हाई कोर्ट पहुंचा अजमेर दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे से जुड़ा मामला, अंजुमन की याचिका में क्या मांग
अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को लेकर उठा विवाद अब राजस्थान हाई कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। दरगाह से जुड़े खादिमों की संस्था 'अंजुमन सैयद जादगान' ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे को लेकर उठा विवाद अब राजस्थान हाई कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। दरगाह से जुड़े खादिमों की संस्था 'अंजुमन सैयद जादगान' ने इस मामले में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
अंजुमन सैयद जादगान की ओर से हाई कोर्ट में दायर याचिका में अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। जस्टिस विनोद कुमार भारवानी की एकलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान अंजुमन की ओर से अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह और वागीश कुमार सिंह ने दलील दी।
अंजुमन की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले ही ऐसे मामलों में किसी भी अदालत में सुनवाई पर रोक लगा चुका है। ऐसे में अजमेर की सिविल कोर्ट द्वारा इस वाद पर सुनवाई करना न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है।
वहीं, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) आर.डी. रस्तोगी ने अंजुमन की याचिका पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि अंजुमन इस मामले में प्रत्यक्ष पक्षकार नहीं है। इसलिए उसे इस वाद में हस्तक्षेप करने और हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। रस्तोगी ने हाई कोर्ट से याचिका खारिज करने की मांग की।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है। अब देखना होगा कि यह संवेदनशील मामला आगे किस दिशा में बढ़ता है।
रिपोर्टः सचिन शर्मा