अम्बेडकरनगर-सियासी वादों की बयार में बुझ रही अग्निशमन केंद्र की आस
Ambedkar-nagar News - जहांगीरगंज में अग्निशमन केंद्र की मांग पिछले 30 वर्षों से की जा रही है। क्षेत्र के ग्रामीण हर चुनाव में वादों का सामना करते हैं, लेकिन केंद्र अभी तक नहीं खुला है। अग्निकांडों में लाखों का नुकसान होता...

जहांगीरगंज, संवाददाता। आलापुर विधानसभा क्षेत्र के पूर्वी अंचल तथा देवारांचल के लाखों ग्रामीणों की ब्लाक मुख्यालय तेंदुआईकला पर अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग बीते तीन दशक से अभी भी पूरी नहीं हुई है। तीन दशकों से उनकी यह आस वादों और सिस्टम की उदासीनता के बीच अधूरी है। चुनावी दौर में ग्रामीणों से मांग को पूरा करने का वादा सियासी दल करते हैं तो सिस्टम हर अग्निकांड के बाद आश्वासनों का झुनझुना थमा निकल जाता है। जी हां! जनपद मुख्यालय से सुदूर देवारांचल के साथ आलाुपर तहसील क्षेत्र के पूर्वी अंचल के वासियों की ब्लाक मुख्यालय तेंदुआईकला पर अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग काफी पुरानी है। देवारा क्षेत्र के वासियों के अलावा पूर्वी अंचल के ग्रामीणों की ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र की स्थापना की मांग यूं ही नहीं है। तहसील क्षेत्र में अग्निशमन केंद्र तहसील क्षेत्र के एकदम पश्चिमी छोर पर अछती में है, जिसकी दूरी क्षेत्र के राजेसुल्तानपुर, साबितपुर, गढ़वल, सिरसिया, बनकटा समेत अन्य इलाकों से लगभग 35 किमी से अधिक है। अग्निशमन केंद्र की जहांगीरगंज, देवरिया, गिरैया, कम्हरिया घाट, चांडीपुर, बंगालपुर समेत अन्य इलाकों से भी दूरी 15 से 25 किमी है। जिले के सुदूर आखिरी छोर पर स्थित मांझा कम्हरिया, आराजी देवारा, साबितपुर, बिजली पंडौली, बनकटा, सिरसिया समेत अन्य देवारा क्षेत्र में आग लगने पर जब तक अग्निशमन वाहन आता है तब तक सब कुछ खाक हो चुका होता है। अगर अग्निशमन केंद्र नजदीक रहता तो आग से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। ऐसे में ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग जनता एक लंबे अर्से से कर रही है, मगर उनकी मांग और आस दोनों ही अभी तक अधूरे हैं। जिले का पूर्वांचल तथा देवारांचल हर साल भीषण अग्निकांड की विभीषिका झेलता रहा है। इसके बावजूद इस समस्या के निदान के लिए न तो सियासत की और न ही सिस्टम की नजरें इनायत हो रही हैं।
इनसेट की खबरें
हो चुके हैं दर्जन भर से अधिक भीषण अग्निकांड
जिले के सुदूर ग्रामीण पूर्वी अंचल में लगभग हर साल ही तमाम भीषण अग्निकांड सामने आते रहते हैं, जिसमें लाखों रुपए की क्षति ग्रामीणों को होती है। बीते वर्ष 2023 में दीपावली के दिन ही देवारांचल के मांझा कम्हरिया में आग लगने से दो घर खाक हो गए थे। 2023 के मई महीने में भी माझा कम्हरिया के एक पुरवे में सात ग्रामीणों के आशियाने खाक हो गए थे। इसके अलावा बड़ी घटनाओं में मांझा कम्हरिया के कल्लू का पुरवा में वर्ष 2012 में लगी आग में 30 परिवारों की गृहस्थी राख हो गई थी। कल्लू का पुरवे में ही वर्ष 2015 में लगी भीषण आग में भी 26 घर राख हो गये थे। अशरफाबाद गांव में फरवरी 2020 में पोल्ट्री फार्म में आग लगने से लगभग 65 लाख रुपये कीमत के लगभग दस हजार तैयार मुर्गे एवं चूजे जलकर भस्म हो गए। अराजी देवारा गांव के प्रसाद कुर्मी का पूरा में अप्रैल 2022 में तीन घरों की गृहस्थी खाक हो गई। इसी दिन भभौरा गांव में शेषनाथ उपाध्याय के घर में शॉर्ट सर्किट से लगी आग में लाखों रुपए का गृहस्थी का सामान राख हो गया। खिदिरपुर गांव में आचार्य राकेश कुमार पांडेय के घर में जुलाई 2021 में शार्ट सर्किट के चलते लगी आग में ढाई लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ था। भदया गांव में दिसम्बर 2019 में खाना बनाते समय सिलेंडर फटने से लगी आग में तीन आशियाना खाक हो गए। गोपालपट्टी मिश्रौलिया गांव में मई 2019 में एक मकान के साथ ही तीन झोपड़ियां जलकर खाक हो गईं। श्यामपुर अलउपुर गांव में मई 2019 में विद्युत तार टूट कर छप्पर पर गिर जाने से लगी आग की चपेट में आने से आधा दर्जन लोगों के छप्पर नुमा मकान खाक हो गए। मंसूरगंज गांव में झोपड़ी में जनवरी 2019 में आग लगने से आधा दर्जन से अधिक बकरियां, डेढ़ दर्जन से अधिक मुर्गियों समेत अन्य सामान खाक हो गए। जल्लापुर गांव में मार्च 2020 में शार्ट सर्किट के चलते लगी आग में एक दिव्यांग की पूरी गृहस्थी खाक हो गई। लगभग हर साल आग लगने से इन इलाकों में तमाम लोगों की घर गृहस्थी खाक हो जाती है। अग्निकांडों में हर साल पूरे क्षेत्र में लाखों रुपए की क्षति होती है।
अग्निशमन केंद्र खुलने से जान माल की होगी बचत
जहांगीरगंज ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र खोलने की मांग पूरी न होने से क्षेत्रीय नागरिकों में रोष व्याप्त है। नौजवान भारत सभा के प्रभारी मित्रसेन का कहना है कि सियासी दल के लोग हर बार जनता को इस मुद्दे पर छलते हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र खोलने का वादा करते हुए भाजपा ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी दिया था लेकिन छह साल बीत गए उसका वादा वादा ही रह गया। आराजी देवारा गांव निवासी संतोष यादव का कहना है कि जनता की जायज मांग को भी जनप्रतिनिधि दरकिनार कर देते हैं। ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र खुलने से जनता को आग से बचाव में मदद मिलती मगर इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। समाजसेवी भावेश सिंह गंगे का कहना है कि क्षेत्र में हर साल अग्नि देवता का कहर बरपता है। अछती अग्निशमन केंद्र लगभग 40 किमी दूर है वहां से जब तक फायर बिग्रेड वाहन आता है तब तक दर्जनों घर जल जाते हैं। ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र होता तो कम क्षति होती। तेंदुआईकला के पूर्व प्रधान महेंद्र यादव का कहना है कि ब्लाक मुख्यालय पर अग्निशमन केंद्र खोलने के लिए जमीन भी उपलब्ध है। अग्निशमन केंद्र खुलने से हर होने वाले आर्थिक नुकसान से बचत हो जाती।
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