वायुसेना के लिए 114 लड़ाकू विमानों के प्रस्ताव को मंजूरी जल्द
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। वायुसेना के लिए 114 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की खरीद का प्रस्ताव जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। वायुसेना...

मदन जैड़ा नई दिल्ली। भारत ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने में जुट गया है। इसके तहत लंबित रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि इनमें सबसे महत्वपूर्ण वायुसेना के लिए 114 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की खरीद के प्रस्ताव को जल्द अंतिम रूप दिया जा सकता है। यह प्रस्ताव 2018 से लंबित है। सूत्रों के अनुसार, वायुसेना के बेड़े में इस समय करीब 200 विमानों की कमी है। वायुसेना के लिए लड़ाकू विमानों की कुल 42 स्वाड्रन स्वीकृत हैं लेकिन उसके पास अभी 31 स्वाड्रन ही हैं।
एक स्वाड्रन में 18 लड़ाकू विमान होते हैं। इस प्रकार 198 विमानों की कमी है। दूसरे, बहुत सारे सुखोई विमान कलपुर्जों की कमी के चलते सेवा के योग्य नहीं रह गए हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पुर्जों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। रक्षा मंत्रालय इन्हें देश में ही तैयार करने की कोशिशों में जुटा है। वायुसेना प्रमुख ने हाल में कहा था कि हर साल 35-40 विमान वायुसेना के बेड़े में जोड़े जाने की जरूरत है। लेकिन अभी सिर्फ देश में निर्मित 83 तेजस विमानों की ही खरीद का करार हुआ है। पर, जीई इंजनों की आपूर्ति में विलंब के कारण इन विमानों की आपूर्ति 2030 से पहले होने की संभावना नहीं है। इस बीच बड़ी संख्या में मिग, जगुआर और मिराज विमान सेवा से हट सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि 114 लड़ाकू विमान की खरीद के प्रस्ताव पर काफी हद तक काम हो चुका है। रक्षा सचिव की अध्यक्षता में बनी समिति ने भी कुछ समय पूर्व तत्काल विमानों की खरीद की जरूरत बताई थी। अब सरकार को सिर्फ यह निर्णय लेना है कि किस देश की किस कंपनी से कौन सा विमान खरीदना है। कई देश भारत को अपने लड़ाकू विमान बेचने को तैयार हैं। इनमें अमेरिका एफ-35, रूस एसयू-57, स्वीडन ग्रिपेन ई, फ्रांस राफेल और यूरोफाइटर देने को तैयार है। ये सभी विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं तथा भारतीय वायुसेना के जरूरत के हिसाब से उपयुक्त भी हैं। - रक्षा बजट में अतिरिक्त आवंटन सूत्रों ने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो केंद्र सरकार रक्षा खरीद के लिए अतिरिक्त बजट का भी आवंटन कर सकती है। सरकार की पहले से यह नीति रही है कि रक्षा आधुनिकीकरण के लिए यदि आवंटित बजट कम पड़ता है तो वित्त मंत्रालय से अलग से मांग की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष के दौरान रक्षा क्षेत्र के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसमें से 1.72 लाख करोड़ रुपये सिर्फ रक्षा आधुनिकीकरण के लिए रखे गए हैं।
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