नियमों में बदलाव से उत्तराखंड आंदोलनकारी पेंशन से वंचित, ज्ञापन भेजा
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर एनसीआर के 375 आंदोलनकारियों को पेंशन देने की मांग की है। आंदोलनकारियों का कहना है कि 2017 से उनकी फाइलें लंबित हैं।...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी कमेटी, दिल्ली ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजकर एनसीआर के 375 आंदोलनकारियों को पेंशन सुविधा प्रदान करने की मांग की है। बीते दिनों आंदोलनकारियों ने प्रवासी मामलों के मानद राज्यमंत्री पूरनचंद्र नैनवाल को ज्ञापन देकर यह मांग की। आंदोलनकारियों का कहना है कि सरकार के नियम बदलने के कारण उनकी फाइल 2017 से शासन में लंबित पड़ी हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद आंदोलनकारियों को पेंशन देने का फैसला लिया गया। इसके लिए 2008 में शासनादेश निकाला गया। जिनमें उन लोगों को आंदोलनकारी माना गया जिन्हें गोली लगी, जेल गए, अखबार की कतरन, संस्थाओं के जरिये डीएम के विवेक पर फैसले को आधार बनाया गया।
दिल्ली-एनसीआर के आंदोलनकारियों की पहचान के लिए 2017 में एक एसडीएम स्तर के अधिकारी की नियुक्ति की गई। आठ सदस्यीय कमेटी गठन की गई। इसमें एनसीआर के 375 आंदोलनकारियों की पहचान की गई। बाद में इनके सत्यापन के लिए इनके 13 मूल जिलों में फाइलें भेजी गईं लेकिन सत्यापन होने के बाद भी इन्हें पेंशन नहीं मिली। 2023 में कमेटी ने मुख्यमंत्री धामी से मुलाकात की। फिर से सत्यापन प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन इस बीच शासनदेश में बदलाव कर दिया गया। इसमें अखबार की कतरन और संस्थाओं के आधार पर डीएम के विवेक से फैसले के प्रावधान को हटा दिया गया। इसके बाद से यह मामला लंबित है। कमेटी ने इस प्रावधान को फिर से जोड़े जाने की मांग की है। मालूम हो कि उत्तराखंड में फिलहाल 7,200 से अधिक आंदोलनकारियों को पेंशन मिल रही है। 375 समेत अनेक लोग अभी भी कतार में हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।