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दिल्ली सीएम की रेस में रेखा गुप्ता से क्यों पिछड़ गए प्रवेश वर्मा? 5 वजहें

रेखा गुप्ता दिल्ली की नई सीएम होंगी। भाजपा विधायक दल की बैठक में उनको सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। इस रिपोर्ट में उन वजहों की पड़ताल जिनके कारण दिल्ली सीएम की रेस में रेखा गुप्ता से पिछड़ गए प्रवेश वर्मा...

Krishna Bihari Singh लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 19 Feb 2025 10:46 PM
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दिल्ली सीएम की रेस में रेखा गुप्ता से क्यों पिछड़ गए प्रवेश वर्मा? 5 वजहें

भाजपा विधायक रेखा गुप्ता दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। भाजपा के दिल्ली प्रदेश कार्यालय में केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक में उनको सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया। बताया जाता है कि रेखा गुप्ता के नाम का प्रस्ताव खुद प्रवेश वर्मा, विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय ने रखा। सनद रहे दिल्ली सीएम फेस को लेकर मीडिया में चल रही खबरों में प्रवेश वर्मा का नाम भी शामिल था। इस रिपोर्ट में उन वजहों की पड़ताल जिनके कारण दिल्ली सीएम की रेस में रेखा गुप्ता से पिछड़ गए प्रवेश वर्मा...

परिवारवाद से परहेज

माना जा रहा है कि भाजपा ने प्रवेश वर्मा की जगह रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर परिवारवाद से भी परहेज करने की कोशिश की है। प्रवेश वर्मा पूर्व सीएम साहेब सिंह वर्मा के बेटे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यदि भाजपा प्रवेश वर्मा को सीएम बनाती तो उस पर विपक्षी परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते। सनद रहे खुद पीएम मोदी परिवारवाद को हथियार बनाते हुए विपक्षी दलों पर जोरदार हमले करते रहे हैं। ऐसे में यदि प्रवेश वर्मा को सीएम बनाया जाता तो विपक्षी दल भाजपा पर ही परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते।

साफ और निर्विवाद छवि

रेखा गुप्ता भाजपा में काफी वर्षों से काम करती रही हैं। उन्होंने संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं। रेखा गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की पूर्व अध्यक्ष रह चुकी हैं। नगर निगम पार्षद भी रही हैं। उन्होंने 1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की सदस्य के रूप में सियासत में कदम रखा। रेखा गुप्ता के अब तक के सियासी सफर को देखें तो उनकी छवि बेदाग रही है। विवादों से भी उनका कोई नाता नहीं रहा है। प्रवेश वर्मा की छवि एक हिन्दू नेता की रही है। वहीं रेखा वर्मा की छवि एक शांत नेता की रही है।

महिला फैक्टर

रेखा गुप्ता के पक्ष में उनका कद्दावर महिला नेता होना काम कर गया। विश्लेषकों की मानें तो भाजपा ने रेखा वर्मा पर दांव लगाकर दिल्ली ही नहीं पूरे देश की महिला वोटर्स को साधने की कोशिश की है। गौर करने वाली बात यह भी कि हालिया दिल्ली चुनावों में महिला वोटर्स ने पुरुषों के मुकाबले बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की। पीएम मोदी अपने भाषणों में अक्सर महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं। फिलहाल देश में भाजपा से कोई महिला नेता सीएम नहीं है। ऐसे में रेखा गुप्ता को कमान देकर भाजपा ने विपक्ष को जवाब देने की भी कोशिश की है। रेखा गुप्ता इस समय भाजपा की एकमात्र महिला सीएम होगी।

हरियाणा कनेक्शन पर नजर

केजरीवाल हरियाणा से आते हैं। रेखा गुप्ता का भी जन्म हरियाणा में हुआ है। ऐसे में भाजपा ने रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर हरियाणा केजरीवाल के हरियाणा कनेक्शन की काट ढूढने की कोशिश की है। गौर करने वाली बात यह भी कि दिल्ली में हरियाणा मूल के लोगों की बड़ी संख्या है। साथ ही हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है।

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वैश्य समाज को साधने की कवायद

विश्लेषकों की मानें तो आम आदमी पार्टी का एक बड़ा समर्थक वर्ग वैश्य समाज से था। इस समाज से केजरीवाल को पूरे देश में न केवल समर्थन मिलता था वरन चंदा भी आता था। अरविंद केजरीवाल ने भी खुद को महाजन समाज के आइकॉन के तौर पर पेश किया। केजरीवाल की सियासत में इस समाज का बड़ा रोल माना जाता है। अब भाजपा ने वैश्य समुदाय से ही आने वाली रेखा गुप्ता को सीएम बनाकर अपने पुराने वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। दूसरी बात यह भी कि रेखा गुप्ता के परिवार से कोई राजनीति में नहीं है।