पंजाब में कितने हैं नशेड़ी? पहली बार नशे की लत पर जनगणना कराएगी AAP सरकार; बजट आवंटित
- पंजाब में नशे की समस्या लंबे समय से एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। राज्य की सीमा पाकिस्तान से सटी होने के कारण नशीले पदार्थों की तस्करी एक बड़ी समस्या है।

पंजाब सरकार ने नशे की समस्या से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाने का फैसला किया है। राज्य में पहली बार नशे की लत पर व्यापक जनगणना आयोजित की जाएगी, जिसका उद्देश्य नशे की व्यापकता, नशा मुक्ति केंद्रों के उपयोग और प्रभावित लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में सटीक डेटा इकट्ठा करना है। यह घोषणा बुधवार को पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने विधानसभा में अपने बजट भाषण के दौरान की।
वित्त मंत्री ने कहा, "हमने अगले वित्तीय वर्ष में पंजाब में पहली बार 'ड्रग जनगणना' करने का निर्णय लिया है। यह जनगणना राज्य के हर घर को कवर करेगी और नशे की व्यापकता, नशा मुक्ति केंद्रों के उपयोग और लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर डेटा एकत्र करेगी।" उन्होंने आगे बताया कि इस डेटा का उपयोग नशे की समस्या को खत्म करने के लिए एक प्रभावी और वैज्ञानिक रणनीति तैयार करने में किया जाएगा। इस पहल के लिए सरकार ने 150 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है।
पंजाब में नशे की समस्या लंबे समय से एक गंभीर चुनौती बनी हुई है। राज्य की सीमा पाकिस्तान से सटी होने के कारण नशीले पदार्थों की तस्करी एक बड़ी समस्या है। इस जनगणना के जरिए सरकार का लक्ष्य नशे के प्रसार को समझना और इसके खिलाफ चल रही 'युद्ध नशों के विरुद्ध' मुहिम को और मजबूत करना है। चीमा ने कहा, "नशा पंजाब के विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमें इसे बल और हथियारों से ही नहीं, बल्कि डेटा और विश्लेषण के साथ वैज्ञानिक तरीके से भी लड़ना होगा।"
इसके साथ ही, 2025-26 के लिए पंजाब का बजट 2.36 लाख करोड़ रुपये का प्रस्तावित किया गया है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय विवेक और किसानों के कल्याण पर विशेष ध्यान दिया गया है। चीमा ने इसे "भविष्योन्मुखी बजट" करार देते हुए कहा कि यह "बदलता पंजाब रोडमैप 2025-26" की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
स्वास्थ्य बीमा योजना का होगा विस्तार
'बदलता पंजाब बजट' में सरकार ने सभी 65 लाख परिवारों को सालाना ₹10 लाख तक की स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने की घोषणा की है। हालांकि, इस बजट में विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं को ₹1,100 प्रति माह देने के किए गए वादे पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की गई। इस पर सफाई देते हुए चीमा ने कहा कि यह एकमात्र गारंटी है जो अभी पूरी नहीं हो पाई है, लेकिन जल्द ही इसे लागू किया जाएगा।
बढ़ता कर्ज और राजस्व घाटा चिंता का विषय
बजट के अनुसार, राज्य का अनुमानित कर्ज ₹4.2 लाख करोड़ तक पहुंच चुका है, जबकि राजस्व घाटा ₹23,957 करोड़ है। सरकार द्वारा 300 यूनिट तक की मुफ्त बिजली योजना को जारी रखने के लिए अगले वित्त वर्ष में ₹7,614 करोड़, जबकि कृषि क्षेत्र में बिजली सब्सिडी के लिए ₹9,992 करोड़ खर्च किए जाएंगे। अनुमान है कि आने वाले वर्ष में प्रभावी राजस्व घाटा 2.5% और राजकोषीय घाटा 3.8% रहेगा। पंजाब सरकार के इस बजट को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। जहां आम आदमी पार्टी इसे जनकल्याणकारी बता रही है, वहीं विपक्षी दल इसे कर्ज में डूबते राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक बता रहे हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।