Jamiat Ulama-e-Hind Challenges Waqf Amendment Act 2025 in Supreme Court जमीअत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, Delhi Hindi News - Hindustan
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जमीअत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून भारत के संविधान के कई...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 11 April 2025 05:31 PM
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जमीअत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन अधिनियम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

- 13 अप्रैल को जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी की बैठक में आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा। नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद महमूद असद मदनी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के विरुद्ध सप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। ज्ञात हो कि यह कानून 8 अप्रैल 2025 से प्रभावी है। याचिका में जमीअत द्वारा पक्ष रखते हुए कहा गया है कि इस कानून में एक नहीं बल्कि भारत के संविधान के कई अनुच्छेदों, विशेष रूप से अनुच्छेद 14, 15, 21, 25, 26, 29 और 300-ए के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन किया गया है, जो मुसलमानों के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों और पहचान के लिए गंभीर खतरा है।

मौलाना मदनी ने कहा कि यह कानून न केवल असंवैधानिक है बल्कि बहुसंख्यक मानसिकता की उपज है, जिसका उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के सदियों पुराने धार्मिक और कल्याणकारी ढांचे को नष्ट करना है। यह कानून सुधारात्मक पहल के नाम पर भेदभाव और देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान के लिए खतरा है। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को असंवैधानिक घोषित करे और इसके क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाए।

जमीअत उलमा-ए-हिंद के कानूनी मामलों के संरक्षक मौलाना और एडवोकेट नियाज अहमद फारूकी ने बताया कि जमीअत उलमा-ए-हिंद ने प्रमुख वरिष्ठ वकीलों की सेवाएं भी ली हैं।

मौलाना मदनी ने अपनी याचिका में यह पक्ष रखा है कि इस अधिनियम द्वारा देश भर में वक्फ संपत्तियों की परिभाषा, संचालन और प्रबंधन प्रणाली में बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया गया है, जो इस्लामी धार्मिक परंपराओं और न्यायिक सिद्धांतों के विपरीत है। याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन दुर्भावना पर आधारित हैं जो वक्फ संस्थाओं को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए हैं।

सी विषय पर आगामी 13 अप्रैल 2025 (रविवार) को जमीअत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारी समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक नई दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित जमीअत के मुख्यालय में आयोजित होने जा रही है। इसमें वक्फ संशोधन अधिनियम का कानूनी और संवैधानिक दायरे में किस तरह का कदम उठाया जाए, इस पर विचार-मंथन किया जाएगा और महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।

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