ब्यूरो-- भारतीय नौसेना को 2030 तक मिलेंगे 26 राफेल लड़ाकू विमान
क्रॉसर - भारत- फ्रांस की सरकारों के बीच करार - 2028 से शुरू होगी विमानों

क्रॉसर - भारत- फ्रांस की सरकारों के बीच करार
- 2028 से शुरू होगी विमानों की आपूर्ति
नंबर गेम
- 63 हजार करोड़ रुपये का ये सौदा हुआ है
- 62 राफेल सैन्य बेड़े में 2030 तक होंगे
विमान की विशेषता
- आईएनएस विक्रांत पर तैनात होगा राफेल
- समुद्र में बढ़ेगी नौसेना की मारक क्षमता
- 22 लड़ाकू विमान एक सीट वाले होंगे
- 02 लड़ाकू विमान दो सीट वाले होंगे
- हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र एमके-1 मिसाइल लगेगी
- 1912 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ान
- 4700 किलोग्राम इसकी कुल ईंधन क्षमता है
- 9500 किलोग्राम अतिरिकत ईंधन के साथ उड़ान
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारत और फ्रांस ने भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सोमवार को एक अन्तर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इसके तहत फ्रांस 2028 से भारत को राफेल विमानों की आपूर्ति शुरू करेगा। वर्ष 2030 तक सभी 26 विमान भारत को मिल जाएंगे। करार पूरा होने के बाद वर्ष 2030 तक भारतीय सेना के बेड़े में कुल 62 राफेल विमान होंगे।
दिल्ली स्थित नौसेना भवन में आयोजित एक समारोह में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में भारत और फ्रांस के अधिकारियों ने समझौते पर हस्ताक्षर किया। बाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस के सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकार्नू ने अपने-अपने कार्यालय में समझौते की फाइल पर हस्ताक्षर किए। सूत्रों ने अनुसार राफेल विमानों को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत में तैनात किया जाएगा। इन विमानों के मिलने से समुद्र में नौसेना की मारक क्षमता बढ़ेगी। अभी तक नौसेना के पास मिग- 29के लड़ाकू विमान हैं। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि 22 राफेल विमान (नौसेना संस्करण) एक सीट वाले होंगे जबकि 4 विमान दो सीट वाले होंगे जो मूलत प्रशिक्षण के लिए होते हैं। यह सौदा करीब 63 हजार करोड़ रुपये का है जिसमें प्रशिक्षण का खर्च, सिम्युलेटर, संबंधित उपकरण, हथियार और उससे संबंधित रक्षा सामग्री भी शामिल है। विमानों में हवा से हवा में मार करने वाली अस्त्र एमके-1 मिसाइल भी फिट की जाएगी। यह जिम्मा भारतीय एजेंसी को सौंपा जाएगा। इसके अलावा वायुसेना के मौजूदा राफेल बेड़े के लिए अतिरिक्त उपकरणों की आपूर्ति भी इस करार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
मंत्रालय के अनुसार समझौते में स्वदेशी हथियारों के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को भी समझौते में शामिल किया गया है। इसमें राफेल विमान के मुख्य-भाग (फ्यूज़लेज) उत्पादन सुविधा शुरू करने के साथ-साथ भारत में विमान इंजन, सेंसर और हथियारों के लिए रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधाएं भी शामिल हैं। इस सौदे से इन सुविधाओं के भारत में शुरू होने से उत्पादन और संचालन में काफी संख्या में लघु एवं मध्यम उद्योगों में हजारों नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में यह कदम महत्वपूर्ण है।
फ्रांस में होगा प्रशिक्षण
फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल-मरीन एक लड़ाकू विमान है जो समुद्री क्षेत्र में पूर्ण रूप से संचालन में सक्षम है। नौसेना के चालक दल को फ्रांस और भारत में प्रशिक्षण दिया जाएगा। राफेल खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय वायुसेना दोनों के लिए विमान के लिए प्रशिक्षण और रक्षा सामग्री को अनुकूलित करने के साथ-साथ संयुक्त परिचालन क्षमता में भी काफी वृद्धि होगी। राफेल-मरीन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों की मारक क्षमता में काफी बढोत्तरी होगी।
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