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बोले बलरामपुर -शौचालयों के निर्माण का नहीं आसार, महिलाएं हो रही शर्मसार

Balrampur News - समस्या उतरौला, संवाददाता। उतरौला नगर में सामुदायिक शौचालयों का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्र से नगर

Newswrap हिन्दुस्तान, बलरामपुरTue, 8 April 2025 05:12 PM
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बोले बलरामपुर -शौचालयों के निर्माण का नहीं आसार, महिलाएं हो रही शर्मसार

समस्या उतरौला, संवाददाता।

उतरौला नगर में सामुदायिक शौचालयों का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्र से नगर में आवश्यक वस्तुओं की खरीद करने के लिए आने वाली महिलाओं को विशेष परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुरषों की भी समस्याएं कम नहीं हैं। उन्हें शौचालय की तलाश में दर-दर भटकना पड़ता है। नगर वासियों ने कई बार नगर पालिका प्रशासन से पिंक व सुलभ शौचालय बनवाने की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर पेशाब घर न होने से लोगों को खुले स्थान की तलाश करनी पड़ती है। यह समस्या एक दिन की नहीं बल्कि रोज की है।

उतरौला को जिले की सबसे पुरानी तहसील होने का दर्जा प्राप्त है। नगर की आवादी एक लाख से ऊपर होने की बात कही जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए आवश्यक वस्तुओं की खरीद के लिए प्रमुख केन्द्र उतरौला नगर का बाजार है। प्रतिदिन लगभग 60 हजार लोग आवश्यक वस्तुएं खरीदने बाजार आते हैं। सामुदायिक शौचालयों की संख्या कम होने से बाजार आने वाले लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। परिवहन निगम बस स्टैंड पर बना सार्वजनिक शौचालय ढहने के कगार पर है। दो वर्ष पूर्व शौचालय में ताला लगा दिया गया है। यात्री घंटो बैठकर बस की प्रतीक्षा करते हैं। पुरुष तो अपना काम किसी तरीके से चला लेते हैं, लेकिन महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। बस स्टैंड पर शौचालय निर्माण के लिए लोकतंत्र रक्षक सेनानी चौधरी इरशाद अहमद गद्दी कई बार आंदोलन कर ज्ञापन भी दे चुके हैं, लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। श्यामा प्रसाद मुखर्जी चौराहे को काफी भीड़-भाड़ वाला इलाका माना जाता है। यहां शौचालय का निर्माण न होने से लोग परेशान हैं। शौच आदि के लिए लोगों को तहसील भवन जाना पड़ता है। पेट आदि गड़बड़ होने पर लोगों की दुर्दशा हो जाती है। महिलाएं तमाम प्रकार की दिक्कतें झेलती हैं। गोंडा मोड़ पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं है। यहां भी तमाम यात्री बस अथवा टैक्सी की प्रतीक्षा करते हैं। जिसमें महिलाएं भी शामिल रहती हैं। महिला यात्रियों ने बताया कि यह एक प्रकार की ऐसी विडंबना है, जिसे शब्दों मे बखान नहीं किया जा सकता। नगर पालिका प्रशासन को महिलाओं के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

दु:खहरन नाथ मंदिर के पास नहीं है सुलभ शौचालय

दु:खहरन नाथ मंदिर पर सैकड़ों श्रद्धालु प्रतिदिन जलाभिषेक करने आते हैं। महा शिवरात्रि व कजरीतीज पर विशाल मेला लगता है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं। जलाभिषेक करने वाली महिलाओं की संख्या अधिक होती है। मंदिर के आस पास सुलभ शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया है। महिलाओं को खुले में शौच जाना पड़ता है। मंदिर के निकट शौचालय बनवाने की मांग वर्षों से लम्बित है। ऊषा देवी, प्रियंका, रागिनी, प्रमिला, अंशिका आदि महिलाओं ने बताया कि कभी-कभी विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। नगर पालिका प्रशासन को चाहिए कि मंदिर के आस पास शौचालय का निर्माण आवश्यक रूप से कराया जाए।

रजिस्ट्री दफ्तर में झाड़ियों का सहारा लेती हैं महिलाएं

महिलाओं के नाम जमीन खरीदने पर सरकार छूट देती है। रजिस्ट्री दफ्तर में दिनभर महिलाओं की भीड़ जमा रहती है, लेकिन शौचालय न होने से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ रही है। बैनामा करवाने में लगभग तीन से चार घंटे का समय लगता है। इतनी देर तक वाशरूम न जाने पर महिलाएं परेशान होती हैं। रजिस्ट्री दफ्तर में मौजूद खैरुन्निशा, साजिदा, रबीना, पुष्पा देवी, मालती आदि ने बताया कि रजिस्ट्री दफ्तर के पीछे खाली पड़े स्थान का लोग लघुशंका मिटाने के लिए उपयोग करते हैं। महिलाएं रजिस्ट्री दफ्तर के पीछे लगी झाड़ी का सहारा लेती हैं। रजिस्ट्री दफ्तर में कई बार सुलभ शौचालय बनवाने की मांग की गई, लेकिन अभी तक सुनवाई नहीं हो सकी।

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