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फोन नहीं, सिर्फ कैश लेन-देन: पत्नी की हत्या का दोषी पूर्व फौजी 20 साल तक पुलिस से ऐसे बचा

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी पत्नी की हत्या के दोषी एक पूर्व फौजी को पैरोल उल्लंघन के 20 साल बाद मध्य प्रदेश में उसके पैतृक गांव से गिरफ्तार किया है। उसने 36 साल पहले अपनी पत्नी को मारकर शव जला दिया था।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। भाषाTue, 15 April 2025 10:54 AM
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फोन नहीं, सिर्फ कैश लेन-देन: पत्नी की हत्या का दोषी पूर्व फौजी 20 साल तक पुलिस से ऐसे बचा

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अपनी पत्नी की हत्या के दोषी एक पूर्व फौजी को पैरोल उल्लंघन के 20 साल बाद मध्य प्रदेश में उसके पैतृक गांव से गिरफ्तार किया है। उसने 36 साल पहले अपनी पत्नी को मारकर शव जला दिया था। अदालत ने इस मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, वह 2005 में पैरोल मिलने के बाद से वह फरार था।

पुलिस एक अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश के सीधी का मूल निवासी अनिल कुमार तिवारी (58) भारतीय सेना के आयुध कोर में चालक के तौर पर काम कर चुका है। वह गिरफ्तारी से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता था, केवल नकद लेन-देन करता था और बार-बार अपना घर और नौकरी बदलता रहता था। दो दशक से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने के दौरान उसने दूसरी शादी कर ली थी और उसके चार बच्चे भी हैं।

क्या है पूरा मामला

पूर्व फौजी अनिल कुमार तिवारी ने मई 1989 में अपनी पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी थी और फिर शव को जला दिया था। उसने इस हत्या को आत्महत्या दिखाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस जांच में पकड़ा गया। अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए 1989 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2005 में उसे दो सप्ताह की पैरोल दी थी, लेकिन वह पैरोल जंप कर फरार हो गया। दो दशक से अधिक समय तक गिरफ्तारी से बचने के बाद, दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने आखिरकार 12 अप्रैल को अनिल तिवारी को उसके पैतृक गांव से गिरफ्तार कर लिया।

डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने कहा, ‘‘नवंबर 2005 में तिवारी को दो सप्ताह की पैरोल मिली थी, लेकिन पैरोल की समय अवधि पूरी होने के बाद वह जेल नहीं लौटा और फरार हो गया।

पुलिस ने उसे कैसे ढूंढा

डीसीपी ने बताया कि क्राइम ब्रांच ने उसका पता लगाने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई। हाल ही में क्राइम ब्रांच की टीम को तकनीकी और मैनुअल निगरानी के जरिये पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में और बाद में मध्य प्रदेश के सीधी में अपने पैतृक गांव में मौजूद है। सूचना को आधार पर पुलिस टीम ने उसके गांव में छापा मारकर आखिरकार उसे पकड़ लिया।’’

गिरफ्तारी से कैसे बचता रहा

पुलिस की पूछताछ में अनिल तिवारी ने खुलासा किया कि उसे पता था कि पुलिस उसे ढूंढ रही है, इसलिए उसने कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं किया। वह लगातार अपने ठिकाने भी बदलता रहता था। वह अलग-अलग शहरों में ड्राइवर के तौर पर काम करता था और यह सुनिश्चित करता था कि कोई डिजिटल लेन-देन का सबूत न रहे। वह हमेशा नकद लेन-देन करता था ताकि कोई इलेक्ट्रॉनिक सबूत न मिले। पुलिस ने कहा कि उसने दोबारा शादी करने की बात भी कबूल की है और दूसरी शादी से उसके चार बच्चे हैं।