बोले आगरा: कदम-कदम पर कठिनाई, संकट में हलवाई
Agra News - फतेहाबाद में मिठाई विक्रेताओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कच्चे माल की कीमतों में अस्थिरता, कुशल श्रमिकों की कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा। हलवाइयों ने सुझाव दिया कि सरकार को वित्तीय...

फतेहाबाद। शादी-विवाह , त्योहार और धार्मिक आयोजनों में अहम भूमिका निभाने वाले हलवाई और मिष्ठान विक्रेता भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इनकी मिठाइयां ही हमारी खुशी में बढ़ोतरी करती हैं। लेकिन यह पेशा अब कई चुनौतियों से जूझ रहा है। कच्चे माल की अस्थिर कीमतें, गुणवत्ता बनाए रखने की कठिनाई, कुशल श्रमिकों की कमी और बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना मिष्ठान्न विक्रेता कर रहे हैं। फतेहाबाद में मिष्ठान्न विक्रेता गोवंशों से होने वाले नुकसान को भी बताते हैं। उनका कहना है कि इस व्यवसाय को सशक्त बनाने के लिए वित्तीय सहायता, आधुनिक तकनीक और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जाए।
फतेहाबाद कस्बे में बड़ी संख्या में मिठाइयों की दुकानें हैं। यहां के मिठाई व्यवसायी अब कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। गुरुवार को आपके अखबार हिन्दुस्तान के तहत हुए संवाद में मिठाई विक्रेताओं ने कई मुद्दों पर खुलकर चर्चा की। बताया कि मिठाइयों की त्योहारी सीजन हलवाइयों के लिए अवसर भी लाता है और चुनौतियां भी। सीज में मांग बहुत अधिक होती है, जिससे उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता होती है, वहीं ऑफ सीजन में बिक्री में गिरावट आ जाती है, जिससे आर्थिक अस्थिरता बनी रहती है। कई हलवाई व्यवसायी
त्योहारी सीजन में अधिक लाभ कमाते हैं, लेकिन साल भर स्थिर आय बनाए रखना कठिन होता है। उनके अनुसार इन सभी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए कुछ प्रभावी उपाय अपनाने की आवश्यकता है। हलवाई व्यवसाय को सशक्त बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
संवाद में कहा गया कि सबसे पहले थोक विक्रेताओं और किसानों के साथ समन्वय स्थापित कर कच्चे माल की कीमतों में स्थिरता लाने के उपाय करने चाहिए ताकि हलवाइयों को उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उचित मूल्य पर मिल सके। गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आधुनिक प्रसंस्करण तकनीकों और स्वचालित मशीनों की खरीद पर सब्सिडी देनी चाहिए जिससे उत्पादन लागत कम हो और व्यवसाय को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके। इधर संवाद में कारीगरों की समस्या भी सामने आयी। कहा गया कि कुशल श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार को प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं आयोजित करनी चाहिए ताकि नई पीढ़ी इस पेशे में रुचि ले सके और पारंपरिक विधियों को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ा जा सके।
खाद्य सुरक्षा और स्वच्छता मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए सरकार को अनिवार्य प्रमाणपत्र और लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया सरल और सुलभ बनानी चाहिए। बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए हलवाइयों को वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए ताकि वे अपनी मिठाइयों की गुणवत्ता सुधार सकें और अनूठे स्वाद वाले नए उत्पाद विकसित कर सकें, जैसे कम शक्कर और कम वसा वाली मिठाइयां या ऑर्गेनिक सामग्री से बनी मिठाइयां।
डिजिटल युग को ध्यान में रखते हुए हलवाइयों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और डिजिटल मार्केटिंग के प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि वे अधिक ग्राहकों तक पहुंच सकें और अपनी ब्रांडिंग मजबूत कर सकें। सोशल मीडिया और डिजिटल विज्ञापन के माध्यम से अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएँ लागू करनी चाहिए।
सुझाव
1. थोक विक्रेताओं और किसानों के साथ समन्वय स्थापित कर उचित मूल्य सुनिश्चित करना चाहिए।
2. उत्पादन में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए हलवाइयों को स्वचालित मशीनों और नई तकनीकों पर सब्सिडी दी जानी चाहिए।
3. कुशल श्रमिकों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण केंद्र खोलने चाहिए ताकि नई पीढ़ी इस व्यवसाय में रुचि ले।
4. हलवाइयों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और डिजिटल मार्केटिंग के माध्यम से ग्राहकों तक पहुंचने के लिए प्रशिक्षित किया जाए।
शिकायतें
1. दूध, घी, मेवा और चीनी जैसी आवश्यक सामग्रियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव से उत्पादन लागत प्रभावित होती है।
2. पारंपरिक मिठाइयों के लिए प्रशिक्षित श्रमिकों की आवश्यकता होती है, लेकिन युवा पीढ़ी इस पेशे में रुचि नहीं ले रही।
3. बड़ी सुपरमार्केट और ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म स्थानीय हलवाइयों के व्यवसाय को चुनौती दे रहे हैं।
4. सरकारी नियमों और लाइसेंस प्रक्रिया को पूरा करना छोटे हलवाइयों के लिए कठिन साबित हो रहा है।
हमें सबसे बड़ी समस्या दूध, घी और चीनी के बढ़ते दामों से होती है। जब कीमतें अचानक बढ़ती हैं, तो हमारा मुनाफा कम हो जाता है और ग्राहक भी शिकायत करते हैं। विवाद की स्थिति होती है।
-अनिल
हलवाई काम करने के बाद भी उचित आमदनी नहीं आ रहा है।हर ग्राहक चाहता है कि मिठाई ताजा और स्वादिष्ट हो, लेकिन महंगे कच्चे माल के कारण हमें गुणवत्ता बनाए रखने में कठिनाई होती है।
-मुलायम सिंह
पहले लोग इस हलवाई के पेशे को गर्व से अपनाते थे, अब युवा इसमें रुचि नहीं ले रहे। अच्छे कारीगर का मिलना मुश्किल होता जा रहा है। कोई कदम उठानी चाहिए। ताकि पारंपरिक यह धंधा बच सके।
-दीपू
बड़ी मिठाई कंपनियां और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हमारे ग्राहक छीन रहे हैं। हमें आधुनिक तकनीकों की मदद की जरूरत है तभी व्यवसाय मजबूत होगा। इसके लिए प्रशासन को कुछ व्यवस्था करनी चाहिए।
-जुगनू
शादी- विवाह और त्योहारी पर काम होता है, लेकिन ऑफ-सीजन में बिक्री कम होने से हमारी आमदनी अस्थिर हो जाती है। हमारे लिए कोई योजना बने।
-गौरव
हमें खाद्य सुरक्षा लाइसेंस और अन्य सरकारी कागजात बनवाने में बहुत परेशानी होती है। छोटे हलवाइयों के लिए यह प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। इह सरल नहीं होने से परेशानी हो रही है।
-सुभाष
हलवाई समाज को रोज़गार की समस्या है।अगर सरकार प्रशिक्षण केंद्र खोले तो अधिक लोग इस व्यवसाय में आएंगे और हमें अच्छे श्रमिक मिल सकेंगे। इससे काम में भी गुणवत्ता आएगी।
-प्रमोद
महंगाई के कारण मिठाइयों के दाम बढ़ाना पड़ता है, लेकिन ग्राहक ज्यादा कीमत नहीं देना चाहते, जिससे हमारा मुनाफा कम होता जा रहा है। कीमतें नियंत्रित हों।
-अशोक गुप्ता
स्थायी आमदनी की चुनौती है। हलवाई व्यवसाय केवल त्योहारों तक सीमित न रहे, इसके लिए सरकार को नए बाजार उपलब्ध कराने की योजना बनानी चाहिए।
-सुनील
नई तकनीक का अभाव है। अगर सरकार मशीनों और उपकरणों पर सब्सिडी दे तो उत्पादन लागत कम हो सकती है और मिठाई की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
-अनिल गुप्ता
बदलते उपभोक्ता स्वाद लोग अब पारंपरिक मिठाइयों से हटकर नई किस्मों की मिठाई पसंद करने लगे हैं। हमें भी नए स्वाद और सेहतमंद विकल्पों पर ध्यान देना होगा।
-सौरभ गुप्ता
संरक्षण और भंडारण की समस्या है। मिठाइयों को ज्यादा समय तक ताजा रखने की तकनीक हो तो हम अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं और दूर-दराज के बाजारों तक पहुंच सकते हैं।
-मनोज
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