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घोटाले की नली से निकला 47.80 करोड़ का गबन, ईडी की जब्ती से हड़कंप

राजस्थान में बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले की परतें अब खुलकर सामने आने लगी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 47.80 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तानFri, 13 June 2025 08:33 PM
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घोटाले की नली से निकला 47.80 करोड़ का गबन, ईडी की जब्ती से हड़कंप

राजस्थान में बहुचर्चित जल जीवन मिशन घोटाले की परतें अब खुलकर सामने आने लगी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब ₹47.80 करोड़ की संपत्तियां जब्त की हैं। ये संपत्तियां मुख्य आरोपी पदमचंद जैन, महेश मित्तल, संजय बड़ाया, पूर्व मंत्री महेश जोशी, विशाल सक्सेना और उनके परिजनों व फर्मों की हैं।

ईडी की यह कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई। जब्त संपत्तियों में जयपुर के अलग-अलग हिस्सों में फैली कृषि भूमि, आलीशान फ्लैट, मकान और चल-अचल संपत्तियां शामिल हैं।

फर्जीवाड़े और अधिकारियों की मिलीभगत का खुलासा

ईडी की जांच का आधार राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर रही, जिसमें श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी के पदमचंद जैन और श्री गणपात ट्यूबवेल कंपनी के महेश मित्तल सहित कई अन्य पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। जांच में सामने आया कि इन कंपनियों ने फर्जी अनुभव प्रमाणपत्रों के आधार पर जल जीवन मिशन के ठेके हथियाए। इसके लिए उन्होंने न सिर्फ दस्तावेजों में हेराफेरी की बल्कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से योजना की पूरी प्रक्रिया को भ्रष्ट कर दिया।

पूर्व मंत्री भी जांच के घेरे में

ईडी अब तक पदमचंद जैन, महेश मित्तल, संजय बड़ाया और पीयूष जैन को गिरफ्तार कर चुकी है। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब 24 अप्रैल 2025 को राजस्थान सरकार के पूर्व पीएचईडी मंत्री महेश जोशी को हिरासत में लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, जोशी पर घोटाले में राजनीतिक संरक्षण देने और टेंडर आवंटन में भूमिका निभाने के आरोप हैं।

तीन एजेंसियां, चार एफआईआर और करोड़ों की हेराफेरी

ईडी की जांच के साथ-साथ बाजाज नगर थाना, सीबीआई और जयपुर एसीबी की ओर से तीन अतिरिक्त एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें सरकारी फंड की हेराफेरी, रिश्वतखोरी और टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं को उजागर किया गया है।

क्राइम सिंडिकेट की शक्ल लेता घोटाला

यह घोटाला अब महज सरकारी लापरवाही नहीं, बल्कि सुनियोजित ‘क्राइम सिंडिकेट’ का रूप ले चुका है, जिसमें सरकारी अफसरों से लेकर रसूखदार नेताओं और प्राइवेट कंपनियों तक की सांठगांठ सामने आ रही है। फर्जी दस्तावेज, सरकारी मुहरों का दुरुपयोग और करोड़ों की ब्लैक मनी को रियल एस्टेट में निवेश कर ‘वाइट’ करना – ये सब अब जांच के दायरे में हैं।

अब जांच का अगला चरण उन अधिकारियों की पहचान और कार्रवाई पर केंद्रित है, जिन्होंने इस घोटाले को हवा दी और करोड़ों के ठेके बिचौलियों को सौंपे।

> यह घोटाला सिर्फ सरकारी धन की चोरी नहीं, बल्कि जनता के हक और संसाधनों की डकैती है।

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