आतंकवाद के संरक्षक सुरक्षा की बा कर रहे; UN में गरजे भारत के राजदूत, पाक को दिया करार जवाब
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक बताते हुए उसकी दोहरी नीति की पोल खोली है। उन्होंने कहा कि पाक हमलों में मारे गए ज्यादतर लोग आम नागरिक थे।

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को सीधी चुनौती दी और कहा कि जो देश खुद आतंकवाद का संरक्षक रहा है, वो अब नागरिकों की सुरक्षा की बात कर रहा है, ये अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक मजाक है।
उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि भारत पिछले कई दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है। उन्होंने कहा, "चाहे वो 26/11 का मुंबई हमला हो या फिर अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले में निर्दोष पर्यटकों की हत्या, पाकिस्तान के हमलों में सबसे ज्यादा जानें आम नागरिकों की गई हैं।" राजदूत हरीश ने पाकिस्तान की इस नीति को भी उजागर किया जिसमें वो आतंकवादियों को आम नागरिकों की आड़ में छुपाता है। उन्होंने कहा, "जो मुल्क आतंकियों और नागरिकों में फर्क नहीं कर पाता, उसके पास नैतिक अधिकार नहीं कि वो नागरिकों की सुरक्षा पर भाषण दे।"
पाक सेना की खोली पोल
हरीश ने हालिया उदाहरण देते हुए बताया कि इसी महीने पाकिस्तानी सेना ने जानबूझकर भारत के सीमावर्ती गांवों पर गोलाबारी की, जिसमें 20 से ज्यादा नागरिक मारे गए और 80 से अधिक घायल हो गए। उन्होंने यह भी बताया कि मंदिरों, गुरुद्वारों, चर्चों और अस्पतालों को भी जानबूझकर निशाना बनाया गया। उन्होंने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, "ऐसे व्यवहार के बाद संयुक्त राष्ट्र में नागरिकों की सुरक्षा की बातें करना बेहद ढोंगपूर्ण और पाखंडी रवैया है।"
पूरी दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो: भारत
भारत ने यह भी दोहराया कि होना होगा और जो देश आतंकवाद को शह देते हैं, उन्हें खुलेआम लताड़ना होगा। बातचीत के अंत में उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत पूरी दुनिया के साथ मिलकर संघर्ष प्रभावित इलाकों में आम नागरिकों की पीड़ा को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। गौरतलब है कि 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पीओजेके में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था, जो भारत के खिलाफ हमलों की साजिश रच रहे थे। यह कदम पहलगाम में हुए उस आतंकी हमले के जवाब में उठाया गया था जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की हत्या कर दी गई थी।