पाकिस्तान में लोग भूखे मर रहे है....पैसे दो! झुंझुनू के सेल्समैन को मिली दाऊद,गोल्डी बराड़ के नाम की धमकी,
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान के सेल्समैन को विदेशी नंबर से लगातार व्हाट्सएप कॉल्स के जरिए 50 लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई।

राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां एक इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान के सेल्समैन को विदेशी नंबर से लगातार व्हाट्सएप कॉल्स के जरिए 50 लाख रुपये की फिरौती की मांग की गई। कॉलर ने खुद को कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और गैंगस्टर गोल्डी बराड़ का आदमी बताते हुए कहा कि यह रकम आईएसआई (Inter-Services Intelligence) की फंडिंग के लिए चाहिए, क्योंकि "पाकिस्तान में लोग भूखे मर रहे हैं।"
धमकी भरे कॉल्स का सिलसिला
मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब पीड़ित युवक को ‘You Are Under Arrest’ नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया। ग्रुप में जुड़ने के तुरंत बाद ग्रुप कॉल आई, जिसमें कॉल करने वालों ने युवक की पहचान और उसकी दुकान की जानकारी लेकर 50 लाख रुपये की फिरौती की मांग की। पीड़ित के अनुसार, कॉल करने वाले लोग हिंदी के साथ-साथ अंग्रेज़ी, उर्दू और पंजाबी में बातचीत कर रहे थे, जिससे यह संदेह गहरा गया कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हो सकता है।
पीड़ित ने जब इन कॉल्स को नजरअंदाज़ किया, तो धमकी भरे मैसेज और कॉल्स का सिलसिला और तेज हो गया। अब तक 40 से अधिक व्हाट्सएप कॉल्स आ चुकी हैं। युवक ने जब मामले की जानकारी स्थानीय पुलिस को दी, तो डीएसपी विकास ढींढवाल ने खुद एक कॉल रिसीव की और बात की, जिसके बाद पुलिस ने गंभीरता से मामला दर्ज कर लिया।
गैंगस्टर नेटवर्क और आतंक से फंडिंग की आशंका
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में जिस तरह से दाऊद इब्राहिम और गोल्डी बराड़ जैसे नाम सामने आए हैं, उससे यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि यह केवल एक फिरौती वसूली का मामला नहीं बल्कि आतंकवाद की फंडिंग से जुड़ी एक गंभीर साजिश हो सकती है। कॉलर का दावा कि रकम आईएसआई को भेजी जानी है, इस बात की पुष्टि करता है कि गिरोह भारत में मौजूद लोगों से अवैध वसूली कर अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों की मदद कर सकता है।
साइबर सेल जांच में जुटा
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और साइबर सेल को कॉल्स और ग्रुप की तकनीकी जांच सौंपी गई है। विदेशी नंबरों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कॉल कहां से किए जा रहे हैं। साथ ही, यह भी देखा जा रहा है कि ग्रुप में जुड़े अन्य भारतीय नंबरों से कोई स्थानीय मदद तो नहीं मिल रही।
आम लोगों को सावधानी बरतने की सलाह
पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि इस तरह के किसी भी संदेहास्पद कॉल या मैसेज की सूचना तुरंत पुलिस को दें और खुद से कोई संपर्क या भुगतान न करें। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह के साइबर-क्राइम और आतंक-फंडिंग से जुड़े नेटवर्क अब सोशल मीडिया और ऐप्स के ज़रिए आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि डिजिटल माध्यमों के जरिए अपराधी अब सीधे आम जनता तक पहुंच बना रहे हैं। दाऊद और गोल्डी बराड़ जैसे कुख्यात नामों का इस्तेमाल कर आईएसआई के लिए फंडिंग मांगना न सिर्फ कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी बेहद गंभीर मामला है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों के लिए यह मामला अब एक हाई-प्रायोरिटी जांच का विषय बन गया है।
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