सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अक्सर कमतर आंका जाता है। मगर, प्रांजल सक्सेना जैसे टीचर शिक्षण कार्य के साथ-साथ एनीमेशन की दुनिया में भी नाम कमा रहे हैं।
बरेली के आंवला क्षेत्र में स्थित महाभारतकालीन लीलौर झील पर यक्ष ने युधिष्ठिर से सवाल पूछे थे। युधिष्ठिर ने यक्ष के प्रश्नों के सही जवाब दिए थे। महाभारत में जिन पेड़ों का जिक्र किया गया है।
बरेली के रहने वाले मनोज कुमार ने एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दी लेकिन इसके बावजूद वह हार नहीं मानें और आज पैरों से निशाना लगाते हैं। वह देश के लिए तीरंदाजी का मेडल जीतना चाहते हैं।
बरेली जिले के मवई काजियान गांव में स्वच्छ भारत अभियान पूरी तरह से साकार होता दिख रहा है। गांव के पांचवीं पास ग्राम प्रधान की इसमें खास भूमिका है। गांव में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन होता है।
रमजान मुबारक में यदि एक लाख मुसलमान केवल जकात दें तो 65 करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। इससे अस्पताल बनाकर व अनेक अन्य सुविधाएं देकर समाज की तस्वीर बदली जा सकती है। सुन्नी उलमा काउंसिल ने एक रिपोर्ट तैयार की है।
रुहेलखंड विश्वविद्यालय के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अमित सिंह और शिक्षिका एडवोकेट प्रीती वर्मा ने चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज इन इंडिया नामक किताब लिखी है। इस किताब में बच्चों के शारीरिक और मानसिक यौन शोषण पर विस्तार से चर्चा की गई है।
कठिन परिस्थितियों में भी मन में कुछ बेहतर करने की इच्छा होती है तो रास्ता बन ही जाता है। बरेली के किसान सरण सिंह ने इस बात को सही साबित किया है।
माह-ए-रमजान में देश-विदेश में कुरआन पढ़ने, सुनाने के लिए बरेलवी मरकज से जुड़े मदरसों के आलिमों को बुलाया गया है। अमेरिका, सऊदी अरब, हॉलैंड व मॉरीशस समेत तमाम देशों में मरकज से जुड़े उलेमा जाएंगे। इन देशों में यह लोग तरावीह की नमाज अदा कराएंगे।
जंगल-झाड़ियां, खेत-खलियान और बाग-बगीचे से लेकर ऊसर-बंजर भूमि पर उगने वाली मकुईया को स्थानीय लोग घास समझते हैं। यही मकुईया घास उत्तराखंड की दवा कंपनियों की बड़ी पसंद बन गई है। इससे एंटीबायोटिक औषधियां बनाई जा रही हैं।
सीतापुर स्थित नैमिषारण्य देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में है। यहां की 84 कोसी परिक्रमा में देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु नंगेपांव शामिल होते हैं। बड़ी संख्या परिक्रमार्थी इस परिक्रमा को नंगे पैर ही पूरा करते हैं।