Chicory Farmers in Kasganj Face Economic Struggles Due to Delayed Payments and Low Prices बोले कासगंज: चिकोरी की अच्छी फसल के बाद भी मेहनतकश हैं मायूस , Agra Hindi News - Hindustan
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बोले कासगंज: चिकोरी की अच्छी फसल के बाद भी मेहनतकश हैं मायूस

Agra News - कासगंज में चिकोरी के किसान फसल की अच्छी पैदावार के बावजूद आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। खरीद केंद्रों पर समय पर खरीद न होने और भुगतान में देरी के कारण किसान चिंतित हैं। पिछले वर्ष की फसल का...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराThu, 24 April 2025 10:48 PM
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बोले कासगंज: चिकोरी की अच्छी फसल के बाद भी मेहनतकश हैं मायूस

जनपद कासगंज में चिकोरी की फसल का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। जिले के किसान चिकोरी की खेती पूरी मेहनत एवं लगन से करते हैं। इससे फसल की पैदावार भी अच्छी होती है, लेकिन इसके बावजूद चिकोरी की खेती करने वाले ये किसान विभिन्न प्रकार की समस्याओं से त्रस्त हैं। आपके अपने अखबार हिंदुस्तान के जनसंवाद कार्यक्रम बोले कासगंज के तहत इन किसानों ने अपनी समस्याओं को साझा किया है। साथ ही किसानों ने मांग की कि सरकार और प्रशासन चिकोरी के किसानों की समस्याओं का हल कराए। किसान बताते हैं कि अभी तक जिले में कुछ क्रय केंद्रों पर खरीद शुरू नहीं हुई है। वहीं गत वर्ष इस समय तक अधिकांश प्लांटों पर चिकोरी की खरीद शुरू हो चुकी थी। केंद्रों पर खरीद शुरू न होने और देरी से शुरू होने के कारण किसान चिंतित हैं। चिकोरी की खेती करने वाले किसान को बताते हैं, कि गत वर्ष की चिकोरी की फसल का भुगतान उन्हें अभी तक नहीं मिला है। वहीं इस बार भी फसल की विक्रय प्रक्रिया मंद गति से चल रही है। जिससे उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं।

चिकोरी क्रय केंद्र संचालक उनकी पूरी फसल नहीं खरीदते

किसान बताते हैं कि एग्रीमेंट होने के बावजूद भी चिकोरी क्रय केंद्र संचालक उनकी पूरी फसल नहीं खरीदते हैं। इससे उनके कुछ फसल खराब हो जाती है। किसानों का कहना है कि इस वर्ष भी चिकोरी की पैदावार अच्छी हुई है। इस साल प्रति बीघा लगभग 65 कुंटल तक चिकोरी का उत्पादन हुआ है। लेकिन क्रय केंद्रों पर केवल 50 कुंटल प्रति बीघा के हिसाब से ही फसल की खरीद हो रही है। इससे पूरी उपज ना बिक पाने के कारण किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि चिकोरी की शेष फसल का विक्रय ना हो पाने के कारण उन्हें भारी नुकसान उठान पड़ता है। किसान बताते हैं कि पिछले साल की चिकोरी की फसल का लगभग पचास लाख रुपये का भुगतान अब तक लंबित है। कई किसानों को इस भुगतान की सख्त आवश्यकता है। खासकर उन किसानों को जिनके घरों में बच्चों की शादियां तय हैं। इस कारण उन्हें शादी के आयोजन में आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सही रेट न मिलने से होता है नुकसान

चिकोरी के उत्पादन में 18 से 20 हजार रुपये प्रति बीघा की लागत आती है। लेकिन बिक्री के समय चिकोरी का रेट महज 650 रुपये प्रति कुंटल ही मिल रहा है। देर से खरीद शुरू होने के कारण फसल खेतों में सड़ने लगी है। वहीं विक्रय के दौरान क्रय केंद्र खराब फसल होने के नाम पर कुल फसल के भार से 3 से 4 प्रतिशत कटौती करते हैं। यह भी किसानों के नुकसान की बड़ी वजह है। कुछ क्रय केंद्रों पर भुगतान भी देर से मिलता है तथा कुछ केंद्र संचालक भुगतान रोककर बाद में बीज खरीदने का दबाव डालते हैं। इससे किसान मजबूरन चिकोरी की खेती में ही फंसे रहते हैं।

हमें अभी तक गत वर्ष की चिकोरी की फसल का भुगतान नहीं मिला है। इसके चलते हम वित्तीय समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं। क्रय केंद्रों के साथ एग्रीमेंट होने के बावजूद भी समय से फसल का भुगतान नहीं मिल पाता। फसल विक्रय होने के बाद हमें समय से भुगतान मिलना चाहिए। -सुखराम

इस बार लगभग 65 कुंटल प्रति बीघा तक चिकोरी की उपज का उत्पाटन हुआ है। लेकिन चिकोरी क्रय केंद्रों पर अधिकतम 50 कुंटल प्रति बीघा के अनुसार ही चिकोरी की फसल का क्रय किया जा रहा है। इससे इसकी खेती करने वाले अधिकांशत: किसान परेशान हैं। -राम खिलाड़ी

घर में बच्चों की शादी करनी है, लेकिन गत वर्ष की फसल के लगभग एक लाख रुपये का भुगतान अभीतक नहीं मिल है। इससे हम बच्चों की शादी-विवाह के कार्यक्रमों में आर्थिक समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं। प्रशासन को जल्द-जल्द क्रय केंद्रों पर लंबित हमारे रुपयों का भुगतान कराना चाहिए। -सोरन सिंह

पिछली साल इस समय तक जिले में लगभग सभी प्लांटों पर चिकोरी की फसलों की खरीद शुरू हो चुकी थी। लेकिन इस वर्ष अभी तक सभी क्रय केंद्रों का संचालन शुरू नहीं हुआ है। इससे इस फसल का उत्पादन करने वाले किसान चिंतित हैं। —उमेश

इस बार चिकोरी का बीज प्रति किलो 08 हजार रुपये के भाव से मिला था। फसल के उत्पादन में 18 से 20 हजार रुपये प्रति बीघा तक की लागत आती है। लेकिन फसल विक्रय के दौरान चिकोरी का अधिकतम रेट लगभग 650 रुपये प्रति कुंटल तक ही पहुँचता है। फसल का कम रेट भी परेशानी की बड़ी वजह है। -राजू

केंद्रों पर खरीद शुरू न होने एवं देर से खरीद शुरू होने के कारण इस बार चिकोरी की फसल खेतों में ही सड़ने लगी है। इससे हमें नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं विक्रय के दौरान क्रय केंद्र भी खराब फसल होने के नाम पर कुल फसल के भार से लगभग 3 से 4 प्रतिशत कटौती करते हैं। -रामदुलारे

चिकोरी की फसल बेचने पर हमें फसल के भुगतान को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्रय केंद्र पर फसल विक्रय करने के बाद समय पर भुगतान नहीं मिल पाता। वहीं क्रय केंद्र संचालक भी कुछ भुगतान को रोक लेते हैं तथा बाद में भुगतान के बदले में बीज खरीदना पड़ता है। -इंद्रजीत

गत वर्ष के मुकाबले इस बार चकोरी की फसल तैयार होने के बाद डेढ़ माह से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन अभी भी सभी केंद्रों पर खरीद शुरू नहीं हुई है। इससे हमारी फसलें खेतों में ही खराब होने लगी हैं। प्रशासन को सभी केंद्रों पर चिकोरी की खरीद शुरू करानी चाहिए। -मूलचंद्र

अभी पिछली साल की चिकोरी ही हमारे घरों में रखी हुई है। वहीं इस बार भी अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई है। हमने चिकोरी का उत्पादन तो कर लिया। लेकिन अब उसे बेचने को लेकर परेशान हैं। गत वर्ष की तरह यदि इस वर्ष भी चिकोरी नहीं बिकी तो मजबूरन हमें भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। -जितेंद्र

अबकी बार क्षेत्र में चिकोरी की पैदावार अच्छी हुई है। लेकिन क्रय केंद्र संचालक किसानों से पूरी फसल नहीं खरीद रहे हैं। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। प्रशासन को बंद पड़े क्रय केंद्रों पर जल्द से जल्द चिकोरी की खरीद शुरू करानी चाहिए। जिससे कि हमें कम नुकसान उठाना पड़े।

-ब्रजकिशोर

पिछले वर्ष भी बारिश शुरू होने के कारण हमें काफी नुकसान उठा पड़ा था। इस वर्ष भी एक माह से ज्यादा समय बीत चुका है। लेकिन अभी तक सभी केंद्रों पर चिकोरी की खरीद शुरू नहीं हुई है। जिससे खेतों में चिकोरी सड़ने लगी है। यदि बारिश के शुरू हो गई तो हमें और अधिक नुकसान झेलना पड़ेगा। -खुशीराम

चिकोरी सड़ने की वजह से फसल का विक्रय मूल्य में भी 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट या जाती है। इसका नुकसान भी हम किसानों को ही झेलना पड़ता है। अभी तो चिकोरी कम खराब हो रही है। लेकिन यदि बारिश हो गई तो पूरी की पूरी फसल ही खराब हो जाएगी। प्रशासन को सभी केंद्रों पर खरीद शुरू करानी चाहिए। -दिलीप

क्रय केंद्र संचालक चिकोरी की फसल का भुगतान रोक लेते हैं। इससे हमें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भुगतान में देरी करके कई बार क्रय केंद्र संचालक बाद में चकोरी के बीज को खरीदने का दबाव बनाते हैं। इससे हमारी मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। -गोवर्धन

हिन्दुस्तान के बोले कासगंज अभियान के तहत जिले के चिकोरी किसानों ने शिरकत की। इस दौरान हुए संवाद में इन किसानों ने अपनी-अपनी समस्याओं को खुलकर रखा। साथ ही शासन और प्रशासन से मांग की कि उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल कराएं। संवाद के दौरान किसानों ने कई समाधान भी दिए।

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