मंदिर शुद्धिकरण पर ऐक्शन, BJP ने पूर्व MLA ज्ञानदेव आहूजा की सदस्यता समाप्त की
भाजपा ने पार्टी से ज्ञानदेव आहूजा की प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी है। BJP की अनुशासन समिति ने जांच रिपोर्ट पर गौर करते हुए ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ ऐक्शन लिया है।

भाजपा ने कांग्रेस नेता टीकाराम जूली के मंदिर जाने के बाद वहां कथित तौर शुद्धिकरण किए जाने की घटना पर सख्त रुख अपनाया है। भाजपा ने पार्टी नेता ज्ञानदेव आहूजा की प्राथमिक सदस्यता समाप्त कर दी है। बता दें कि कांग्रेस नेता टीकाराम जूली ने अलवर के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शिरकत की थी। इसके बाद ज्ञानदेव आहूजा ने वहां गंगा जल छिड़क कर मंदिर का शुद्धिकरण किया था। भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पार्टी की अनुशासन समिति ने जांच रिपोर्ट पर गौर करते हुए ज्ञानदेव आहूजा के खिलाफ ऐक्शन लिया है।
आहूजा ने हाल ही में खुद को दलितों का मसीहा बताते हुए कहा था कि यदि उन पर लगे दलित विरोधी आरोप साबित हो जाते हैं तो वे अपनी मूंछ कटवा लेंगे। साथ ही उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई नेताओं पर मानहानि का आरोप लगाते हुए कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। आहूजा ने कांग्रेस नेताओं से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग भी की थी।
भाजपा के निर्णय से नाराज ज्ञानदेव आहूजा ने कहा कि पार्टी ने बिना पूरी जांच के उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के बावजूद उनको पार्टी से निकालने का निर्णय लिया गया। वहीं भाजपा की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संगठन में अनुशासन सर्वोपरि है। नियमों का उल्लंघन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
ज्ञानदेव आहूजा ने सफाई दी कि उनका बयान दलित समाज के खिलाफ नहीं था। उन्होंने कांग्रेस नेताओं की नीतियों के विरोध में बातें कही थीं। उन्होंने कांग्रेस पर भगवान राम के अस्तित्व को नकारने का भी आरोप लगाया। आहूजा ने कहा कि वे अलवर के मेवात क्षेत्र में लंबे समय से दलित समुदाय के हित में काम करते आ रहे हैं।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब अलवर के एक नए राम मंदिर में कांग्रेस नेता टीकाराम जूली के दौरे के बाद ज्ञानदेव आहूजा ने गंगाजल से उसका शुद्धिकरण कराया था। कांग्रेस ने इसे दलित विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताते हुए आहूजा पर निशाना साधा था। इससे मामला गरमा गया था। आहूजा ने राहुल गांधी, अशोक गहलोत, गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली से माफी की मांग की थी। जानकारों का मानना है कि इस घटनाक्रम के आगामी चुनावों पर प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।