Bareilly farmer was troubled by bank pressure paid off loan 4 lakh by selling grass Hindustan Special: बैंक के तगादे से परेशान था यूपी का किसान, घास बेचकर चुका दिया चार लाख का लोन, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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Hindustan Special: बैंक के तगादे से परेशान था यूपी का किसान, घास बेचकर चुका दिया चार लाख का लोन

  • कठिन परिस्थितियों में भी मन में कुछ बेहतर करने की इच्छा होती है तो रास्ता बन ही जाता है। बरेली के किसान सरण सिंह ने इस बात को सही साबित किया है।

Dinesh Rathour हिन्दुस्तान, बरेली, मुख्य संवाददाताMon, 10 March 2025 04:08 PM
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Hindustan Special: बैंक के तगादे से परेशान था यूपी का किसान, घास बेचकर चुका दिया चार लाख का लोन

कठिन परिस्थितियों में भी मन में कुछ बेहतर करने की इच्छा होती है तो रास्ता बन ही जाता है। बरेली के किसान सरण सिंह ने इस बात को सही साबित किया है। सिर पर बैंक के लोन का बोझ होने के बावजूद इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बरेली के कृषि विज्ञान केंद्र से नेपियर घास उगाने की ट्रेनिंग ली और अपने खेत में काम शुरू कर दिया। लगातार चार साल तक कड़ी मेहनत कर न सिर्फ इन्होंने बैंक का लोन अदा किया बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा बने।

बरेली के गिरधारीपुर के किसान शरण सिंह कुशवाहा ने बताया कि उन पर बैंक का चार लाख रुपये का लोन था। आए दिन बैंककर्मियों के तगादे से परेशान होकर छह साल पहले साल 2018 के दिसंबर में उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिकों से सलाह ली। वैज्ञानिक डॉ. रणधीर सिंह ने उन्हें बताया कि बरेली और आसपास के क्षेत्रों में हरे चारे की काफी किल्लत है। यदि वह अपने खेत में इसे उगाकर बेचने का काम करें तो बेहतर मुनाफा मिलेगा।

नेपियर घास को एक बार खेत में बोने पर चार साल तक इससे चारा लिया जा सकता है। कम खर्च में इसमें बेहतर मुनाफा है। काफी सोच विचार कर शरण सिंह ने कृषि विज्ञान केंद्र में एक सप्ताह की ट्रेनिंग ली। सरण सिंह ने बताया कि उनके पास 21 बीघा खेती की जमीन है। पहली बार उन्होंने दो बीघा जमीन पर नेपियर उगाया। इसके बाद पशुपालकों को इसे बेचना शुरू किया। कम लागत में बेहतर मुनाफा को देखते हुए अब 14 बीघा जमीन पर इसकी खेती कर रहे हैं।

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कृषि विज्ञान केंद्र से 500 रूट स्लिप्स (जड़) मिले थे मुफ्त

शरण सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण के बाद वहां से उन्हें नेपियर घास की 500 रूट स्लिप्स (जड़) उगाने के लिए दी गई थी। एक में इससे नेपियर घास के 2500 गुच्छे हुए। यह 21 वयस्क गाय, दो बैल और सात बछियाओं के लिए पर्याप्त होते हैं। इससे एक साल तक हरा चारा आसानी से मिलता है। नेपियर की प्रत्येक कटाई के तुरन्त बाद वह एक सिंचाई व दो बार यूरिया का छिड़काव करते हैं।

नेपियर घास की अच्छी होती है वृद्धि

शरण सिंह ने अनुभव के आधार पर बताया कि ऐसा करने से नेपियर की वृद्ध अच्छी है तथा नेपियर घास काटने में भी नरम रहती है। नेपियर घास की प्रथम बार रूट स्लिप्स बोने के समय 15 ट्रोली गोबर की खाद की छः इंच मोटी परत डाली थी, उसके बाद 4 वर्षों में अन्य कोई खाद नहीं डाली। पिछले चार वर्षों में नेपियर घास में न तो कोई रोग लगा और नही किसी कीट ने कोई नुकसान पहुंचाया। नेपियर घास की वृद्धि 35-40 दिनों में छह फीट ऊंचाई तक हो जाती है। एक नेपियर घास के गुच्छ में 12-15 किलो हरा चारा प्राप्त होता है। प्रतिदिन 50 गुच्छ की कटाई से 21 पशुओं को हरे चारे की पूर्ति हो जाती है।

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उत्तराखंड के किसानों को भी बेचते हैं नेपियर घास की जड़

शरण सिंह ने बताया कि वह रुहेलखंड और उत्तराखंड के रूद्रपुर में किसानों को नेपियर घास की रूट स्लिप्स (जड़) बेचकर आमदनी करते हैं। अब तक उन्होंने बरेली जिले के बिबियापुर गांव में पांच कृषकों को 3400 नैपियर की रूट स्लिप्स तथा रुद्रपुर के दिनेशपुर गांव में एक कृषक को 1500 रूट स्लिप्स, बागवाला गांव में एक कृषक को 1000 रूट स्लिप्स तथा भगवानपुर गांव में एक कृषक को 1000 रूट स्लिप्स बेच चुके हैं।