आहार निषेध दिवस: डाइट के फेर में 20 फ़ीसदी युवा कुपोषण के शिकार
Bagpat News - कुपोषण केवल गरीबों की समस्या नहीं है। फास्ट फूड और जंक फूड के कारण समृद्ध परिवारों के बच्चे भी कुपोषित हो रहे हैं। खानपान की गलत आदतें बीमारियों का कारण बन रही हैं। बॉडी शेमिंग के चलते किशोरों में वजन...

आम सोच है कि कुपोषण का शिकार सिर्फ गरीब लोग ही होते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कुपोषण सिर्फ कम खाना खाने से नहीं होता। अगर खाने में सभी आवश्यक पोषक तत्व नहीं लिए जाएं, तो एक संपन्न परिवार का व्यक्ति भी कुपोषण की शिकार हो सकता है। आज की पीढ़ी फास्ट फूड और जंक फूड खाना ज्यादा पसंद करती हैं। परिणामस्वरूप उनके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते। अभिभावक चिंता तो करते हैं पर एक समय के बाद वे चाहकर भी बच्चों की खानपान की आदतें नहीं सुधार सकते। नतीजा यह होता है कि ये छोटी-छोटी आदतें आगे चलकर बीमारी की बुनियाद बन जाती हैं।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अभिनव तोमर के अनुसार, बदलते परिवेश ने हमारी जीवनशैली को तो प्रभावित किया है, लेकिन बचपन भी इससे अछूता नही है। इसके कारणों पर गौर किया जाए तो खानपान की बदलती आदतें बच्चों के पोषण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही हैं। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो पूरी दूनिया में पांच फीसदी बच्चों की मौत का कारण कुपोषण है। कुपोषण का सीधा संबंध शरीर को आवश्यक कैलोरी और अन्य आवश्यक तत्वों जैसे कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन और मिनरल की कमी होना है। गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करने वाले माता-पिता अपने बच्चों को संतुलित आहार नही दे पा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अमीर और शहरी बच्चे भी खानपान की गलत आदतों की वजह से कुपोषण के शिकार ही जा रहे हैं। इन सबसे बचने के लिए युवा वर्ग डायटीशियन के भी चक्कर लगा रहे हैं और इस फेर में पोषक तत्वों को ग्रहण करने के बजाय गलत खानपान, डब्बाबंद खाने के आदि हो रहे हैं। बुजुर्ग रामपाल सिंह का कहना है कि घर मे बने खाने से बेहतर कुछ नहीं होता, हमारे समय मे सब तरह का प्रोटीन, विटामिन खाने में मिलता था, आज सब कुछ डब्बापैक आ रहा है। महीनों डब्बों में रखे खाने को खाकर युवा खुश रहते हैं जोकि गलत हैं। बॉडी शेमिंग का डर बढा रहा खतरा बड़ौत। डायटीशियन अरुणा राठी ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में बॉडी शेमिंग और वेट बायस का आंतरिककरण किशोरों, महिलाओं और युवा लड़कियों के दिमाग पर भारी पड़ता है और वे अब एक ऐसे समाज में रह रहे हैं। जहां उनका शरीर परिभाषित करता है कि वे कौन हैं? जो लोग बॉडी शेमिंग से निपटते हैं या जिनकी बॉडी इमेज की चिंता है, वे अपने शारीरिक रूप, वजन या आकार के बारे में व्यथित और नाखुश महसूस करते हैं। वे बहुत मोटे, बहुत बड़े या छोटे, पर्याप्त सुडौल नहीं, या पर्याप्त मांसल नहीं होने के बारे में चिंतित हो सकते हैं।
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