Supreme Court Considers Petition Against 50 Lakh Limit for SMA Treatment Aid दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता की सीमा 50 लाख तय करने खिलाफ याचिका पर होगी सुनवाई, Delhi Hindi News - Hindustan
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दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता की सीमा 50 लाख तय करने खिलाफ याचिका पर होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) से पीड़ित मरीजों के लिए केंद्र सरकार की सहायता की सीमा 50 लाख रुपये तय करने के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति दी। न्यायालय ने कहा कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 8 April 2025 08:37 PM
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दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए सरकारी सहायता की सीमा 50 लाख तय करने खिलाफ याचिका पर होगी सुनवाई

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी (एसएमए) जैसी दुर्लभ व अनुवांशिक बीमारियों से पीड़ित मरीजों के इलाज के लिए केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता की सीमा 50 लाख रुपये की तय किए जाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करने की सहमति दे दी है।

मुख्य न्यायशधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा है कि इन याचिकाओं पर जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा की अगुवाई वाली पीठ 13 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई करेगी। पीठ ने कहा है कि एसएमए की दवा रिस्डिप्लाम बनाने वाली दवा कंपनी मेसर्स एफ हॉफमैन-ला रोश लिमिटेड ने इस बीमारी से पीड़ित केरल की 24 साल की सबा पीए को एक साल के लिए मुफ्त में दवा देने पर सहमति व्यक्त की है। इस दवा की कीमत 6.2 लाख रुपये प्रति शीशी है। इस मुद्दे पर सबा की ओर से पहले केरल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। उच्च न्यायालय ने उसकी याचिका पर विचार करते हुए केंद्र सरकार को यह आदेश दिया था कि वह सबा को 50 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के अलावा 18 लाख रुपये की अतिरिक्त दवाइयां मुहैया कराने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 24 फरवरी को केंद्र सरकार की अपील पर विचार करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। सरकार ने अपील में कहा है कि मरीज की मदद के लिए तय की गई 50 लाख रुपये की तय सीमा से अधिक रकम खर्च करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। इस मामले में पीठ ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

पिछली सुनवाई पर इस दलील पर गौर किया कि एसएमए से पीड़ित मरीजों के इलाज की लागत 26 करोड़ रुपये तक हो सकती है और रिस्डिप्लाम पाकिस्तान और चीन में काफी सस्ती दरों पर बेची जा रही है। साथ ही पीठ ने दवा बनाने वाली कंपनियों से यह बताने के लिए कहा था कि क्या वह भारत में भी इसकी कीमत कम कर सकता है। पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान भारत में कीमत के बारे में दवा बनाने वाली कंपनी की ओर से सीलबंद लिफाफे का दाखिल जवाब पर गौर किया और कहा कि रिस्डिप्लाम की कीमत पर कंपनी के साथ राष्ट्रीय दुर्लभ रोग समिति ने बातचीत की थी। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि अब स्थिति यह है कि भारत में कीमत काफी कम है। हम सरकार को यह नहीं बता सकते कि उसे क्या करना चाहिए। इसके अंतरराष्ट्रीय नतीजे होंगे।

मरीज सबा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने पीठ के समक्ष दोहराया कि पड़ोसी देशों में दवा की कीमत बहुत कम है। उन्होंने पूछा कि भारत में इसकी कीमत 7,200 अमेरिकी डॉलर है, चीन में 545 अमेरिकी डॉलर है और पाकिस्तान में भी यह कम है। इसे इस स्तर तक क्यों नहीं लाया जा सकता? इस पर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा नहीं किया जा सकता। मैं यह कह रहा हूं कि इसके विपरीत भी विचार हैं। हमने अभी तक अपना मन स्पष्ट नहीं किया है।

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