बोले बहराइच- तहसीलों में सड़क पर खड़े होकर रोडवेज बसों का इंतजार करते हैं यात्री
Bahraich News - बहराइच में आजादी के इतने वर्षों बाद भी कई तहसीलों में बस स्टेशन नहीं हैं। यात्री सड़क किनारे बसों का इंतजार करते हैं और मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। गर्मी, ठंडी और बारिश में घंटों खड़े रहना पड़ता है।...

बहराइच। आजादी के इतने वर्षों बाद भी जिले के तहसील कैसरगंज, नानपारा, मिहींपुरवा, पयागपुर व महसी क्षेत्रों में बस स्टेशन नहीं बनने के कारण यात्री सड़क किनारे बसों का इंतजार कर रहे हैं। तहसील क्षेत्र के रहने वाले नागरिक रोजाना देश के अन्य हिस्सों में यात्रा करने के लिए हाईवे पर खड़े होकर बसों के आने की राह देखते हैं। कस्बे में बस अड्डा न होने से यात्रियों को आने-जाने के लिए काफी परेशानी होती है। बसों के इंतजार में यात्री गर्मी, ठंडी और बरसात में खुले आसमान तले घंटों खड़े रहते हैं। यहां से गुजरने वाली बसें हाथ देने पर रुकेंगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
यात्रियों का कहना है कि यहां के लोगों के लिए आज भी स्थायी तौर पर बस स्टेशन की सुविधा नहीं है। बस स्टेशन नहीं होने से रोडवेज बस चालकों की मनमानी से जहां-तहां बसें रुकती हैं। इस वजह से सैकड़ों की संख्या में यात्री रोजाना हाईवे किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करते हैं। आने वाले यात्रियों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। तहसील मुख्यालय, ब्लॉक, सीएचसी, पीएचसी के साथ-साथ तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रशासनिक कार्यालय व अन्य प्रतिष्ठान यहां स्थापित हैं। आज तक यहां यात्री छाजन, शौचालय और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं हो पाई है। यात्री छाजन के अभाव में यात्रियों को गर्मी के मौसम में तेज धूप की मार झेलनी पड़ती है। बहराइच बस स्टेशन पर बैठने के पर्याप्त इंतजाम नहीं बहराइच बस स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। यहां बेतरतीब बसों को लगाया जा रहा है। बसों की टाइमिंग का कोई अता-पता नहीं है। किसी बस को 10 मिनट में निकाल देते हैं, तो किसी बस को आधे घंटे में लेकर चल देते हैं, जिससे बस स्टेशन पर आने-जाने वाले यात्री अफरातफरी में रहते हैं। बस स्टेशन पर चालक मनमाने तरीके से लगाते हैं। सड़क के किनारे लगा देने व सड़क पर बैक करने से जाम लग जाता है, लेकिन जिम्मेदार इस बोर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पूछताछ काउंटर पर बैठने वाले लोगों को बलरामपुर, उतरौला, गोंडा, भिनगा, सीतापुर आदि जिलों को जाने के लिए बस कब मिलेगी कौन सी रूट पर कितनी बस चल रही है, उनकी टाइमिंग क्या है इसका कोई पता नहीं रहता है, जिससे यात्री परेशान रहते हैं। बस स्टेशन परिसर के प्रतीक्षालय में बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां नहीं हैं। अधिक यात्री होने पर आधे खड़े रहते हैं। सबसे ज्यादा समस्या महिलाओं को हो रही है। बच्चों को लेकर उन्हें फर्श पर बैठना पड़ता है। शीतल पेयजल नहीं मिल रहा है। शीतल पेयजल चाहिए तो 20 रुपए की बोतल खरीदना पड़ेगा। इतना ही नहीं बस स्टेशन की कैंटीन में प्रिंट रेट से अधिक मूल्य पर सभी सामान बेचे जा रहे हैं। रोडवेज डिपो में रखी पानी की टंकियां ओवरफ्लो होने से पानी बहता रहता है। वाटर हाइड्रेंट के उपकरण जर्जर व टूटे पड़े हैं। परिसर में लगा एक हैंडपंप को काफी देर तक चलाने के बाद पानी आता है। खंभों पर बिजली के तार उलझे हुए हैं। दो वर्ष बाद दुर्दशाग्रस्त हो गया रुपईडीहा रोडवेज डिपो 11 दिसंबर 2022 को प्रदेश के मंत्री दयाशंकर सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय बस अड्डा रुपईडीहा का उद्घाटन किया था। अभी सवा दो वर्ष ही बीते हैं, परिसर का प्लास्टर गिरने लगा है। परिसर के बसों के निकलने पर कंकड़ उजड़ रहे हैं। बस स्टेशन के मुख्य द्वार पर बड़ा गड्ढा बन गया है, जो दुर्घटना का कारण बन रहा है। पानी टंकी की अधकांश टोटियां टूट गयी हैं। कई टोटियों से पानी नहीं आ रहा है, जिससे पेयजल की अच्छी व्यवस्था नहीं कहा जा सकता है। परिसर में चारों ओर गंदगी का साम्राज्य है। बस स्टेशन की बड़ी टंकी नहीं भरी जाती है। नालियां चोक पड़ी हैं। यात्रियों के लिए भोजन व नाश्ते की कोई व्यवस्था नहीं है। स्टेशन परिसर में एक चाय तक नहीं मिल सकती है। इस बस स्टेशन से लखनऊ, कानपुर, हरिद्वार, शिमला, मुरादाबाद, बरेली, दिल्ली, जयपुर, वाराणसी, अयोध्या सहित भारत के कई महानगरों के लिए बसें आती व जाती हैं। प्रात: 4 बजे से ही हरिद्वार, दिल्ली, शिमला, जयपुर की बसें आना शुरू हो जाती हैं। डिपो इंचार्ज आरके तिवारी ने बताया कि यात्रियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था है। आरओ लगा हुआ है। नानपारा में रोडवेज बस स्टेशन न होने यात्रियों को बड़ी दिक्कत नानपारा में रोडवेज बस स्टेशन न होने से लोगों को रोडवेज बस की सुविधा ठीक से नहीं मिल पाती है। लोगों को प्राइवेट बस का ही सहारा लेना पड़ता है। नगर के बाईपास से दो दर्जन से अधिक रोडवेज की बसें आती-जाती हैं, लेकिन इनका समय निर्धारित नहीं है कि वे कब निकलती हैं। पहले पेट्रोल पंप के पास प्राइवेट बस स्टैंड था। अब नवाबगंज मोड़ के निकट पहुंच गया है। यहां से प्रतिदिन 100 बसें आती-जाती है। नगर से काफी दूर होने के कारण यात्री परेशान होते हैं। प्राइवेट बस से उतरने के बाद कोई साधन न मिलने के कारण यात्री सामानों को लादकर पैदल अपने गंतव्य को पहुंचते हैं। प्राइवेट बस स्टैंड बैठने के कोई इंतजाम नहीं हैं। पेयजल की समस्या है। खड़े होने के लिए शेड व शौचलय की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं बस संचालक क्षमता से अधिक सवारियां बैठा लेते हैं। महिलाएं बसों में खड़े होकर सफर करती हैं। सीटें अच्छी न होने से बैठने में दिक्कत होती है। बस के शीशे टूटे-फूटे रहते हैं। जर्जर बसों में नानपारा से प्रतिदिन लगभग 5000 यात्री आते-जाते हैं। बस स्टैंड से कस्बे तक पर्याप्त लाइट की व्यवस्था नहीं है। बस स्टेशन पर फूड स्टाल है, लेकिन ठीक नहीं है। यात्रियों का कहना है कि रोडवेज स्टेशन न होने से लाखों रुपये के राजस्व की क्षति हो रही है। जन प्रतिनिधियों से लगातार इसकी मांग की जा रही है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। रिसिया से मात्र दो बसें वो भी खटारा रिसिया नगर पंचायत क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि कस्बे में बस अड्डा नहीं है। दिन भर में मात्र दो बसें चल रही हैं वो भी खटारा हैं। परिवहन सेवा के नाम पर निजी ई-रिक्शा के सहारे यात्री अपने गंतव्य आ जा रहे हैं। रिसिया क्षेत्र व्यापार का हब होने के बावजूद भी यातायात की सुविधा से अछूता है। रेल विकास का पैमाना थी वो भी आमान परिवर्तन के कारण बंद है। दो सरकारी बसें चल रही हैं। एक सुबह छह बजे रिसिया से लखनऊ वाया कानपुर जाती है। दूसरी बस सुबह बहराइच से रिसिया होकर नवाबगंज तक जाती है। इसके बाद वापस सुबह नौ बजे रिसिया से बहराइच की ओर निकल जाती है। इसके बाद बस की कोई सुविधा नहीं है। यात्री बसों की संख्या बढ़ाने की लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बसों में आग से बचाव के इंतजाम नाकाफी रोडवेज बसों में हर रोज सैकड़ों यात्री गंतव्य तक सफर करते हैं। मीलों दूरी तय करने वाले यात्रियों की जिंदगी भी दांव पर लगी रहती है न केवल चालक की चूक से हादसे हो सकते हैं, बल्कि बसों में शार्ट सर्किट से आग लगने के इंतजाम भी कइयों में नहीं हैं। जिन बसों में सिलेंडर लगे भी हैं, जो एक्सपायर हो चुके हैं। आपात स्थिति में इनके प्रयोग से भी चालक व परिचालक पूरी तरह से अंजान हैं। हादसा होने पर ही सिलेंडरों के गैस भरने व प्रशिक्षण देने को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों की तंद्रा टूटती है। एक परिचालक ने बताया कि इसको लेकर कई बार सक्षम अधिकारियों के समक्ष मुद्दा भी उठाया जाता है, लेकिन आश्वासनों के सिवा अभी तक सुरक्षा उपकरणों को लेकर प्रशिक्षण के नाम पर कुछ भी नहीं हो पाया है। सुझाव 1- रोडवेज डिपो के अंदर एक निर्धारित स्थान पर ही सवारियां बैठाने की व्यवस्था होनी चाहिए। 2-नियमों की अनदेखी करने वाले चालक-परिचालक की जवाबदेही तय होनी चाहिए। 3- बीच सड़क पर सवारियों को बैठाने वाले परिचालकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। 4- समय पूरा होने पर तत्काल बसों को परिसर से रवाना किया जाना चाहिए। 5- निर्धारित स्टेशनों के अलावा अन्य स्थानों पर बसों का ठहराव नहीं होना चाहिए। शिकायत 1- खुद की जेब भरने के लिए ढाबों व होटलों पर ही बसों को रोका जाता है। 2- होटल संचालक मनमाने तरीके से खानपान की वस्तुओं के दाम वसूलते हैं। 3- शिकायत के बावजूद चालक-परिचालकों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। 4- बसों में अंकित टोल नंबर पर कॉल समय से रिसीव नहीं होता है। 5- सड़क के किनारे सवारियों को बैठाने पर रोक नहीं लगाई जा रही है।
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