सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो के दोषी को जेल की सजा से राहत दी
सुप्रीम कोर्ट ने पॉक्सो अधिनियम के तहत एक दोषी को राहत दी, जिसने पीड़िता से शादी की थी। कोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक न्याय की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया। पश्चिम बंगाल में 2018 में हुई इस घटना में, 14...

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पॉक्सो अधिनियम के तहत एक दोषी को जेल की सजा से राहत दे दी, जिसने पीड़िता से शादी की थी। अदालत ने व्यवस्थागत विफलताओं और किशोरी और उसके बच्चे के लिए न्याय सुनिश्चित करने की जरूरत का हवाला देते हुए यह राहत दी। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत अपने फैसले में कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक न्याय की गारंटी दी है। इस मामले में, पीड़िता को सामाजिक और आर्थिक न्याय दोनों प्रदान करने में विफलता है। मामले के तथ्य कल्याणकारी राज्य की अवधारणा की विफलता को इंगित करते हैं।
इस मामले में स्थिति को सुधारने के लिए, राज्य सरकार का दायित्व है कि वह पीड़िता और उसके बच्चे के सच्चे अभिभावक के रूप में कार्य करे और सुनिश्चित करे कि वे जीवन में स्थिर हो जाएं। यह मामला पश्चिम बंगाल में 2018 की एक घटना से उत्पन्न हुआ, जहां एक 14 वर्षीय लड़की 25 वर्षीय युवक के साथ रहने के लिए अपना घर छोड़ दिया। बाद में युवक एक बच्चे का पिता बना। अदालत ने युवक को पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था। हालांकि, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सहमति की प्रकृति का हवाला देते हुए विवादास्पद रूप से दोषसिद्धि को पलट दिया। शीर्ष अदालत ने स्वयं और पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर अगस्त 2024 में हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। हालांकि, इसने पीड़िता और उसके बच्चे की भलाई के बारे में आगे की जांच तक सजा को स्थगित कर दिया।
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