ऑपरेशन सिंदूर : आतंक के ये अड्डे किए जमींदोज
पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों की जानकारी दी गई है। इन केंद्रों में आतंकवादियों को हथियारों की ट्रेनिंग, धार्मिक शिक्षा और भारत के खिलाफ अभियान की योजना...

1. मरकजज सुभान अल्लाह, बहावलपुर (अंतरराष्ट्रीय सीमा से 100 किलोमीटर) 2015 से संचालित, यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य प्रशिक्षण और ब्रेनवाशिंग केंद्र था। यह जैश का संचालन मुख्यालय भी रहा है और 14 फरवरी 2019 के पुलवामा हमले सहित कई अभियानों की योजना से जुड़ा हुआ था। इस परिसर में जैश प्रमुख मौलाना मसूद अजहर, वास्तविक प्रमुख मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगढ़, मौलाना अम्मार और अन्य परिवारिक सदस्यों के घर भी शामिल थे। मसूद अजहर ने यहां से कई बार भारत विरोधी भाषण दिए थे। इस स्थान पर जैश नियमित रूप से हथियारों का प्रशिक्षण, शारीरिक अभ्यास और धार्मिक शिक्षा देता था। 2. मरकजज तैयबा, मुरीदके (30 किलोमीटर सीमा से) 2000 में नंगल सधान, मुरिदके में स्थापित मरकज तैयबा लश्कर-ए-तैयबा का मुख्य प्रशिक्षण केंद्र था।
यह केंद्र पाकिस्तान और पाकिस्तान के बाहर से आने वाले युवाओं को हथियारों की ट्रेनिंग देता था। ऐसी रिपोर्ट हैं कि ओसामा बिन लादेन ने इस परिसर में एक मस्जिद और गेस्टहाउस के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता दी थी। इस केंद्र में 26/11 मुंबई हमले के हमलावरों, जिनमें अजमल कसाब भी शामिल था को प्रशिक्षित किया गया था और यह डेविड हेडली व तहव्वुर राणा जैसे साजिशकर्ताओं की मेजबानी भी कर चुका है। 3. सरजाल/तेहरा कलां (भारतीय सीमा से 8 किलोमीटर) यह जैश-ए-मोहम्मद की एक लॉन्चिंग सुविधा थी, जो तहसील नारोवाल में स्थित था। यह केंद्र तहरा कलां गांव के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से संचालित होता था। जम्मू-कश्मीर के सांबा सेक्टर के पास अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्थल सुरंग निर्माण, ड्रोन गतिविधियों और हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी के लिए उपयोग किया जाता था। इस स्थान पर जैश के वरिष्ठ नेता जैसे मोहम्मद अदनान अली और काशिफ जान नियमित रूप से आते थे। इसकी निगरानी मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगढ़ द्वारा की जाती थी। 4. भुट्टा कोटली, हेड मराला यह हिजबुल मुजाहिदीन की एक सुविधा थी, जो जिला सियालकोट के हेड मराला क्षेत्र में स्थित भुट्टा कोटली के सरकारी बेसिक हेल्थ यूनिट परिसर में संचालित होती था। इसका उपयोग जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ के लिए किया जाता था। यहां आतंकवादियों को हथियार चलाने और आतंकी रणनीतियों की ट्रेनिंग दी जाती थी। इस केंद्र की कमान मोहम्मद इरफान खान के हाथ में थी, जिनका नाम जम्मू क्षेत्र में कई आतंकी हमलों से जुड़ा हुआ है। 5. मरकज अहले हदीस बरनाला ( एलओसी से 10 किलोमीटर) यह लश्कर-ए-तैयबा की एक प्रमुख सुविधा था, जो पुंछ–राजौरी–रेसी सेक्टर में आतंकवादियों और हथियारों की घुसपैठ के लिए उपयोग की जाती थी। यह केंद्र 100 से 150 आतंकवादियों को ठहराने की क्षमता रखता था और अभियान संचालन के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता था। इस स्थान से कासिम, क़ासिम खांडा और अनस जर्रार जैसे लश्कर के सक्रिय आतंकी संचालित होते थे, जिनकी निगरानी वरिष्ठ कमांडरों द्वारा की जाती थी। 6. मरकज अब्बास, कोटली (एलओसी से 15 किलोमीटर) जैश-ए-मोहम्मद का यह मरकज सैयदना हजरत अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब के नाम से भी जानी जाता था। यह केंद्र 100 से 125 आतंकवादियों को रखने की क्षमता रखता था और पुंछ–राजौरी सेक्टर में घुसपैठ अभियानों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए एक प्रमुख ठिकाने के रूप में कार्य करता था। 7. मस्कर राहील शाहिद, कोटली यह हिजबुल मुजाहिदीन की एक प्रमुख अड्डा था। 150–200 आतंकवादियों को रखने की क्षमता रखता था। यह कैंप हथियारों के उपयोग, स्नाइपिंग, बॉर्डर एक्शन टीम अभियानों और पहाड़ी क्षेत्रों में जीवित रहने की विशेष ट्रेनिंग प्रदान करता था। यह हिज्बुल के सबसे पुराने और सक्रिय संचालन केंद्रों में से एक था। 8. मुजफ्फराबाद में शावई नाला कैम यह लश्कर-ए-तैयबा का कैंप बैत-उल-मुजाहिदीन के नाम से जाना जाता था और 2000 के दशक की शुरुआत से सक्रिय था। यह केंद्र भर्ती किए गए आतंकवादियों को धार्मिक ब्रेनवाशिंग, शारीरिक प्रशिक्षण, जीपीएस के उपयोग और हथियारों की ट्रेनिंग देता था। यही वह प्रशिक्षण स्थल है जहां 26/11 मुंबई हमलों के आतंकी प्रशिक्षित हुए। 9. मरकज सैयदना बिलाल जैश का प्रमुख केंद्र था। यह कैंप आतंकवादियों के लिए एक ट्रांजिट सेंटर के रूप में कार्य करता था जहां से उन्हें जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ के लिए रवाना किया जाता है। यह स्थान भारत के भगोड़े आतंकी आशिक नेंगरू और जैश कमांडर अब्दुल्ला जिहादी द्वारा भी उपयोग किया जाता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विसेज ग्रुप (एसएसजी) कमांडो द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता था जिसमें सीमा पार करने की रणनीति और विशेष अभियानों की ट्रेनिंग शामिल होती है। - इसका एक कॉमन इंट्रो बनाओ
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