टिश्यू कल्चर गन्ना के पौधों से बढ़ेगा उत्पादन
Azamgarh News - सठियांव चीनी मिल की गन्ना टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में इस साल 127,000 पौधे तैयार किए गए हैं। ये पौधे रोगमुक्त हैं और किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं। इससे गन्ना उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।...

आजमगढ़, संवाददाता। सठियांव चीनी मिल की गन्ना टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में तैयार पौधों से अच्छी गुणवत्ता वाले गन्ना का उत्पादन बढ़ेगा। इस साल प्रयोगशाला में गन्ना की पांच प्रजातियों के एक लाख 27 हजार पौधों को तैयार किया गया था। जिसे किसानों को उपलब्ध कराया गया है। टीश्यू कल्चर पौधों से तैयार गन्ना सात साल तक रोगमुक्त रहता है। इससे गन्ना का बेहर उत्पादन मिलता है। सठियांव चीनी मिल की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार के केमिकल में गन्ना के उतक (कोशिका) से पौधा तैयार करते हैं। यहां पूरे साल गन्ना की पौध तैयार करने का काम चलता है।
कई वैज्ञानिक प्रक्रियाओं के बाद तैयार पौधे चीनी मिल की पौधशाला में पहुंचते हैं। इसके बाद किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। आनुवांशिक क्षमता खो चुकीं पुरानी प्रजातियों के स्थान पर रोग रहित प्रजाति का पौधा तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रयोगशाला में गन्ना की विभिन्न प्रजातियों के करीब एक लाख 27 हजार पौधे इस साल तैयार किए गए थे। फरवरी से मई माह तक टिश्यू कल्चर पौधा किसानों को उपलब्ध कराया गया है। इन पौधों से किसानों के साथ ही चीनी मिल को भी फायदा होगा। रोग रहित गन्ना की प्रजाति से गन्ना उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़ेगा। गन्ना से तैयार होने वाली चीनी का भी अनुपात बढ़ेगा। इन प्रजातियों के पौधे किए गए तैयार सठियांव चीनी मिल की टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में कोलख 16202, 15466, 12209, 16201, कोषा 17231, 131035 और को 118 प्रजाति के गन्ने के टिश्यू कल्चर पौधे तैयार किए गए हैं। करीब एक लाख 27 हजार पौधे तैयार किए गए हैं। जिन्हें जनपद के किसानों के साथ ही मऊ और सुल्तानपुर जिले के किसानों को उपलब्ध कराया गया। इस तरह से प्रयोगशाला में तैयार होते हैं पौधा प्रयोगशाला में टिश्यू कल्चर से गन्ने के पौधे तैयार किए जाते हैं। इस दौरान गन्ने के ऊपरी भाग से मेरिस्टेमैटिक टिश्यू को निकाला जाता है। इस टिश्यू को कृत्रिम पोषक तत्व (रसायन) और कृत्रिम वातावरण (प्रयोगशाला के अंदर) में उगाया जाता है। जड़ विकसित होने के बाद पौधों को मिट्टी के मिश्रण में लगाया जाता है। इन पौधों को ग्रीन हाउस में रखा जाता है। एक महीने बाद खेत में लगाया जाता है। कोट प्रयोगशाला में इस साल एक लाख 27 हजार पौधे तैयार किए गए थे। चीनी मिल ने इसे किसानों को उपलब्ध कराया है। इसके साथ ही मऊ और सुल्तानपुर जनपद की चीनी मिल को भी टिश्यू कल्चर गन्ना के पौधे उपलब्ध कराए गए हैं। इसे एक साल किसान अपने खेत में बीज के लिए लगाएंगे। इसके बाद दूसरे साल मिल को आपूर्ति करेंगे। इस विधि से कम समय में उन्नत प्रजाति किसानों तक पहुंच जाती है। आरएन द्विवेदी, टिश्यू कल्चर लैब प्रभारी एवं कंसल्टेंट, सठियांव चीनी मिल
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