Impact of Rising Temperatures on Mango Crop Health and Production चढ़ते पारे के बीच आम की सेहत के प्रति लापरवाही बरती तो होगा नुकसान, Amroha Hindi News - Hindustan
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चढ़ते पारे के बीच आम की सेहत के प्रति लापरवाही बरती तो होगा नुकसान

Amroha News - अमरोहा/हसनपुर, हिटी। चढ़ते पारे के बीच आम की सेहत के प्रति लापरवाही नुकसान का सबब बन सकती है। फिलहाल आम तेजी से वृद्धि कर रहा है। ऐसे में समय पर सिंच

Newswrap हिन्दुस्तान, अमरोहाFri, 18 April 2025 04:44 AM
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चढ़ते पारे के बीच आम की सेहत के प्रति लापरवाही बरती तो होगा नुकसान

चढ़ते पारे के बीच आम की सेहत के प्रति लापरवाही नुकसान का सबब बन सकती है। फिलहाल आम तेजी से वृद्धि कर रहा है। ऐसे में समय पर सिंचाई करने के संग पोषण का ध्यान नहीं रखा गया तो बढ़वार प्रभावित होगी, सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। उद्यान वैज्ञानिकों के मुताबिक मध्य अप्रैल के बाद आम तेजी से वृद्धि करता है। उधर, इस समय तापमान में भी दिन ब दिन इजाफा शुरू हो जाता है। हवा भी गर्म हो जाती है। ऐसे में फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत पड़ती है। भूमि में नमी होने से पौधे का तापमान मेंटेन रहता है। ऐसे में अगर समय पर सिंचाई नहीं की गई तो आम भरपूर वृद्धि नहीं कर पाता है। लंबे समय तक सिंचाई को इग्नोर किया गया तो डंठल कमजोर पड़ने की वजह से आम जमीन पर गिर जाता है। हर हफ्ते सिंचाई से गर्मी व हीट वेव का दुष्प्रभाव नहीं होता। जिला उद्यान अधिकारी डा.संतोष कुमार ने बताया कि अप्रैल माह में सप्ताह में एक बार गहरी सिंचाई करें। फल वृद्धि के दौरान पौधे को अधिक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इस समय नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाशयुक्त उर्वरकों का उचित प्रयोग करें। बोरॉन और जिंक सल्फेट का छिड़काव करने से फलों का गिरना कम हो जाता है।

फरवरी-मार्च माह में बौर बनने के दौरान अनुकूल रहा मौसम

हसनपुर। आम की फसल पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। फरवरी-मार्च माह में बौर बनने के दौरान मौसम नासाज होने बौर बनने की प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है। हालांकि, इस बार मौसम ने फरवरी-मार्च माह में उत्पादकों का साथ दिया। मौसम अनुकूल होने से भरपूर बौर आया। जिसके चलते अच्छी पैदावार की उम्मीद बंधी है।

दूसरे सूबों संग बांग्लादेश व खाड़ी देशों को होता है आम का निर्यात

हसनपुर। मैंगो बेल्ट के नाम से मशहूर अमरोहा जनपद में 20 हजार हेक्टेयर से अधिक में आम के बागान हैं। यहां लंगडा, दशहरी, चौसा, फजरी, मल्लिका, हुस्नआरा, नियादर मनोटा समेत आम की 30 से अधिक मुख्य प्रजातियां हैं। जनपद से कई सूबों के संग पड़ोसी देश बांग्लादेश व खाड़ी के देशों को आम निर्यात किया जाता है। जनपद के एक लाख से अधिक लोगों की रोजी-रोटी प्रत्यक्ष रूप से आम की फसल पर निर्भर है।

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