पंजाब सरकार ने AI से बदली स्वर्ण मंदिर की तस्वीर, SGPC का बड़ा आरोप; माफी की मांग
SGPC ने पंजाब सरकार पर स्वर्ण मंदिर की तस्वीर को विज्ञापन में AI से बदलने का आरोप लगाया, इसे सिख भावनाओं का अपमान बताया। सरकार से माफी और स्पष्टीकरण की मांग की गई।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने पंजाब सरकार पर श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) की तस्वीर को कंप्यूटर-जनित तकनीकों के माध्यम से बदलने का गंभीर आरोप लगाया है। यह विवाद एक विज्ञापन को लेकर सामने आया है, जिसमें आगामी सिख शताब्दी समारोहों के लिए सुझाव मांगे गए थे। SGPC के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने इस कदम को सिख भावनाओं का गंभीर अपमान बताया और सरकार से तत्काल माफी मांगने की मांग की।
धामी ने कहा, “सरकार द्वारा जारी किया गया यह विज्ञापन सिखों की आस्था का अपमान है। हरमंदिर साहिब सिख धर्म का आध्यात्मिक केंद्र है और उसकी तस्वीर को डिजिटल तरीके से छेड़छाड़ कर प्रस्तुत करना, सिख श्रद्धा और विश्वास का अपमान है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज इंटरनेट पर हरमंदिर साहिब की सैकड़ों प्रामाणिक और असली तस्वीरें उपलब्ध हैं, इसके बावजूद सरकार द्वारा एआई और विकृत तस्वीर का इस्तेमाल करना अत्यंत पीड़ादायक है।
SGPC अध्यक्ष ने सवाल उठाया कि बिना SGPC से सलाह किए इस तरह की तस्वीर को सार्वजनिक करना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। उन्होंने कहा, “सरकार को इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देना चाहिए और तुरंत सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।”
धामी ने यह भी स्पष्ट किया कि शताब्दी समारोहों का आयोजन SGPC की जिम्मेदारी है, न कि सरकार की। उन्होंने कहा, “सरकार का दायित्व उन नगरों में विकास कार्य करना है जो गुरु साहिबानों से जुड़े हैं, साथ ही SGPC के साथ सहयोग करते हुए उपयुक्त स्मारक स्थापित करना भी सरकार की भूमिका होनी चाहिए।”
SGPC की इस प्रतिक्रिया के बाद धार्मिक संगठनों और सिख संगत में भी नाराजगी देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर भी कई लोगों ने सरकार से सवाल पूछे हैं कि आखिर जब असली तस्वीरें मौजूद थीं, तो AI आधारित छवि की जरूरत क्यों पड़ी?
गौरतलब है कि श्री हरमंदिर साहिब को गोल्डन टेंपल यानी स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है। यह न केवल सिखों के लिए आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए एक खुला पूजा स्थल भी है। इसकी स्थापना सिख गुरु अर्जन देव द्वारा 1604 में की गई थी, और बाद में महाराजा रणजीत सिंह ने इसे संगमरमर और सोने की परतों से सजाया, जिसके कारण इसे "स्वर्ण मंदिर" कहा जाता है।
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