Challenges Faced by Waiters During Celebrations Low Wages and Disrespect बोले बस्ती : आदर से पेश करते हैं भोजन बदले में मिलती है फटकार, Basti Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsBasti NewsChallenges Faced by Waiters During Celebrations Low Wages and Disrespect

बोले बस्ती : आदर से पेश करते हैं भोजन बदले में मिलती है फटकार

Basti News - बस्ती में समारोहों के दौरान वेटर्स को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपमानित किया जाता है और समय पर मजदूरी नहीं मिलती। काम के दौरान सुरक्षा का खतरा भी बना रहता है। वेटर्स की जीवनशैली कठिन...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीWed, 30 April 2025 11:16 AM
share Share
Follow Us on
बोले बस्ती : आदर से पेश करते हैं भोजन बदले में मिलती है फटकार

Basti News : घरों में मांगलिक कार्यक्रम हो या कोई अन्य समारोह। सैकड़ों मेहमानों-जुटे लोगों को जलपान-भोजन करा पाना किसी घर-परिवार या कुछ सदस्यों के लिए आसान नहीं होता है। ऐसे में लोग समारोह को चार चांद लगाने के लिए वेटर्स का सहारा लेते हैं। वेटर्स पुरुष और महिलाएं दोनों होते हैं। इनका काम किचन में बने लजीज व्यंजनों, स्टार्टर, कोल्ड ड्रिंक व विभिन्न खाद्य पदार्थों को मेहमानों तक समय से पहुंचाना होता है। ऐसे महत्वपूर्ण कार्यों को करने वाले वेटर्स उपेक्षा के शिकार होते हैं। बात-बेबात सभी के बीच अपमानित कर दिए जाते हैं। इसके अलावा अन्य कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करते हैं। इन वेटरों ने अपनी समस्याएं ‘हिन्दुस्तान के बोले बस्ती मुहिम के तहत बातचीत में बयां की।

विवाह, तिलक, बहुभोज व अन्य मांगलिक कार्यक्रमों के दौरान विशेष प्रकार के परिधान में कुछ युवक व युवतियों का दल इधर-उधर दौड़ता दिख जाता है। लोगों की एक आवाज पर दल में शामिल युवक-युवतियां दौड़ पड़ते हैं और लोगों की हर फरमाइश को पूरा करने का प्रयास करते हैं। मेहमानों को समय से विभिन्न प्रकार के भोजन व स्टार्टर, कॉफी, चाय या कोल्डड्रिंक मिल जाए, इसके लिए उनका प्रयास होता है। चाट-पकौड़े से लेकर विभिन्न प्रकार के चाइनीज व देशी फास्ट फूड तक आपकी पहुंच को सरल करते हैं। इन्हें लोग वेटर्स या सर्वर के नाम से पुकारते हैं। शालीन भाषा पर मुस्कराकर मिलते हैं तो किसी की कड़क आवाज को भी सुनकर वह रूबरू होते हैं।

समारोह का जरूरी अंग बन चुके वेटर्स के अपने दर्द हैं। बड़े समारोह के दौरान लोगों के सामने पहुंच कर सामानों को पहुंचाना उनके लिए एक चुनौती होती है। मांगलिक समारोह में वेटर्स का काम बावर्ची के साथ साथ शुरू होता है। बावर्ची व्यंजन पकाता है तो वेटर्स उसे सर्व करने की योजना तैयार करता है। प्लेट, कटोरी धुलने से लेकर उनको सजाकर रखने के लिए वेटर्स दिन के समय से ही जुटे रहते हैं। फलों और सब्जियों को विभिन्न आकार देते हुए सलाद की टेबल सजाना उनकी खासियत होती है। टेबल शुरू होने के बाद लजीज व्यंजन पहुंचाने के साथ जूठे बर्तन उठाना भी उनके कार्य में शामिल होता है। इसी के साथ उनकी समस्या भी शुरू होती है।

वेटर्स के ग्रुप लीडर अन्नू बताते हैं कि फंक्शन के दौरान वेटर्स को अपमानित कर बुलाने का सिलसिला चलता है। समय में थोड़ी देरी हुई तो कुछ लोग सीधे तौर पर गालियों से नवाजते हैं। वेटर्स पर रौब जमाना कुछ लोग अपना बड़प्पन समझते हैं, लेकिन हमारे काम का हिस्सा है, जिसे हम हंसते-हंसते सह लेते हैं। दिन के 11 बजे से शुरू होने वाला अगले दिन भोर तक चलता है। इसी दौरान वेटर्स को समय से भोजन नहीं मिलता है। यदि उसने फंक्शन स्थल पर कुछ खा लिया तो डांट और झिड़की मिलती है। भोर तक काम करने के चलते सोने का मौका नहीं मिला है। काम खत्म हुआ तो अपने घर लौटने की जल्दी रहती है और फिर सो नहीं पाता है। करीब 24 घंटे का शेड्यूल पूरी तरह से कसा रहता है, लेकिन इसके सापेक्ष एक दिन की मजदूरी मिलती है। मजदूरी के नाम पर 750 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक मिलते हैं जिसमें आने-जाने का किराया भी शामिल होता है।

वेटर नरेश बताते हैं कि समारोह स्थल तक आने-जाने के लिए अक्सर लगेज वाहनों का प्रयोग होता है। कभी पिकअप पर बैठकर जाना पड़ता है तो कभी ऑटो का सहारा मिलता है। बसों का सफर काफी महंगा होता है और मजदूरी से देने में काफी कठिनाई होती है। ऐसे वाहनों से सफर करना खतरे से खाली नहीं होता है। यदि कहीं पर हादसा हो जाए तो दवा से लेकर बीमा तक कोई प्रबंध नहीं होता है। वेटर्स का काम करने के दौरान बेरोजगारी का संकट मुंह बाएं खड़ी रहती है। सहालग में कुछ दिन काम मिल जाते हैं, लेकिन पूरे वर्ष खाली रहकर मजदूरी करना विकल्प बचता है। हालांकि हमारे कुछ साथी शौकिया इस काम को पार्ट टाइप जॉब के तौर पर करते हैं।

पूरी रात मेहनत, सुबह मजदूरी हो जाती है बकाया

टीम लीडर अन्नू बताते हैं कि किसी फंक्शन के दिन सुबह ही हम सभी पहुंच जाते हैं। पूरे दिन काम करते हैं। रात को सर्व करते हैं। भोर में जब भुगतान की बात आती है तो कैटर्स कहता है कि अभी रुपये नहीं मिले हैं। अब रुपया पाने के लिए वहां इंतजार करना पड़ता है। कई बार मजदूरी बकाया रह जाती है। इस काम में कुछ जगहों पर आयोजनकर्ता तो कभी कैटर्स के स्तर पर गड़बड़ी हो जाती है। बस्ती में एक कैटर्स हैं, जिन्होंने दो वर्ष हो गए और बकाया मजदूरी नहीं दी। मेरे साथ कई ऐसे युवक काम करते हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है। उनको अपने पास मजदूरी देकर सहारा दिया।

सुरक्षा का रहता है खतरा, नहीं मिलती इज्जत

समारोह के दौरान एक वेटर को सुरक्षा का सबसे बड़ा खतरा रहता है। कब कौन उसके साथ मारपीट कर दे, इसका ठिकाना नहीं है। किसी ने कोई सामान मांगा और समय से पहुंचाने में देरी हुई तो गाली मिलनी आम बात है। वेटर्स को डांटना कुछ लोग अपना अधिकार समझते हैं। इसके अलावा सामान्य वेटर्स के पास कोई आईकार्ड नहीं होता है। अक्सर समारोह खत्म होने के बाद भोर में ही अपने घर को लौटना होता है।संसाधन नहीं मिलने पर काफी दूरी पैदल भी तय करनी पड़ती है। इस दौरान पुलिस संदिग्ध मानकर पूछताछ करती है। इससे बचने के लिए किसी न किसी सक्षम स्तर से कोई एक पहचान-पत्र मिलना चाहिए, जिससे उनकी यात्रा सुगम हो सके।

शिकायतें

-वेटर्स से काम कराने के बाद कई मौके पर मजदूरी नहीं देते हैं।

-वेटर्स को कस्टमर डील करने के लिए कई प्रकार की कठिनाइयां होती है।

-सहालग में काम मिलता है, उसके बाद काम नहीं मिलता है।

-आते-जाते समय हादसा होने पर कोई बीमा नहीं रहता है।

-कई मौके पर वेटर्स के साथ कस्टमर दुर्व्यवहार करते हैं।

-वेटर्स की मजदूरी काफी कम होती है, जिससे खर्च नहीं चल सकता है।

सुझााव

-वेटर्स की मजदूरी रोकने पर उसे दिलाने वाला फोरम हो।

-वेटर्स को कस्टमर डील करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।

-वेटर्स को पूरे वर्ष काम मिले, इसके लिए कोई सिस्टम डेवलप होना चाहिए।

-वेटर्स को बीमा और कैशलेस चिकित्सा की व्यवस्था होनी चाहिए।

-दुव्यवहार करने वाले कस्टमर के खिलाफ कार्रवाई का प्राविधान हो।

-वेटर्स की मजदूरी को बढ़ाया जाना चाहिए, किराया अलग से मिले।

हमारी भी सुनें

फंक्शन में वेटर्स को सीधे बुकिंग नहीं करके कैटर्स के माध्यम से बुक किया जाता है। इस कारण पार्टी से उनका सीधा संपर्क नहीं होता है। भुगतान कैटर्स को मिलता है और वे मजदूरी रोक लेते हैं।

अन्नू

सहालग व किसी बड़े फंक्शन में काम करने वाले बेटर का तबका काफी पिछड़ा होता है। इन्हें सहालग के समय तो काम मिलता है, लेकिन उसके बाद पूरे वर्ष काम नहीं मिलता है।

नितेश

विवाह, तिकल व अन्य समारोहों में काम करने वाले अधिकतर वेटर शौकिया होते हैं और उन्हें काम के बदले जेब खर्च मिल जाता है। ऐसे वेटर्स को काम का प्रशिक्षण देने की जरूरत होती है।

राज

वेटर्स के काम का समय नहीं निर्धारित होता है। फंक्शन शाम को शुरू होता है। वे तैयार होकर शाम पांच बजे से ही फंक्शन स्थल पर काम करने लगते हैं और भोर तक काम करना पड़ता है।

रामू

हम सभी को वेटर का काम कराने के लिए बुलाया जाता है। काम के दौरान कैटर्स और पार्टी की तरफ से कई अन्य काम बता दिए जाते हैं और हमें दूसरे काम करने पड़ते हैं।

सलिल

अक्सर दूर काम करने जाना पड़ता है। फंक्शन में काम करने के लिए पहुंचने पर तबीयत खराब हो गई तो उसके लिए कोई राहत नहीं मिलती है। बीमारी हालत में भी काम लिया जाता है।

अरुण

वेटर के काम में मेहनत अधिक और उसके बदले मजदूरी कम है। कैटर्स एक निश्चित धनराशि देता है। उसी धनराशि में हमारा किराया, रास्ते का खर्च व बचत तीनों शामिल होता है।

जितेंद्र

कभी-कभी ऐसे फंक्शन होते हैं, जहां पर काम करने वाले वेटर को 24 घंटे तक लगातार जागकर काम करना पड़ता है। दिन में फंक्शन की तैयारी और भोर तक काम चलता है।

ध्रुवजी

हम सभी को लगातार काम नहीं मिलता है। केवल वेटर के काम पर निर्भर रहने से परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो जाता है। कोई व्यवस्था ऐसी हो, जिससे हमें पूरे वर्ष काम मिले।

विष्णु गुप्ता

आम तौर पर वेटर को एक जिले से दूसरे जिले में जाना पड़ता है। बस्ती में गोरखपुर और लखनऊ से वेटर आते हैं। इसके बाद भी वेटर्स का कोई बीमा नहीं होता है। नि:शुल्क बीमा होना चाहिए।

मयंक

हमारा काम बर्तन धुलने से लेकर लजीज व्यंजन को वीआईपी के सामने परोसने तक होता है। फंक्शन के दौरान सभी प्रकार के लोगों से सामाना होता है, लेकिन लोग सम्मान नहीं देते हैं।

रामसागर

अधिकतर फंक्शन के दौरान कुछ खुराफाती तरह के लोग होते हैं। कोई शराब पीकर आता है तो कोई अन्य नशा किए रहता है। ऐसे लोग वेटर्स के साथ खराब व्यवहार करते हैं।

अनिल कुमार

वेटर्स फंक्शन के दिन कार्यस्थल पर पहुंचते हैं। जहां पर उनका बर्तन आदि तैयार करना शुरू हो जाता है। शाम को फंक्शन शुरू होता है और उन्हें भोजन तक करने का समय नहीं मिलता है।

अरुण

वेटर्स को काफी कम मजदूरी मिलती है। वेटर्स के कई काम ऐसे हैं, जिसमें ग्राहक से आमना-सामना ही नहीं होता है और मजदूरी पर निर्भरता रहती है।

अमन सेन

वेटर्स का काम करने के दौरान काफी तनाव मिलता है। काम करते समय थकान होती है तो माहौल में ढलते हुए कस्टमर को सर्विस करने में मानसिक तनाव मिलता है।

करन

ग्राहकों का व्यवहार वेटर्स के लिए काफी चुनौती पूर्ण होता है। उनके व्यवहार के अनुरूप स्वयं को ढालना और उनको सेवाएं देना कठिन चुनौती होता है। इसका प्रशिक्षण मिलना चाहिए।

आकाश

बोले जिम्मेदार

वेटर्स असंगठित कर्मकार की श्रेणी में आते हैं। इनका भारत सरकार की ओर से ई-श्रम कार्ड बनाया जाता है। ई-श्रम कार्ड प्राप्त करने वाले वेटर्स को पांच लाख रुपये तक कैशलेस चिकित्सा की सुविधा है। यदि किन्हीं स्थिति में हादसा होता है तो दो लाख रुपये तक का दुर्घटना बीमा भी रहता है। इनका पंजीयन करना भी आसान होता है। पंजीयन करने के लिए वेटर्स को अपने आधार कार्ड, उससे जुड़ा हुआ मोबाइल नंबर, बैंक का पासबुक और नॉमिनी के नाम की आवश्यकता होती है। यह पंजीकरण निशुल्क होता है। इसके लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगता है। ई-श्रम कार्ड धारक को महामारी के समय में भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं का भी लाभ मिलता है। समय-समय पर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के पंजीकरण के लिए शिविर लगाया जाता है। वेटर्स को अपना पंजीकरण करना चाहिए।

नागेंद्र त्रिपाठी, श्रम प्रवर्तन अधिकारी, बस्ती

बोले ग्रुप लीडर

वेटर्स की लाइफ और काम काफी कठिन है। बर्तन की सफाई से लेकर लजीज व्यंजनों को परोसना उनके काम का हिस्सा होता है। इस दौरान साफ-सफाई, ड्रेस कोड, व्यवहार आदि को बेहतर और श्रेष्ठ करना होता है। इसके बदले में वेयर्स को मिलने वाली मजदूरी काफी कम होती है। कभी-कभी यह मजदूरी नहीं मिलती है। ऊपर से अपमान भी सहना पड़ता है। इन समस्याओं के निस्तारण के लिए कोई उचित फोरम होना चाहिए। इसके साथ ही वेटर्स को बीमा, स्वास्थ्य की सुविधा भी मिलनी चाहिए।

महेंद्र मद्धेशिया, ग्रुप लीडर

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।