक 50 करोड़ बच्चों को वैक्सीन लगाकर 80 लाख जिंदगी बचाने की कोशिश रहेगी। 50 से अधिक देशों में वैक्सीनेशन अभियान बाधित हो रहा है।
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भारत में वैक्सीनेशन को लेकर स्थिति
भारत ने वैक्सीनेशन में प्रगति की है। भारत का वैक्सीनेशन अभियान 2023-24 में 93.23 फीसदी तक पहुंच गया। मिशन इंद्रधनुष के तहत देश में 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का वैक्सीनेशन किया गया है। 2023 में भारत में 65,150 खसरे के मामले दर्ज हुए जिससे यह विश्व में यमन के बाद दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बना। डब्ल्यूएचओ और सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में दुनियाभर में खसरे के मामलों में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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वैक्सीनेशन अभियान में गिरावट के कारण
- कोविड-19 महामारी के दौरान और उसके बाद वैक्सीनेशन प्रभावित हआ।
- भ्रामक सूचनाओं और अफवाहों ने लोगों के मन में डर पैदा किया है।
- युद्धग्रस्त और संकटग्रस्त इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हुईं।
- अंतरराष्ट्रीय फंडिंग में कटौती के कारण वैक्सीनेशन अभियानों पर असर पड़ा।
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