बोले अयोध्या-ऑनलाइन बढ़ा कारोबार, चिंता में पुस्तक दुकानदार
Ayodhya News - अयोध्या में 3000 से अधिक विद्यालय हैं, जिनकी पाठ्यपुस्तकों की बिक्री से दुकानदारों का व्यापार प्रभावित हो रहा है। एनसीईआरटी की ऑनलाइन किताबों की उपलब्धता से दुकानदारों की चिंता बढ़ गई है। स्कूलों के...

अयोध्या में 3000 से अधिक विद्यालय प्री प्राइमरी से लेकर इंटर तक संचालित हैं। हर साल से जिले में 20 करोड़ से अधिक का कारोबार दुकानों से पाठ्स पुस्तकों, कापियों और स्टेशनरी की बिक्री से होता रहा है। लेकिन अब एनसीईआरटी की किताबें भी ऑनलाइन उपलब्ध होने से दुकानदारों की चिंता अपने व्यावसाय को बचाने की है। बाजार में उपलब्ध किताबों के व्यावसाय को ऑनलाइन पुस्तकों के कम दाम बड़ी चुनौती दे रहे हैं। हालांकि ऑनलाइन पुस्तकें खरीदने वाले ग्राहक पुस्तकों की डुप्लीकेसी से बेखबर हैं। दुकानदारों का कहना है कि ऑनलाइन बिक्री का बढ़ते चलन से किताब की दुकान चलाकर अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। कॉलेज में शैक्षणिक सत्र समाप्ति की ओर है। मार्च का महीना समाप्त होने को है। अप्रैल से नया सत्र शुरू हो जाएगा लेकिन किताब की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ नहीं है। पूंजी लगाकर बैठे दुकानदारों की किताबें व कॉपियां नहीं बिक रही हैं। पहले फरवरी का महीना चढ़ने के साथ ही दुकानों पर रौनक आ जाती थी। दर्जनों की संख्या में ग्राहक सुबह से लेकर रात तक किताब-कॉपी से लेकर पेंसिल और बैग के लिए खड़े रहते थे। यहां तक की अतिरिक्त स्टाफ रखना पड़ता था। लेकिन अब ग्राहकों के लाले पड़ गए हैं। व्यावसाय गिरने से दुकानों पर कार्यकरने वाले कर्मचारियों की भी छटनी होने लगी है। इसके चलते सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
दूसरी ओर निजी विद्यालय अपने स्कूल में ही किताब और कॉपी की दुकान खोलकर बैठे हैं। यहां वे अपने विद्यालय का नाम छपवाकर कापियां बेच रहे हैं। किताब दुकानदार बताते हैं कि जिस कॉपी को हम 20 रुपये में बेचते हैं। दर्जनों निजी विद्यालय कॉपी पर अपने विद्यालय का नाम छापकर उसी कॉपी को 60 से 80 रुपये में बेच रहे हैं। इसका सीधा असर अभिभावकों की जेब पर पड़ रहा है। कक्षा छह से 12 तक की जिन पाठ्य पुस्तको का एक सेट दुकानों पर 2000 से 2800 रुपए तक मिल जाया करता था, वही किताब कापियों सेट विद्यालयों द्वारा बच्चों और अभिभावकों पर दबाव बनाकर 3500 से 4800 तक जाता है कि उनके विद्यालय की दुकान से ही सामान की खरीदारी करनी है। यही हाल प्राइमरी स्कूलों का भी है। शहर के सबसे बड़े पुस्तक विक्रेता अजय अग्रवाल कहते हैं कि ऑनलाइन सिस्टम के चलते दुकानदारों को लगभग 60 प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऑनलाइन पुस्तक विक्रेता छात्रों को भ्रमित करके मार्केट का ध्वस्तीकरण कर रहे हैं।
स्कूलों के बाहर लग गए ‘प्रवेश प्रारंभ के बैनर: प्राइमरी से लेकर इंटर तक के शैक्षिक सत्र 2024-25 का लगभग समापन हो गया है। निजी और सरकारी स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। नर्सरी से लेकर पांचवीं तक जहां प्राइवेट पब्लिक स्कूलों में प्रवेश के लिए प्रचार प्रसार किया जा रहा है। वहीं यूपी बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड से संचालित माध्यमिक विद्यालयों में भी कक्षा छह, सात आठ व नौ और कक्षा में प्रवेश के लिए आवेदन मांगे जा रहे हैं। प्रवेश के लिए विद्यालयों में बैनर और पोस्टर लगाकर विद्यालय की सुविधाओं का भी बखान किया गया है। विद्यालयों में अभिभावकों की सूचना के लिए विद्यालय परिसर के बाहर बैनर लगा रखे हैं। वहीं पाठ्य पुस्तकों की दुकानों पर भी विभिन्न प्राइवेट विद्यालयों की किताबों की उपलब्धता के बैनर लग गए हैं। मार्च माह के अंतिम सप्ताह में विद्यालयों में बच्चों का प्रवेश कराने के लिए अभिभावक किताब कापियां, यूनीफार्म, जूते और मोजे खरीदने दुकानों पर पहुंच रहे हैं। हालांकि बहुत अभिभावकों द्वारा बाजार की भीड़भाड़ और समय की बचत के लिए जूते मोजे भी ऑनलाइन मंगाये जाने लगे हैं। लेकिन यूनिफार्म चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध हैं।
बोले जिम्मेदार-
कोई भी राजकीय या अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय हो, वह स्कूल से किताबें बेचने का कार्य नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा यूपी बोर्ड के दूर दराज के ग्रामीण में स्थित स्कूलों भी इस तरह की प्रवृत्ति नहीं है। ऐसी कोई सूचना यूपी बोर्ड के स्कूलों के बारे में नहीं मिली है। हमने कई गांव के स्कूल देखे हैं। वहां ऐसा कुछ नहीं दिखा। अगर सीबीएसई बोर्ड के विद्यालयों में ऐसी प्रवृत्ति है तो उसके बारे मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता है। अगर यूपी बोर्ड के स्कूलों में इस तरह की प्रवृत्ति का पता चलता है तो कठोर कार्रवाई की जाएगी। जहां तक पुस्तक विक्रेताओं को ऐसी कोई समस्या लगती है तो वह हमसे आकर मिलें और बताएं तो हम सम्बिन्धत के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे।
-डॉ.पवन कुमार तिवारी, डीआईओएस
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