गंदगी और खराब सड़कें झेल रहे सैकड़ों सिंधी परिवार
Ayodhya News - अयोध्या के रामनगर कालोनी में नागरिकों को गंदगी, पेयजल की कमी, और सड़कें जर्जर होने की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चुनावों के दौरान लोगों को वोट बैंक समझा जाता है, लेकिन चुनाव के बाद उनकी...

अयोध्या। रामनगर कालोनी सत्ताधारी दल के लिए चुनाव में एक बड़ा हिस्सा वोट के लिहाज से मुफीद रहता है। वह चाहे लोकसभा का चुनाव हो या विधान सभा का या फिर नगर निगम महापौर का। हर चुनाव में यहां के लोग राष्ट्रीय पर्व में बढ़चढ़कर भागीदारी करते हैं। 70 प्रतिशत से अधिक मतदाता शहर की सरकार चुनने में भागीदारी करते हैं। लेकिन चुनाव होने के बाद शहर की सरकार या जनप्रतिनिधि, इस कालोनी के लोगों और यहां के विकास और नागरिक सुविधाओं के प्रति मुह फेर लेते हैं। यही वजह है कि यहां पर रहने वाले सिंधी समाज के सैकड़ों परिवारों को गंदगी और पेयजल के साथ अन्य तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। सड़कों का बुरा हाल है। सड़ंके जर्जर अवस्था में है। नालियां खुली पड़ी हैं। रामनगर कालोनी में खाद गोदाम के पीछे बना नाला भरा हुआ है। यहां नाले के ऊपर मकानों मलबा लदा है।
स्थानीय लोग जब एकत्र हुए तो हर किसी की जुबान पर शिकायतों का अम्बार था। झूलेलाल वार्ड में आनेवाली रामनगर कालोनी के पीछे प्रियदर्शिनी कालोनी, मुरावन टोला में गंदगी का साम्राज्य है। हर तरफ कूड़े का ढेर लगा रहता है। 15-15 दिनों बाद कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम की गाड़ी आती है। हालांकि झाडू़ रोज लगती है। लेकिन समस्याओं से इस कालोनी का पिंड नहीं छूट रहा है। वार्ड के पार्षद अभिनव द्वारा एक वाट्सअप ग्रुप बनाया गया है जिसमें वार्ड के 261 नागरिक सीधे जुड़े हैं। इस वाट्सअप ग्रुप पर कोई दिन ऐसा नहीं रहता जिस दिन कूड़ा न उठने, घर से कूड़ा उठाने वाले कर्मचारी न आने, कूड़े का ढेर लगा रहने, पाइप लाइन लीके रहने और नालियों की सफाई न होने की शिकायत न होती हो। मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान हैं। पूर्व सभासद मुस्कान सावलानी कहती हैं कि कूड़ा हफ्ते में दो ही बार उठाया जाता है। बिजली के खम्भों पर लाइटें खराब रहती हैं। बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई ठीक करने नहीं आता है। कूड़ा उठवाना हो या नालियों की सफाई का कार्य इसकों बराने के लिए नगर निगम के अधिकारियों की खुशामद करनी पड़ती है। पिछले माह 30-31 मार्चको झूलेलाल चेट्टी चंड महोत्सव था। जब कोई कार्य नहीं कराया गया तो चिल्लाने और दौड़ने के बाद बड़ी मुश्किल से सफाई करवाई गई थी। पार्षद एक बार भी वार्ड के भ्रमण पर नहीं निकलते केवल वाट्सअप पर काम कराते हैं लोगों से मिलने नहीं निकलते। यही हाल महापौर का भी है। सिंधी समाज को वोट बैंक समझकर हर कोई चला आता है, लेकिन जब सुविधाओं की जरूरत होती है तो कोई सुनने वाला नहीं दिखता।
छुट्टा मवेशियों और बंदरों के आतंक से कालोनीवासी परेशान:यही नहीं कालोनी में छुट्टा मवेशियों का हर समय जमघट रहता है। यह मवेशी अक्सर दुकानों का बाहर रखा सामान घसीटकर नष्ट कर देते हैं। यही नहीं, कालोनी के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। सैकड़ों बंदर कालोनी में हर समय जमे रहते हैं और उत्पात मचाते रहते हैं। लोगों ने बंदरों से खुद की सुरक्षा के साथ मकानों की छतों को भी जालिया लगवाकर सुरक्षित करने का प्रयास किया है। लगभग 80 प्रतिशत मकानों की छतों और छज्जों पर लोगों ने जालियां लगा रखी हैं। बंदरों का आलम यह है कि राह चलते लोगों का सामान छीन लेते हैं। कपड़े उठा ले जाते हैं या फाड़ देते हैं। अक्सर यह बंदर राहगीरों को दौड़ा लेते हैं जिससे कई बार महिलाएं भागने में गिरकर चोटहिल हो चुकी हैं।
पाइप लाइन में लीकेज से कई दिन तक नहीं आता पानी:सफाई कर्मी आते हैं केवल झाडू़ लगाकर चले जाते हैं। 14 कोसी परिक्रमा मार्ग पर आए दिन पेयजल पाइप लाइन टूटती रहती है। लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों से शिकायत करने के बाद भी जल्द टूटी लाइन दुरुस्त नहीं होती है, जिससे कालोनी में कई-कई दिनों तक पानी नहीं आता। अगर लोगों के यहां संबरसेबल पम्प न हो तो हम लोग पानी को तरस जाएं। कालोनी भर में सात हैंडपम्प लगे हैं जिसमें केवल एक चल रहा है शेष छह हैंडपम्प न जाने कब से खराब पड़े हैं। कुछ तो खत्म ही हो गए हैं। झूलेलाल महोत्सव के 20 दिन बाद भी मुरावन टोला में कूडे़ का ढेर पड़ा रहा। बड़ी मुश्किल से सफाई करवाई गई। वार्ड में 60 प्रतिशत स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। कोई स्ट्रीट लाइट खराब होती है तो उसकी शिकायत की जाती है लेकिन लाइटबनाने वाले कर्मचारी तीन-चार दिन तक नहीं आते हैं।
खुला पड़ा है ट्रांसफार्मर:रामनगर कालोनी स्थित मैदान में बने प्रभु झूलेलाल मंच परिसर में एक कोने पर ट्रांसफार्मर लगा है। इस ट्रांसफार्मर के दो तरफ जालियां लगी हैं। लेकिन वह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गयी हैं। मंच की ओर से से जाली नहीं लगी है। इस ओर खुले हुए ट्रांसफार्मर के सामने ही सिंधी समाज के बच्चे खेलते कूदते हैं, जिन्हें खुले हुए ट्रांसफार्म से उठने वाली चिंगारी और करंट लगने से झुलसने का भय बना रहता है। इसी ट्रांसफार्मर से सटा कूडे़ का ढेर भी लगा रहता है, जो कई-कई दिनों तक उठता नहीं है। आसपास के दुकानदारों का कहना है कि दुकान के ऊपर से ही मोटी मोटी कई एबीसी विद्युत भी ट्रांसफार्मर तक गई है जिससे बड़ी घटना की आशंका बनी रहती है।
गैस पाइप लाइन बनी शो पीस :शहर में कुछ कालोनियां ऐसी हैं जहां रसोई गैस सीधे सप्लाई करने के लिए पाइप लाइने बिछायी गयी थीं। इसका कनेक्शन कालोनी में हर घर को दिया गया था। लेकिन विगत तीन साल पहले लगायी गयी रसोई गैस पाइप लाइन में आज तक गैस की सप्लाई ही नहीं हो सकी है। यही वजह है कि जिन घरों में रसोई गैस की सप्लाई लाइन लगी है, वह अब जंग खाकर जर्जर हो रही है। कुछ लोगों ने पाइप लाइनों को ही हटा दिया है। कालोनी में भी लगभग सभी मकानों के बाहर दीवारों पर रसोई गैस का कनेक्शन है लेकिन पिछले तीन वर्षों पूर्व जब से यह गैस पाइप लगी है तब से किसी घर में रसोई गैस की सप्लाई नहीं हो पायी है।
बोले जिम्मेदार: नगर स्वास्थ्य अधिकारी आरएम शुक्ला का इस बारे में कहना है कि ऐसा नहीं है कि शिकायत मिलने के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं होता है। हमारा आदमी झाडू़ लगाने जाता है जो झाडू लगायेगा वह कूड़ा भी उठायेगा। वहां जो बड़े डस्टबिन रखे गए हैं वहां कभी कभी यह होता है कि बंदर उसे बिखेर देते हैं। व्यवस्थाएं बेहतर करने के लिए मैं शहर में लगातार भ्रमण कर रहा हूं। जनता से भी अपील है कि इधर उधर कूड़ा न फेंके।
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