Tragic Suicide of Medical Store Owner Due to Debt Family in Mourning कर्ज के बोझ तले दबे मेडिकल स्टोर संचालक ने फांसी लगाकर जान दी, Amroha Hindi News - Hindustan
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कर्ज के बोझ तले दबे मेडिकल स्टोर संचालक ने फांसी लगाकर जान दी

Amroha News - शनिवार सुबह नौरंग, जो शाहपुर खुर्द में मेडिकल स्टोर चलाता था, का शव आम के पेड़ पर लटका मिला। सुसाइड नोट में 11 लाख रुपये के कर्ज का जिक्र किया गया है। परिजनों का कहना है कि नौरंग कर्ज के बोझ तले दबा...

Newswrap हिन्दुस्तान, अमरोहाSun, 4 May 2025 04:47 AM
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कर्ज के बोझ तले दबे मेडिकल स्टोर संचालक ने फांसी लगाकर जान दी

मेडिकल स्टोर संचालक का शव शनिवार सुबह घर के नजदीक आम के पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी के सहारे लटका मिला। उसकी जेब से सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें कर्ज के बोझ तले दबे होने की वजह से सुसाइड करने की बात कही गई है। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। कोतवाली क्षेत्र के गांव शाहपुर खुर्द निवासी 35 वर्षीय नौरंग पुत्र चेतराम शुक्रवार रात किसी समय घर से निकल गया। सुबह में खेतों पर जा रहे ग्रामीणों ने घर से 50 मीटर की दूरी पर आम के पेड़ पर रस्सी के सहारे नौरंग का शव लटका देख गांव में खबर की।

परिवार व गांव के तमाम लोग मौके पर पहुंच गए। परिजनों में कोहराम मच गया। सूचना पर कोतवाली पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। तलाशी के दौरान पुलिस को मृतक की जेब से सुसाइड नोट बरामद हुआ, जिसमें उस पर 11 लाख रुपये का कर्ज होने की बात कहते हुए सुसाइड करने का जिक्र किया गया है। अपील की गई है कि उसके परिजनों को कर्ज अदायगी के लिए परेशान न किया जाए। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा। मृतक अपने पीछे पत्नी प्रियंका, मासूम बेटे विनीत व बेटी वंदनी और निधि को रोते-बिलखते छोड़ गया है। परिजनों के मुताबिक नौरंग पर काफी कर्ज था। कोतवाल वरुण कुमार ने बताया कि मामला सुसाइड का है। मृतक एक सुसाइड नोट छोड़ गया है, जिसमें लिखा है कि मेरे ऊपर 11 लाख का कर्ज है। मेरे घर वालों को परेशान ना किया जाए। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। कोई और रास्ता नहीं दिखा तो चुनी मौत हसनपुर। बताया जा रहा है कि शाहपुर कला गांव में मेडिकल स्टोर चलाने वाले नौरंग ने कई लोगों से कर्ज लिया था। सूत्रों के मुताबिक कुछ लोन नौरंग ने मेडिकल के लिए लिया था जबकि कुछ रुपये उसने गलत संगत में उड़ा दिए। जिसके चलते वह कर्ज के बोझ से लगातार दबता गया। मेडिकल स्टोर से इतनी आमदनी नहीं थी कि वह घर चलाने के संग कर्ज भी उतार सके। नौरंग का कोई ओर रास्ता दिखाई नहीं दिखा तो उसने अपनी जीवन लीला ही खत्म करना बेहतर समझा। उसकी मौत से परिजन बेहाल हैं।

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