अर्मापुर एनकाउंटर फर्जी था, कानपुर पुलिस अपने ही मालखाने से लाई थी कट्टा
- यूपी के कानपुर में पांच साल पहले किया गया अर्मापुर पुलिस एनकाउंटर फर्जी था। इसका खुलासा कोर्ट में उस कट्टे (देसी तमंचा) से हुआ, जो 2014 के एक केस की कोर्ट प्रॉपर्टी के रूप में पुलिस के ही मालखाने में जमा था। कानपुर पुलिस अपने ही मालखाने से कट्टा लाई थी।
यूपी के कानपुर में पांच साल पहले दो थानों की पुलिस द्वारा किया गया अर्मापुर एनकाउंटर फर्जी निकला। सुनवाई के दौरान इसका खुलासा एडीजे विनय सिंह की कोर्ट में उस कट्टे (देसी तमंचा) से हुआ, जो 2014 के एक केस की कोर्ट प्रॉपर्टी के रूप में पुलिस के ही मालखाने में जमा था। पुलिस ने वही कट्टा अर्मापुर के अभियुक्तों से बरामद दर्शा दिया और उस पर दर्ज पुराने केस का कोड तक मिटाना भूल गई। उसी कोड से कट्टे की पहचान हो गई। कोर्ट ने इसमें गोली मार कर पकड़े गए दोनों आरोपितों को बरी करते हुए पुलिस कमिश्नर को जांच का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कोर्ट लिपिक को भी मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
ऐसे लिखी फर्जी एनकाउंटर की स्क्रिप्ट
दर्ज रिपोर्ट मुताबिक 21 अक्तूबर 2020 को नजीराबाद इंस्पेक्टर ज्ञान सिंह मरियमपुर तिराहे पर चेकिंग कर रहे थे। उन्हें काकादेव की ओर से बाइक सवार दो लोग आते दिखे। रोकने पर वे भागे और अर्मापुर की ओर मुड़ गए। सूचना पर अर्मापुर एसओ अजीत वर्मा ने आगे से घेराबंदी की। केंद्रीय विद्यालय के पास दोनों गिर पड़े तो पुलिस ने सरेंडर को कहा। दोनों ने कट्टों से फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में दोनों के पैर में गोलियां लगीं। पुलिस के मुताबिक दोनों चेन लुटेरे थे। उनसे दो कट्टे, कारतूस, लूटी गई चेन बरामद हुई। उनकी पहचान कल्याणपुर निवासी अमित और कुन्दन सिंह के रूप में हुई थी। दोनों पर अलग-अलग दो मुकदमे दर्ज हुए। केस में चार जनवरी 2021 को चार्जशीट दाखिल की। 27 मई 2022 को सुनवाई शुरू हो गई।
2014 में पकड़ा गया कट्टा 2020 में कैसे पकड़ा
कोर्ट में पूरा खेल तब खुला जब बरामद कट्टे पर ‘वस्तु प्रदर्श एक सीएमएम केएनआर 13/5/2014’ लिखा दिखाई दिया। बचाव पक्ष ने कहा कि यह कट्टा 2014 में किसी अभियुक्त से बरामद हुआ था। उसने 25 मई 2018 का कोर्ट का आदेश भी पेश किया, जिसमें ऋषभ श्रीवास्तव के पास से यही कट्टा बरामद दर्शाया गया था। बाद में कोर्ट ने ऋषभ को बरी कर दिया था।
कोर्ट ने उठाया सवाल, कट्टा नष्ट क्यों नहीं किया
कोर्ट ने सवाल उठाया कि कट्टा केस के फैसले के बाद नियमानुसार नष्ट कर दिया जाना चाहिए था। ऐसा न करके पुलिस ने इसे मालखाना या अन्य प्रकार से प्राप्त किया और आरोपियों से झूठी बरामदगी दिखा दी। अभियोजन कोर्ट में अमित सिंह और कुन्दन सिंह द्वारा पुलिस टीम पर फायरिंग साबित नहीं कर सका। केस में इंस्पेक्टर नजीराबाद ज्ञान सिंह, इंस्पेक्टर अजीत कुमार, इंस्पेक्टर अजय प्रताप, विवेचक अमित तोमर, हेड कांस्टेबल बृजेश कुमार, राजेश सिंह, बाल मुकुंद पटेल, अभिषेक कुमार और यशपाल सिंह समेत 10 लोगों ने कोर्ट में एनकाउंटर की तस्दीक की थी।