कौन हैं ‘राजा साहब’ के बेटे प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद, कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रेस ब्रीफिंग पर उठाए थे सवाल
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया था और कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस ब्रीफिंग पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद भाजपा युवा मोर्चा के नेता की शिकायत पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई औऱ दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस ब्रीफिंग को दिखावा और ढोंग बताने वाले प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया गया। अली खान हरियाणा के सोनीपत में अशोका यूनिवर्सिटी के ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर पोस्ट किया था और कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस ब्रीफिंग पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद भाजपा युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई औऱ दिल्ली से गिरफ्तार किया गया।
42 साल के महमूदाबाद वर्तमान में हरियाणा के सोनीपत में अशोका यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस विभाग के प्रमुख हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत विद्रोह भड़काने, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के आरोप लगाए गए हैं। वहीं अशोका यूनिवर्सिटी ने एक बयान में कहा, हमें जानकारी मिली है कि प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को आज सुबह पुलिस हिरासत में लिया गया है। हम मामले की विस्तृत जानकारी जुटा रहे हैं।
बयान में कहा गया कि यूनिवर्सिट जांच में पुलिस और स्थानीय अधिकारियों के साथ पूर्ण सहयोग करेगा। इससे पहले, हरियाणा राज्य महिला आयोग ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संबंध में टिप्पणी को लेकर एसोसिएट प्रोफेसर को नोटिस भेजा था।
कौन हैं अली खान महमूदाबाद
दिसंबर, 1982 को जन्मे अली खान महमूदाबाद एक प्रमुख राजनीतिक और शाही परिवार से आते हैं। वे दिवंगत मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान के बेटे हैं, जिन्हें महमूदाबाद के राजा साहब के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने शत्रु संपत्ति अधिनियम के तहत जब्त की गई संपत्तियों पर दशकों तक कानूनी लड़ाई लड़ी थी। उनके दादा, मोहम्मद आमिर अहमद खान, महमूदाबाद के अंतिम शासक राजा थे और भारत के विभाजन से पहले मुस्लिम लीग में एक प्रभावशाली व्यक्ति थे।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के ला मार्टिनियर से की और बाद की पढ़ाई यूके में किंग्स कॉलेज स्कूल और विनचेस्टर कॉलेज से की। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से हिस्टोरिकल स्टडीज में एमफिल और पीएचडी की डिग्री हासिल की है और सीरिया में दमिश्क यूनिवर्सिटी में अरबी की पढ़ाई ती। उन्होंने सीरिया, ईरान और इराक की यात्राओं से मध्य पूर्व पर व्यापक रूप से लिखा है। उनका काम नेशनल ज्योग्राफिक जैसे प्रकाशनों में देखा जा सकता है।
राजनीति में भी की थी एंट्री?
अपने अकादमिक योगदान के अलावा, महमूदाबाद एक कवि, लेखक और समकालीन राजनीतिक मुद्दों पर कमेंटेटर हैं। उन्होंने 2017 में समाजवादी पार्टी में शामिल होकर कुछ समय के लिए राजनीति में प्रवेश किया था। उनकी शादी जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री हसीब द्राबू की बेटी से हुई है।
महिला आयोग ने जताई थी पोस्ट पर नाराजगी
महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने कहा था, हम देश की बेटियों कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सलाम करते हैं। लेकिन राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर ने उनके लिए जिस तरह के शब्दों का इस्तेमाल किया है। मुझे उम्मीद थी कि वह कम से कम आज आयोग के सामने पेश होंगे और खेद व्यक्त करेंगे।’’
महमूदाबाद की टिप्पणियों को आयोग के नोटिस के साथ संलग्न किया गया था, जिनमें से एक में कहा गया था कि कर्नल कुरैशी की सराहना करने वाले दक्षिणपंथी लोगों को भीड़ द्वारा हत्या और संपत्तियों को ‘‘मनमाने ढंग से’’ गिराए जाने के पीड़ितों के लिए सुरक्षा की मांग करनी चाहिए।एसोसिएट प्रोफेसर ने कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की मीडिया ब्रीफिंग को दिखावटी बताया था।
उन्होंने कहा था, लेकिन दिखावटीपन को जमीनी हकीकत में बदलना चाहिए, नहीं तो यह सिर्फ पाखंड है। आयोग ने कहा कि महमूदाबाद की टिप्पणियों की प्रारंभिक समीक्षा से कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह समेत महिला सैन्य अधिकारियों के अपमान और भारतीय सशस्त्र बलों में पेशेवर अधिकारियों के रूप में उनकी भूमिका को कमतर आंकने के बारे में चिंताएं पैदा हुई हैं।
भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत छह मई की देर रात पाकिस्तान और इसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकानों पर हमले किए थे।
प्रोफेसर ने क्या दी थी सफाई
एसोसिएट प्रोफेसर ने बाद में कहा था कि आयोग ने उनकी टिप्पणी को ‘‘गलत तरीके से पढ़ा’’ है।महमूदाबाद ने ‘एक्स’ पर कहा था, ...मुझे आश्चर्य है कि महिला आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर मेरे पोस्ट को इस हद तक गलत तरीके से पढ़ा और समझा कि उन्होंने उसका अर्थ ही बदल दिया।