बोले अयोध्या: जल दोहन के साथ उसके संरक्षण पर भी ध्यान दें
Ayodhya News - अयोध्या में जल संरक्षण की आवश्यकता बढ़ रही है क्योंकि जल स्तर लगातार गिर रहा है। बारिश के दौरान बाढ़ और गर्मियों में सूखे की समस्या सामने आ रही है। सरकारी योजनाओं के अंतर्गत जल संचयन के उपाय किए जा...

अयोध्या। पुराने समय से जल ही जीवन का नारा चल रहा है। वैश्विक स्तर पर निरंतर कम हो रहे जल को लेकर चिंतन-मंथन जारी है और देशों के लिए जल स्तर को बचाए रखने के लिए तमाम प्रतिबंध और हिदायत जारी की गई है। जल सरक्षण के लिए बजट दिया जा रहा है और उपायों के अनुपालन में कोताही अथवा ढिलाई पर दंड की व्यस्वस्था है। दिनोंदिन गिरता जल स्तर प्राकृतिक रूप से संपन्न इस क्षेत्र के लिए भी बड़ी समस्या बनकर उभरा है। घाघरा (सरयू),गोमती ही नहीं तमसा और विसुही समेत कई नदियों का प्रवाह यहां से होकर जाता है।
बरसात में बाढ़ की विभीषका झेलनी पड़ती है और गर्मी में सूखे की मार। बरसाती सीजन में नदियों के आसपास का इलाका समुद्र का रूप अख्तियार कर लेता है लेकिन संरक्षण और संचयन की कमी के कारण गर्मी में फसलें सूखने लगती हैं और किसानों में हाहाकार मच जाता है। हाल यह होता है कि कभी निवासियों के लिए पानी की अधिकता संकट बन जाता है कभी इसी पानी की कमी अन्नदाता की कमर तोड़ देता है। आबादी और उद्योग के विस्तार के साथ जल की मांग कई गुना बढ़ी है लेकिन उस हिसाब से जल संरक्षण और संचयन की व्यवस्था नहीं हो पाई। अतिक्रमण और अवैध कब्जे के कारण कई पौराणिक और ऐतिहासिक नदियों का अस्तित्व ही खत्म हो गया तो कई नाला और नाली में तब्दील हो गई। परंपरागत रूप से इस्तेमाल होने वाले तालाब और पोखरों तथा झीलों का भी लगभग थी हाल हुआ। आम जन की जरूरतें बदली तो ताल-पोखरा,झील और कुआँ से लगाव भी खत्म हो जाएगा। इनमें से हर साल मिटटी निकालने की प्रक्रिया बाधित हुई तो वर्षा जल के संचयन के लिए संपन्न होने वाली रिचार्जिग की प्रक्रिया भी बाधित हो गई। परिणाम यह हुआ कि पीढ़ियों तक जल का स्रोत बने रहे तालाब और पोखरा ही नहीं सूखने लगे बल्कि जिले की नामचीन नदियों भी जल की कमी का शिकार होने लगीं। हाल यह है कि घाट से सरयू काफी दूर चली गई है। गुप्तारघाट पर तो श्रद्धालुओं के स्नान के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए पूरी धारा को बांधना पड़ा है। इतना ही नहीं भूगर्भ जल स्तर गिरने से लोगों के घरों में नल ने पानी देना बंद कर दिया है और इण्डिया हैण्ड पंप भी पानी छोड़ने लगे हैं। यह हाल तब है जब लोगों में साक्षरता बढ़ी है और योजनाओं की श्रृंखला शुरू की गई है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सिविल लाइन क्षेत्र में मंडलायुक्त आवास तथा डीएम आवास के सामने रामपथ व मोदहा मार्ग किनारे अपेक्षित व्यवस्था कराई गई है। जल संचयन के लिए तमसा नदी,समदा झील का जीर्णोद्धार तथा कई अमृत सरोवर व तालाब निर्माण की योजनाओं पर कार्य कराया गया और तमाम योजनाओं पर काम कराया जाना है। राममंदिर के निकट जलवानपुरा समेत आसपास के क्षेत्र के लोगों को जलभराव से मुक्ति दिलाने और जल संचयन के लिए योजना तो क्षीर सागर कुंड के जीर्णोद्धार की भी बनाई गई थी लेकिन मामला क़ानूनी दांव-पेंच में उलझा हुआ है। शहर के नियोजित कालोनियों अयोध्या विकास प्राधिकरण के कौशलपुरी,साकेतपुरी,सरयू विहार,वैदेही नगर आदि तथा आवास विकास की अवधपुरी, रोहिणी, मोतीबाग आदि में हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सीमेंटेड पाइप लगाई गई थी और नीचे गढ्ढा बनवाया गया था,लेकिन समय-काल के साथ इनका अस्तित्व खत्म होता गया और अब कहीं-कहीं ही यह व्यवस्था नजर आती है। कई बड़ी इमारतों में लगे रेन वाटर हार्वेस्टिंग संयंत्र भी ठीक से काम नहीं कर रहे। क्षीर सागर योजना पर आगे नहीं बढ़ सका काम:जल संचयन के साथ स्थानीय लोगों को जलभराव से मुक्ति दिलाने के लिए रामनगरी के पौराणिक कुंड क्षीरसागर के जीर्णोंधार की परियोजना का खाका खींचा गया गया था। यहाँ पर भी अयोध्या विकास प्राधिकरण की ओर से सिविल लाइन स्थित लाल डिग्गी तालाब की तरह वर्षा जल संचयन और इसके रिचार्जिंग की व्यवस्था की जानी थी। साथ ही श्रद्धालु,पर्यटक और स्थानीय लोगों की सुख-सुविधा और सहूलियत के लिए इस पौराणिक कुंड के जीर्णोद्धार योजना में अन्य कार्य कराया जाना था। विकास प्राधिकरण की ओर से नगर के सुनियोजित विकास के लिए तैयार कराये गए विजन डाक्यूमेंट 2047 में वर्षा जल निकासी के लिए क्षीर सागर कुंड योजना के विस्तृत कार्ययोजना के साथ प्रस्ताव शासन को प्रेषित किया गया था। जिसके तहत शासन ने वित्तीय और प्रशासकीय स्वीकृति दी थी और इस बाबत शहरी नियोजन विभाग के विशेष सचिव की ओर से पत्र भेज योजना के लिए 3748.58 लाख की वित्तीय स्वीकृति तथा पहली किश्त के रूप में योजना कि 35 फीसदी धनराशि 1312 लाख रूपये अवमुक्त किये जाने की जानकारी दी गई थी। जन्मभूमि पर राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच प्राधिकरण के प्रस्ताव पर प्रदेश सरकार ने वर्षा जल निकासी को लेकर कुंड के जीर्णोंधार और पंपिंग स्टेशन आदि की स्थापना के लिए लगभग साढ़े 34 करोड़ रूपये की योजना स्वीकृत यह योजना अभी तक अंजाम तक नहीं पहुंच पाई। सरकारी भव निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य :वर्षा जल संचयन के लिए सरकारी स्तर पर नियम-कायदा बनाया गया है। 300 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से ज्यादा क्षेत्रफ़ल के छह वाले भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया गया है। भूगर्भ जल स्तर की निगरानी के लिए भूगर्भ जल विभाग ने अपना कार्यालय खोल रखा है सरकारी भवनों के निर्माण में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही भूगर्भ जल का दोहन करने वाले उद्योगों के लिए पंजीकरण और लाइसेंस प्रणाली लागू की गई है। रियल टाइम भूगर्भ जल मापन के लिए विभाग की ओर से पुरानी कुआं व्यवस्था को खत्म कर आटोमैटिक आधुनिक पीजोमीटर लगवाए गए हैं और इसने हर ब्लाक व तहसील का ऑनलाइन भूगर्भ जल आकड़ा एकत्र कर इसका विश्लेषण किया जाता है। नमामि गंगे समेत अन्य योजनाओं के तहत वर्षा जल संचयन के लिए रामनगरी अयोध्या के कुंडों का जीर्णोद्धार कराया गया है और सिविल लाइन में कई करोड़ की लागत से लाल डिग्गी तालाब के सौंदर्यीकरण की योजना पर काम हुआ है। बोले जिम्मेदार: भूगर्भ विभाग के अधिशासी अभियंता अमोद कुमार का इस बारे में कहना है कि भूगर्भ जल स्तर के मापन के लिए जगह-जगह ऑटोमेटिक पीजोमीटर स्थापित कराए गए हैं। 300 वर्ग मीटर से ज्यादा क्षेत्रफल की छत होने पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है। जल के व्यवसायिक इस्तेमाल के लिए लाइसेंस प्रणाली लागू की गई है। बिना आम जन के सहयोग से जल संरक्षण पूर्ण प्रभावी नहीं हो सकता।
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