बिहार चुनाव से कुछ महीनों पहले नीतीश कैबिनेट में हुए फेरबदल को एनडीए सरकार के मेक-ओवर के रूप में देखा जा रहा है। कई मंत्रियों के विभाग बदलकर उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, कुछ के विभागों में कटौती की गई है।
नीतीश कैबिनेट का 36 का कोटा पहली बार फुल हो गया है। हालिया कैबिनेट विस्तार के बाद बिहार में जेडीयू की तुलना में बीजेपी के मंत्रियों की संख्या डेढ़ गुना हो गई है।
मुकेश सहनी की पार्टी ने राजू सिंह को बिहार का मंत्री बनाए जाने पर सवाल खड़े किए। वीआईपी ने आरोप लगाया कि एक मंत्री पद के लिए उन्होंने पार्टी तोड़ दी थी।
लालू यादव की पार्टी राजद ने कहा कि बिहार में जेडीयू को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के रास्ते ले जाने की कवायद है। नीतीश कैबिनेट विस्तार में सिर्फ भाजपा के कोटे से मंत्री बनाए गए।
बिहारशरीफ से बीजेपी विधायक सुनील कुमार को नीतीश कैबिनेट में जगह मिली है। वह डॉक्टर रह चुके हैं। इसके अलावा भोजपुरी फिल्में भी बना चुके हैं।
बीजेपी ने 7 में से 4 नए मंत्री उत्तर बिहार से बनाए हैं। अकेले मिथिला क्षेत्र से 3 नेताओं को नीतीश कैबिनेट में शामिल किया गया है। विधानसभा चुनाव से पहले हुए कैबिनेट विस्तार में इस क्षेत्र को तरजीह दी गई है।
विजय कुमार मंडल अररिया जिले के सिकटी से बीजेपी के विधायक हैं। उन्होंने पहली बार 1995 में पूर्व सांसद आनंद मोहन की बिहार पीपल्स पार्टी से चुनाव जीता था। वह पहले भी बिहार सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं।
नीतीश सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री बनाए गए मोतीलाल प्रसाद का राजनीतिक सफर, पारिवारिक पृष्ठभूमि और शैक्षणिक योग्यता काफी दिलचस्प है। वह जनसंघ के समय से राजनीति से जुड़े हुए हैं और बिहार में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के करीबी रहे हैं।
संजय सरावगी दरभंगा सदर से बीजेपी के पांच बार के विधायक हैं। नीतीश कैबिनेट विस्तार में उन्हें मंत्री बनाया गया है। उन्होंने मंगलवार को मैथिली भाषा में पद और गोपनीयता की शपथ ली।
जीवेश कुमार मिश्रा दूसरी बार नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं। वह दरभंगा जिले के जाले से बीजेपी के विधायक हैं। उन्होंने मैथिली भाषा में शपथ ली।