बच्चों में कोई भी नए लक्षण दिखें, तो न करें नजरंदाज : डॉ. पियाली
Bahraich News - बच्चों में कोई भी नए लक्षण दिखें, तो न करें नजरंदाज : डॉ. पियाली, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत बाल गृहों के बच्चों को...

बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत
बाल गृहों के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने पर हुआ मंथन
फोटो फाइल नम्बर 16 बीएएचपीआईसी 14 है।
कैप्सन- डॉ. पियाली भट्टाचार्य, वरिष्ठ कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन, एसजीपीजीआई लखनऊ
बहराइच। संवाददाता
महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में 180 बाल गृह संचालित हैं। इनमें रह रहे शून्य से 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर शनिवार को विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया। बाल गृहों के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन के लिए कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया। वेबिनार में बहराइच से जिला प्रोवेशन अधिकारी विनय सिंह, संरक्षण अधिकारी शिवका मौर्या व महिला शक्ति केंद्र की जिला समन्वयक रागिनी विश्वकर्मा जुड़े थे। सभी का यही कहना था कि इस वक्त बाल गृहों में साफ़-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की अधिक जरूरत है।
एसजीपीजीआई लखनऊ की वरिष्ठ कंसल्टेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज करने की कतई जरूरत नहीं है। बच्चों में डायरिया, उल्टी-दस्त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आंखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, सांसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं,तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें, किन्तु बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं, तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें।
उन्होंने बाल गृह में रह रहे बच्चों का हेल्थ चार्ट बनाने पर जोर दिया और कहा कि यह चार्ट हर बाल गृह अपने पास रखें और उसको नियमित रूप से भरते रहें, उसमें बुखार, पल्स रेट, आक्सीजन सेचुरेशन, खांसी, दस्त आदि का जिक्र है, जिससे पता चलता रहेगा कि बच्चे को कब आइसोलेट करने की जरूरत है या कब अस्पताल ले जाना है। बच्चा ज्यादा रोयें, गुस्सा करें या गुमशुम रहें तो उस पर भी नजर रखनी है, और उसके काउंसिलिंग की जरूरत है। बाल गृहों में काउंसलर की अहम् भूमिका है, उनके प्यार-दुलार या समझाने के तरीके से ही बच्चे की बहुत सी बीमारियां दूर हो जाती हैं।
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हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें
बहराइच। डॉ. पियाली ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में लिए हरी साग-सब्जी, दाल, मौसमी फल जैसे- तरबूज, खरबूज, नींबू, संतरा आदि को जरूर शामिल करें जिससे शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके। इसके अलावा हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें, बच्चे को पनीर, मट्ठा, छाछ, गुड-चना आदि दिया जा सकता है। मांसाहारी को अंडा, मछली आदि दिया जा सकता है।
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बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी तीसरी लहर
बहराइच। प्रतिनिधियों के सवालों के जवाब में डॉ. पियाली ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है, जो बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है। बच्चों में मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग और हैण्डवाश की आदत डाली जाए, क्योंकि तीसरी लहर सितम्बर-अक्तूबर में आने की बात कही जा रही है। सेनेटाइजर की जगह पर साबुन-पानी से हाथ धोने पर जोर देना चाहिए, क्योंकि वह सेनेटाइजर की तुलना में यह ज्यादा उपयोगी है। 18 साल की उम्र से नीचे वालों के लिए तो अभी कोई टीका नहीं है। इसलिए उनको सुरक्षित बनाने के लिए बाल गृहों में हेल्प डेस्क की स्थापना हो, और वहां पर हेल्पलाइन के नम्बर -1075, 1800112545 और चाइल्ड लाइन का नम्बर 1098 का डिस्प्ले जरूर हो।
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बाल गृहों में हैं सात हजार बच्चे
बहराइच। निदेशक महिला कल्याण मनोज कुमार राय ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में 180 बाल गृह संचालित हो रहे हैं, जिनमें शून्य से 18 साल के करीब 7000 बच्चे रह रहे हैं। कोरोना काल में उनकी सेहत पर अतिरिक्त ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी ख़बरें आ रहीं हैं कि आने वाले समय में कोविड-19 बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है। वेबिनार में बहराइच के जिला प्रोबेशन अधिकारी, बाल गृहों के अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ के अलावा सेंटर फार एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार), यूनिसेफ व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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