बोले मथुरा: वक्त लगेगा... पर हम होंगे कामयाब एक दिन
Agra News - मथुरा में अटेवा से जुड़े संगठनों ने 26 सितंबर 2024 को एनपीएस-यूपीएस के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला। उन्होंने पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग की, जिसमें पांच हजार कर्मचारी शामिल हैं। संगठन का मानना...

मथुरा: अटेवा से जुड़े संगठनों ने 26 सितंबर 2024 को पूरे देश में एनपीएस-यूपीएस के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला गया और जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा। बावजूद इसके संगठन की आवाज को नहीं सुना जा रहा है। संगठन से जुड़े कर्मचारियों का कहना है कि जब तक पुरानी पेंशन योजना को बहाल नहीं किया जाता,तब तक उनका संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। अटेवा से विभिन्न कर्मचारी संगठनों के करीब पांच हजार कर्मचारी जुड़े हैं जो समय समय पर अपनी आवाज को बुलंद करते रहते हैं। अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु हैं। उत्तर प्रदेश में शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली और निजीकरण की समाप्ति के लिए सक्रिय रूप से वह लगातार संघर्षरत है। यह संगठन पुरानी पेंशन को कर्मचारियों का अधिकार मानता है, जो उन्हें बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। अटेवा पदाधिकारियों का मत है कि पेंशन विहीन शिक्षक या कर्मचारी का दर्द कोई नहीं सुन रहा है। बार-बार सरकार से गुहार कर रहे हैं। एनपीएस यूपीएस बुढ़ापे का सहारा नहीं है। ओपीएस ही बुढ़ापे की सच्ची लाठी है, जिसके सहारे कर्मचारी अपने जीवन के अंतिम पड़ाव को सुखमय गुजार सकता है। अन्यथा समाज में हो रहे विघटन को देखते हुए सेवानिवृति के बाद कर्मचारी को नई पेंशन के तहत जीवन यापन करना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए सरकार को सांसदों और विधायकों जैसी पेंशन कर्मचारियों को भी देनी चाहिए, तभी लोकतंत्र में जनता का हित सार्थक होगा। अन्यथा शक्तिशाली लोग ही लोकतंत्र का आनन्द लेते रहेंगे।
हिन्दुस्तान अखबार द्वारा आयोजित संवाद कार्यक्रम में कर्मचारी-शिक्षकों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली और निजीकरण की समाप्ति के लिए सक्रिय रूप से संघर्षरत हैं। यह संगठन पुरानी पेंशन को कर्मचारियों का अधिकार मानता है, जो उनके बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। अटेवा प्रतिवर्ष 1 अप्रैल को काला दिवस के रूप में मनाता है, क्योंकि इस दिन उत्तर प्रदेश में 2005 में पुरानी पेंशन योजना बंद कर दी गई थी। इस दिन शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करते हैं तथा पुरानी पेंशन की बहाली की मांग करते हैं। अटेवा पेंशन बचाओ मंच के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु हैं।
अटेवा के संगठन: पीडब्ल्यूडी के सभी संगठन, खंड शिक्षा अधिकारी संगठन, पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ, माध्यमिक शिक्षक संघ, लेखपाल संघ, सफाई कर्मचारी संगठन, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, टीएससी टी, विशिष्ट बीटीसी, उर्दू बीटीसी शिक्षक संघ, यूटा, ओटा, रेलवे, नर्सिंग और फार्मासिस्ट कर्मचारी संघ, आईटीआई कर्मचारी संघ, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, पशु कर्मचारी संघ आदि संगठन जुड़े हुए हैं।
सोशल मीडिया पर चलता है अभियान
अटेवा संगठन पुरानी पेंशन की बहाली के लिए सोशल मीडिया पर वोट फॉर ओपीएस चलाता है, जिसका मकसद राजनैतिक दलों का ध्यान संगठन की ओर आकर्षित हो। संगठन चाहता है कि उसकी मांग को राजनैतिक दल चुनावी मुद्दा बनाएं, जिससे उनकी समस्याओं का समाधान होने की आस बंधे। अपनी मांगों के लिए अटेवा के नेतृत्व में कर्मचारियों ने जन आक्रोश बाइक रैली निकाली और कलक्ट्रेट पर प्रदर्शनक कर ज्ञापन देकर पुरानी पेंशन की बहाली और एनपीएस की समाप्ति की मांग करता आ रहा है।
हम लोग भी बच्चों को शिक्षित कर शिक्षा के माध्यम से देश की सेवा कर रहे हैं। हमें भी बुढ़ापे में सुरक्षा चाहिए। पुरानी पेंशन हमारी मेहनत की गारंटी थी, जिसे सरकार ने खत्म कर दिया है। पुरानी पेंशन हर हाल में बहाल की जानी चाहिए।
-प्रदीपिका फौजदार, जिलाध्यक्ष अटेवा
नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) में कोई स्थिरता नहीं है। हमें नहीं पता रिटायरमेंट के बाद कितना पैसा मिलेगा। पुरानी पेंशन में कम से कम एक भरोसा था कि बुढ़ापा काटने के लिए हमें कुछ मिलेगा। सरकार ने हमारे बुढ़ापे की लाठी को छीन लिया है।
-प्रमोद पटेल, प्रदेश आईटी प्रभारी अटेवा
मैं जब नौकरी करता था, मुझे लगता था कि बुढ़ापे में कोई चिंता नहीं होगी, लेकिन एनपीएस ने मेरी सारी उम्मीदें तोड़ दी। पुरानी पेंशन बहाल हो, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां किसी अनिश्चितता का सामना न करें। हमारी मेहनत और सेवा को सम्मान चाहिए।
-अनुपम शर्मा
मैं जब नौकरी करता था, मुझे लगता था कि बुढ़ापे में कोई चिंता नहीं होगी, लेकिन एनपीएस ने मेरी सारी उम्मीदें तोड़ दी। पुरानी पेंशन बहाल हो, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां किसी अनिश्चितता का सामना न करें। हमारी मेहनत और सेवा को सम्मान चाहिए।
-अनुपम शर्मा
पुरानी पेंशन का मतलब सिर्फ एक वित्तीय सहायता नहीं, यह हमारी सामाजिक और मानसिक सुरक्षा की निशानी है। हम अपने भविष्य के लिए सरकार से सिर्फ इतना चाहते हैं कि हमारी मेहनत का फल हमें बुढ़ापे में मिलता रहे। इसके लिए संघर्ष जारी रहेगा।
-मनीष दयाल
हमने जीवनभर बच्चों को पढ़ाया, समाज की सेवा की, अब हमें बुढ़ापे में भी यही सुरक्षा चाहिए, जो हमारे पूर्वजों को मिली थी और मिल रही है। पुरानी पेंशन हमारी मेहनत का मान-सम्मान है। हम अपने हक को नहीं छिनने देंगे। इसके लिए सदैव संघर्ष करेंगे।
-सारिका सिंह
यह सिर्फ आंदोलन नहीं, एक संघर्ष है। सम्मानजनक वृद्धावस्था और आत्मसम्मान का संघर्ष है। ओपीएस सिर्फ पेंशन नहीं, हमारी सेवा की पहचान है। इस पहचान को हम मिटने नहीं देंगे। हमारा संघर्ष निरंतर जारी रहेगा।
-रेनूबाला सक्सेना
हम कोई व्यापारी नहीं हैं कि निवेश और जोखिम का गणित समझें। हमें तो हमारी सेवा के बदले जीवनभर की सामाजिक सुरक्षा चाहिए और वो ओपीएस से ही संभव है। सेवा निवृत्ति के बाद हमें हर माह एक निश्चित राशि चाहिए।
-गायत्री देवी
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