भूमि की उर्वरता और पर्यावरण संरक्षण के संकल्प लेने की अपील
Balia News - बलिया में कृषि विशेषज्ञों ने विश्व कृषि दिवस पर किसानों को भूमि की उर्वरता बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दिलाया। उन्होंने जैविक खेती और हरी खाद के उपयोग के लाभ बताये। स्कूल के बच्चों ने भी...

बलिया, संवाददाता। कृषि विशेषज्ञों ने विश्व कृषि दिवस पर मंगलवार को भूमि की उर्वरता बढ़ाने और पर्यावरण संरक्षण के लिए किसानों को संकल्प दिलाया। वहीं जैविक खेती के साथ ही बागवानी करने की सलाह दी गई। किसानों को बताया गया कि वह ऐसा करने से उनकी आमदनी बढ़ने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। विश्व पृथ्वी दिवस पर कई जगह कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दौरान आयोजित परिचर्चा में कृषि विज्ञान केंद्र सोहांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ संजीत कुमार ने बताया किसान रबी की फसलों की कटाई के बाद खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए खेतों में हरी खाद उगाने की सलाह दिया। बताया कि किसान 40-45 किलो की दर से प्रति बीघे में ढेंचा की बुआई करें, जरूरत के हिसाब से 15 से 20 दिन में हल्की सिंचाई कर दें। बुआई के 40 से 50 दिन के बाद हरी खाद को मिट्टी पलट हल से जुताई कर खेत में पानी भर दें l ऐसा करने से लगभग 60 से 70 किलो नाइट्रोजन प्राप्त होगी। डॉ. संजीत ने बताया कि हरी खाद को मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक एवं जैविक दशा में सुधार होता है। साथ ही इससे मृदा उर्वरता को बनाये रखने के लिए,भूमि में पोषक तत्वों की भरपाई होती है। कहा कि हरी खाद के लिये उपयोग किये गये पौधों को जब जमीन में हल चला कर दबाया जाता है तो उनके गलने सड़ने से नोडयूल्स में जमा की गई नाइट्रोजन जैविक रूप में मिट्टी में वापस आ कर उसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। पौधों के मिट्टी में गलने सड़ने से मिट्टी की नमी को जल धारण की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। हरी खाद एक प्राकृतिक और पर्यावरण अनुकूल तरीका है जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ाई जा सकती है।
बच्चों ने ‘धरती करे पुकार संदेश नाटिका से किया जागरूक
बलिया। आरके मिशन स्कूल सागरपाली में मंगलवार को पृथ्वी दिवस मनाया गया। इस दौरान स्कूली बच्चों न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संकल्प लिया। कक्षा नौवीं ब की छात्रा तन्नवी एवं सिमरन ने ‘धरती करे पुकार संदेश नाटिका की प्रस्तुति से यह संदेश दिया कि हमें विज्ञान एवं प्रकृति में सामंजस्य बनाते हुए पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए। नाटिका के माध्यम से दोनों छात्राओं ने एक शताब्दी पहले की पृथ्वी और आज की पृथ्वी की तुलना करते हुए रासायनिक उर्वरकों से पृथ्वी को बचाने का संदेश दिया। कार्यक्रम की अगली श्रृंखला में के जी ग्रुप के छात्रों ने ‘पृथ्वी हमारी सबसे न्यारी"कविता के माध्यम से पृथ्वी को बचाने का संकल्प लिया। इसमें अमोलिका,ऋषिका ,देवांश, मानवी और बेबी आदि छात्र-छात्राएं शामिल थे। अन्य छात्र-छात्राओं ने पोस्टर एवं पेंटिंग के माध्यम से पर्यावरण की सुरक्षा का संदेश देते हुए स्वयं भी पृथ्वी को स्वच्छ रखने का संकल्प लिया। विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रदीप सिंह ने कहा कि पृथ्वी दिवस मनाने का मकसद पर्यावरण संरक्षण की तरफ सभी का ध्यान केंद्रित करते हुए पृथ्वी को खुशहाल रखना है। विद्यालय के प्रबंधक हर्ष श्रीवास्तव ने संदेश नाटिका की काफी प्रशंसा की। इस मौके पर प्रशांत मौर्य ,धर्मेंद्र वर्मा, संतोष सिंह, राकेश चौबे ,रीता त्रिपाठी ,अंजनी प्रजापति, रीता देवी, सुनीता, ज्योति, पूनम सिंह आदि शिक्षक-शिक्षकाएं थीं।
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