Collective Yajnopavit Ceremony for Brahmin Students in Ayodhya वेदपाठी ब्राह्मण बालकों के लिए यज्ञोपवीत संस्कार अनिवार्य: किलाधीश, Ayodhya Hindi News - Hindustan
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वेदपाठी ब्राह्मण बालकों के लिए यज्ञोपवीत संस्कार अनिवार्य: किलाधीश

Ayodhya News - अयोध्या में आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला में सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न हुआ। इस अवसर पर लक्ष्मण जिलाधीश महंत श्री शरण ने बटुक ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार से ही...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याWed, 16 April 2025 12:55 AM
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वेदपाठी ब्राह्मण बालकों के लिए यज्ञोपवीत संस्कार अनिवार्य: किलाधीश

अयोध्या,संवाददाता।आचार्यपीठ श्री लक्ष्मणकिला में किलाधीश महंत मैथिली रमण शरण व अधिकारी सूर्यप्रकाश शरण के संयोजन में श्री रामलला वैदिक गुरुकुल पाठशाला के बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार संपादित कराया गया। आचार्य सदाशिव तिवारी के आचार्यत्व में आयोजित इस यज्ञोपवीत संस्कार के मौके पर बटुक ब्रह्मचारियों को लक्ष्मण जिलाधीश महंत श्री शरण ने दीक्षोपदेश दिया। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार के बाद ही ब्राह्मण बालक द्विज कहलाते हैं और वह वेद-पाठ के अधिकारी होते हैं। उन्होंने कहा कि वैदिक परम्परा में आठ वर्ष की आयु तक ब्राह्मण बालक का यज्ञोपवीत हो जाना चाहिए अन्यथा वह वेद पाठ के अयोग्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि हिन्दू परम्परा में जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कारों का वर्णन मिलता है। इनमें यज्ञोपवीत संस्कार का बड़ा महत्व है और इस महत्व को सभी माता- पिता व अभिभावक को समझना चाहिए। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि तभी आपके बच्चे सुसंस्कारित जीवन जीते हुए कुल, समाज और देश के प्रति अपने कर्तव्यों को जानकर उसका निर्वाह कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यज्ञोपवीत संस्कार से ही बच्चों को बुद्धि, बल और तेज आएगा। उन्होंने कहा कि ब्राह्मण का शस्त्र ही उसकी वाणी है और उसके वाणी की ओजस्विता वेदाध्ययन से ही आएगी।

इस मौके पर अधिकारी सूर्य प्रकाश शरण ने कहा कि

" ऊं यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं, प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्,

आयुष्यमग्र्यं प्रतिमुञ्च शुभ्रं, यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेजः.." अर्थात यह यज्ञोपवीत जो बहुत पवित्र है और शुरुआत में प्रजापति से उत्पन्न हुआ है, जो नौ धागों को मिलाकर बनाया गया है। यह तीन गुणों (त्रिगुणों) का प्रतिनिधित्व करता है और देवताओं को समाहित करता है। इस मौके पर कानपुर से महंत सीताकांत शरण, सतगुरु कुटी के महंत अवध किशोर शरण, महंत अमित कुमार दास, आचार्य शिव शंकर बाजपेई, महंत अवध बिहारी शरण, आचार्य ऋषि शरण, काशी के आचार्य प्रियांश धर द्विवेदी, आचार्य आलोक मिश्र व वशिष्ठ दास सहित सैकड़ो श्रद्धालु शिष्य परिकर मौजूद रहे।

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