तहव्वुर राणा:: राणा को होनी चाहिए मौत की सजा: पूर्व गृह सचिव
तहव्वुर राणा, मुंबई हमले का साजिशकर्ता, को भारत लाए जाने से न्याय मिलने की उम्मीद है। पूर्व गृह सचिवों ने कहा है कि राणा को कड़ी सजा दी जानी चाहिए। एनआईए के अधिकारी आशीष बत्रा और जया रॉय ने इस...

नई दिल्ली, एजेंसी। मुंबई हमले का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अपने किए के लिए दोषी करार होगा और संभव है कि उसे मौत की सजा भी हो। पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्णन पिल्लई ने गुरुवार को ये बात कही। पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने कहा कि राणा मुंबई हमले का सूत्राधार डेविड कोलमैन हेडली का सहयोगी है। दोनों को पूरी साजिश के बारे में अच्छे से पता है। 26 नवंबर 2008 को जो कुछ भी हुआ उसकी हर बात ये दोनों जानते थे। एनआईए की जांच में दोनों की भूमिका स्पष्ट हो चुकी है और पाकिस्तान बेनकाब हो चुका है। भारत ने इस हमले में शामिल कुछ पाकिस्तानियों के लिए भी वारंट जारी किया लेकिन पाकिस्तान ने उसपर कोई कार्रवाई नहीं की न ही उन लोगों को भारत को सौंपा।
कोट-- कमेंट....
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भारत पर बुरी नजर रखने वालों पर लगातार नकेल कसी जा रही है। भाजपा सरकार में आतंक अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। भारत के खिलाफ कदम उठाने वालों पर कड़ी कार्रवाई हो रही है।
नित्यानंद राय, गृह राज्य मंत्री
राणा का भारत प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी कामयाबी है। जहां उसने आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया अब वहीं उसे सजा मिलेगी। राणा से पूछताछ में जांच एजेंसियों को कुछ नई जानकारी भी मिलेगी। पीड़ितों को न्याय मिलेगा।
आरके सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
मुंबई हमले का सूत्राधार राणा के खिलाफ भारतीय एजेंसियों के पास पर्याप्त सबूत हैं। अदालत में उसे दोषी ठहराना जाना तय है। राणा को भारतीय कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए क्योंकि वो सैकड़ों लोगों की मौत का गुनहगार है।
जीके पिल्लई, पूर्व गृह सचिव
तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण से मुंबई हमले के पीड़ितों को न्याय मिलने की घड़ी करीब है। प्रत्यर्पण से हमले के और राज खुलेंगे और उम्मीद है कि जो नए नाम सामने आएंगे उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होगी।
सुशील कुमार शिंदे, नेता, काग्रेस
राणा से पूछताछ के जरिए जांच एजेंसियां पाकिस्तान को बेनकाब करने में अहम भूमिका निभाएंगी। मुंबई हमले के पीछे पाकिस्तान की क्या भूमिका थी ये पाकिस्तान और पूरी दुनिया को जल्द पता चल जाएगा।
जयंत पाटिल, नेता, एनसीपी, शरद पवार
मुंबई हमले में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारीजनों को जल्द न्याय मिलेगा। राणा से पूछताछ में कुछ और तथ्य सामने आएंगे जिससे आतंक के दूसरे साजिशकर्ता भी बेनकाब होंगे।
प्रियंका चतुर्वेदी, नेता, शिवसेना उद्धव गुट
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उम्मीद::
1.पाक में बैठे आतंक के आका होंगे बेनकाब
मुंबई हमले की पीड़ित 25 वर्षीय देविका रोटावन ने कहा है कि राणा के भारत आने से पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका बेनकाब होंगे। हमले की मुख्य गवाह देविका ने ही जीवित पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब की पहचान की थी। देविका ने कसाब को छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोली बरसाते हुए देखा था। इस दौरान उन्हें भी एक गोली पैर में लगी थी। उन्होंने कहा कि ये भारत सरकार की बड़ी जीत है। आंतक के अंत की ये शुरुआत है। मालूम हो कि देविका ने 10 जून 2009 को अदालत में कसाब की पहचान की थी।
2.राणा को बिरयानी न परोसी जाए
मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर चाय बेचने वाले मो. तौफीक ने भारत सरकार से विनती की है कि राणा को आतंकी कसाब की तरह विशेष सुविधा और खाने में बिरयानी नहीं दी जाए। हमले में मारे गए लोगों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए उसे मौत की सजा दी जाए। ‘तौफीक स्टेशन पर छोटृ चाय वाले के नाम से दुकान चलाते हैं। वे बताते हैं कि उस दिन मैंने लोगों को तड़प-तड़प कर मरते देखा था। मैं बस यही चाहता हूं कि इस घटना की साजिश रचने वाला भी इसी तरह तड़प-तड़प कर मरे।
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हेडिंग: प्रत्यर्पण में एनआईए के दो अफसरों की अहम भूमिका
नई दिल्ली, एजेंसी। मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण में राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के दो अधिकारियों की भूमिका अहम है। ये दो नाम आशीष बत्रा और जया रॉय हैं जिन्होंने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया का नेतृत्व किया है। तो आइए जानते हैं कौन हैं ये दोनों अधिकारी और इनकी भूमिका क्या थी।
1.आशीष बत्रा: उग्रवाह विरोधी यूनिट का नेतृत्व किया
भारतीय पुलिस सेवा के 1997 बैच के झारखंड कैडर के अधिकार हैं। फिलहाल एनआईए में आईजी के पद पर तैनात हैं। एनआईए में आने से पहले बत्रा झारखंड की उग्रवाद विरोधी यूनिट झारखंड जगुआर के आईजी थे। आशीष बत्रा को कई बड़े ऑपरेशन चलाने का अनुभव है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में पांच साल के लिए एनआईए में तैनाती मिली थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 15 सितंबर 2024 को इनका कार्यकाल दो साल के लिए बढ़ाया दिया था। ये जहानाबद में तीन महीने एसपी के पद पर भी रहे। हजारीबाग और कोयल कारो के एसपी भी रह चुके हैं। रांची में एसपी सिटी भी रहे हैं। राज्यपाल की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। ये झारखंड पुलिस के प्रवक्ता की भी भूमिका निभा चुके हैं।
2.जमताड़ा में साइबर अपराधियों का भंडाफोड़ किया
जया रॉय भी भारतीय पुलिस सेवा की 2011 बैच की झारखंड कैडर की अधिकारी हैं। वर्ष 2019 में चार साल के लिए पुलिस अधीक्षक के रूप में एनआईए में तैनाती हुई थीं। जमताड़ा में साइबर अपराधियों का भंडाफोड़ इन्हीं के नेतृत्व में हुआ था।
जया रॉय के पूरे ऑपरेशन पर जमताड़ा नाम से वेब सीरिज भी बन चुकी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इनका भी कार्यकाल बढ़ाया था। कहा जाता है कि जया रॉय रणनीति बनाने में माहिर हैं और अपराधियों को उन्हीं की बुने जाल में फंसाने में महारथ हासिल है। जमताड़ा में साइबर अपराधियों का धंधा बंद करने के लिए इन्होंने कई महीने तक मेहनत की थी । विशेष टीम के जरिए इन्होंने जालसाजी के धंधे को उजागर किया था।
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