हौसले की उड़ान: पैरों से निशाना लगाता है यह तीरंदाज, देश के लिए मेडल लाने की चाह
बरेली के रहने वाले मनोज कुमार ने एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो दी लेकिन इसके बावजूद वह हार नहीं मानें और आज पैरों से निशाना लगाते हैं। वह देश के लिए तीरंदाजी का मेडल जीतना चाहते हैं।

मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसले से उड़ान होती है। बरेली के लालफाटक निवासी मनोज कुमार ने इन पंक्तियों को बखूबी समझा और अपने जीवन में उतार लिया। एक हादसे में अपने दोनों हाथ खो चुके मनोज पैरों से निशाना लगाते हैं। वह देश के लिए तीरंदाजी का मेडल जीतना चाहते हैं।
37 वर्षीय मनोज कुमार ने बताया कि जब वह छह वर्ष के थे, तब खेत में ट्यूबवेल पर गए थे। उस दौरान 11 हजार केवी की लाइन टूटकर गिरने से वह गंभीर रुप से झुलस गए। डॉक्टरों ने किसी तरह उनकी जान तो बचा ली मगर उन्हें अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े।
इस घटना के बाद मनोज अवसाद में चले गए थे। उनके पिता आर्मी में थे। उन्होंने मनोज को हिम्मत दी। धीरे-धीरे मनोज को खेलों से जोड़ा। मनोज लंबे समय तक पैरा एथलीट के रूप में विभिन्न प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते रहे। उन्होंने वर्ष 2004 में बेंगलुरु में हुई छठी पैरा नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 और 200 मीटर स्प्रिंट रेस में पदक जीते। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की इंडो रशियन पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी सिल्वर मेडल जीता। मगर, बाद में उनका मन तीरंदाजी में लग गया। अब वह लगातार तीरंदाजी की ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। वह पैरों से निशाना साधते हैं। उनकी तीरंदाजी देखकर हर कोई हैरान रह जाता है।
टीम इंडिया में चयन को कर रहे तैयारी
मनोज सेना के नेटवर्क सिग्नल रेजीमेंट के टेलीफोन एक्सचेंज में ऑपरेटर के पद पर तैनात हैं। इस समय वह राइफल क्लब में कोच राघवेंद्र सिंह के साथ अभ्यास कर रहे हैं। मनोज का कहना है कि इंडियन टीम में चयन को ट्रायल होने वाला है। इसके लिए वह राइफल क्लब में अभ्याय कर रहे हैं। उनका सपना देश के लिए तीरंदाजी स्पर्धा में मेडल जीतना है।