बोले बस्ती : जिम की फीस कम हो, सुविधा बढ़े तो आसान हो जाए मुकाम
Basti News - बस्ती में ग्रामीण युवाओं में बॉडी बिल्डिंग का क्रेज बढ़ रहा है, लेकिन जिम की फीस इतनी महंगी हो गई है कि मध्यमवर्गीय युवाओं के लिए जिम जाना मुश्किल हो गया है। युवा खिलाड़ियों ने सरकारी नौकरियों में...
Basti News : शहर ही नहीं अब ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं में भी बॉडी बिल्डिंग का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। खुद को फिट रखने की चाहत में युवा रोजाना जिम जाते हैं। अपने शरीर को बेहतर आकार देने के लिए घंटों जिम में पसीना बहाते हैं। यह आसान काम नहीं है। जिम का क्रेज बढ़ने के साथ ही समस्याएं भी बढ़ रही हैं। जिम की फीस महंगी हो गई है। मध्यमवर्गीय परिवारों के युवाओं की पहुंच से बाहर हो गई है। ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में जिम जाने के शौकीन युवाओं ने अपनी परेशानियां साझा कीं। उन्होंने बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता देने की मांग की। बस्ती शहर में 50 से अधिक तो गांव-कस्बे में भी सैकड़ों जिम संचालित हैं। यहां रोजाना हजारों युवा, युवतियां, महिलाएं और पुरुष समेत अन्य लोग खुद को फिट रखने के लिए अलग-अलग जिमों में पसीना बहा रहे हैं। जिम जाने वाले लोग अपनी क्षमताओं और उम्र के हिसाब से कम से कम एक से दो घंटे का समय रोजाना ही जिम में बिताते हैं। इधर जिम का क्रेज तेजी से बढ़ा है। जिमों में अब पहले की तुलना में अत्याधुनिक मशीनें नजर आती हैं, हालांकि जिम में सुविधाएं तो बढ़ी हैं। साथ ही कुछ परेशानियां भी खड़ी हो गई हैं। बात अगर जिम की फीस की करें तो ये विगत कुछ वर्षों में 10 गुना तक बढ़ गई है। दो दशक पहले जहां एक माह के लिए जिम की फीस 100 से 150 रुपये तक हुआ करती थी। अब वह फीस सामान्य जिम में 1000 के पार हो चुकी है, जबकि थोड़ा वीआईपी होने पर तीन से चार हजार और अलग से ट्रेनर लेने पर फीस और बढ़ जाती है। इन हालातों में आर्थिक रूप से संपन्न लोग तो जिम की फीस और डाइट आसानी से वहन कर लेते हैं। लेकिन मध्यमवर्गीय और आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के लिए जिम जाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। फीस अधिक होने की वजह से बहुत से युवा जिम जाकर बॉडी बनाने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस बात से बहुत से युवाओं में मायूसी भी है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि जिम की फीस कम कराई जाए। कोई ऐसा नियम बनाया जाए, जिससे उनका जिम जाकर बॉडी बनाने का सपना आसानी से साकार हो जाए।
जानकार बताते हैं कि जिले में जगह-जगह जिम खुल गए हैं। इनकी संख्या सैकड़ों के पार है। इसके बाद भी ये हैरत वाली ही बात है कि इनमें से केवल मुट्ठीभर जिम ही विभाग में पंजीकृत हैं। बाकी के जिम संबंधित अधिकारियों की कृपा पर मनमाफिक कमाई रहे हैं। इनमें से अधिकांश जिम ऐसे भी हैं। जहां कुशल प्रशिक्षकों की तैनाती नहीं है। महिला ट्रेनरों की संख्या तो न के बराबर है। जिम में महिला ट्रेनर की तैनाती नहीं होने की वजह से जिम आने वाली महिलाओं और युवतियों को पुरुष ट्रेनरों से ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। पुरुष ट्रेनर होने की वजह से महिलाओं के सामने कई बार असहज करने वाली स्थिति बन जाती है। महिलाओं का कहना है कि जिम में महिला ट्रेनरों की तैनाती रहेगी तो उन्हें काफी आसानी होगी। युवाओं के मन में इस बात का दर्द है कि वह बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करते हैं। खानपान का पूरा ख्याल रखते हैं। बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिलती। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीतने के बाद भी उनके हिस्से में केवल पदक और ट्रॉफी ही आती है। अन्य खेलों के प्रतिभागियों की तरह बॉडी बिल्डरों को किसी भी सरकारी नौकरी में प्राथमिकता नहीं दी जाती है। बॉडी बिल्डरों ने कहा कि अगर अच्छा प्रदर्शन करने पर उन्हें सरकारी नौकरी का अवसर मिलने लगे तो युवा बॉडी बिल्डर वैश्विक स्तर पर देश का नाम रोशन कर दें। उनका कहना है कि महंगी फीस, सप्लीमेंट्स का गलत उपयोग और अच्छे प्रशिक्षकों की कमी बॉडी बिल्डिंग के क्षेत्र को जटिल बना रही हैं।
अपंजीकृत जिमों में सुविधाओं का अभाव
महंगे जिमों की फीस से परेशान होकर कई युवा गली-मोहल्लों में खुलने वाले सस्ते जिम की ओर रुख करते हैं। यह जिम छोटे स्थानों पर खुले होते हैं। इनमें आमतौर पर उपकरणों की कमी होती है। इसके अलावा, यहां प्रशिक्षकों का भी स्तर औसत होता है। ऐसे जिमों में अक्सर उपकरणों की सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाओं की कमी होती है। जो शरीर की सही तरह से देखभाल करने के लिए आवश्यक नहीं होती हैं। जो किसी भी प्रकार की दुर्घटना या स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए इस क्षेत्र में सख्त नियमों और निगरानी की आवश्यकता है। ताकि ऐसे जिमों के द्वारा लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न हो सके।
बॉडी बिल्डिंग से फिट रहती है सेहत
शहर में बॉडी बिल्डिंग का क्रेज लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यह शरीर को फिट रखने का बेहतर माध्यम बन गया है। लोग अपनी फिटनेस और शारीरिक सुंदरता के जिम में हर दिन मेहनत करते हैं। पहले जिम में युवाओं की भीड़ नजर आती थी। जिम में महिलाओं की संख्या बेहद कम रहती थी। अब समय बदल गया है। खुद को फिट रखने के लिए अब हर उम्र के लोग जिम जा रहे हैं। इनमें महिलाओं की संख्या भी बहुतायत में हैं। जिम जाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि जो लोग जिम में वर्कआउट करते हैं। वह अपने खानपान का विशेष ध्यान रखते हैं। अन्य लोगों की तुलना में बीमार भी कम ही पड़ते हैं।
अधिकतर जिम में नहीं है महिला कोच की तैनाती
फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ रही है। हालांकि, अधिकतर जिमों में महिलाओं के लिए अलग से प्रशिक्षक नहीं होते। यही कारण है कि महिलाएं पुरुष प्रशिक्षकों के साथ वर्कआउट करने में असहज महसूस करती हैं। महिलाओं के लिए विशेष कोच की कमी से कई बार उन्हें अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने का अवसर नहीं मिलता। महिलाओं के लिए एक अलग से महिला प्रशिक्षक की नियुक्ति जिम के लिए लाभकारी हो सकती है। इसके द्वारा महिलाएं अपनी फिटनेस यात्रा को और भी प्रभावी तरीके से जारी रख सकती हैं। महिला प्रशिक्षकों की मौजूदगी में महिलाएं खुद को मानसिक रूप से अधिक आरामदायक महसूस कर सकती हैं। वहीं, बॉडी बिल्डिंग में सफलता पाने के लिए एक अच्छा कोच होना जरूरी है। अच्छे कोच न केवल शारीरिक रूप से मार्गदर्शन करते हैं। बल्कि मानसिक रूप से भी बॉडी बिल्डरों को प्रेरित करते हैं।
अनावश्यक सप्लीमेंट से नुकसान
तनियर बॉडी बिल्डर बताते हैं कि बिना परामर्श के सप्लीमेंट्स का अत्यधिक प्रयोग करना बेहद खतरनाक है। ऐसा करने वाले कई बॉडी बिल्डर हार्ट अटैक का शिकार हो चुके हैं। कई दिव्यांग हो गए हैं। प्रोटीन पाउडर, क्रिएटिन, और अन्य सप्लीमेंट्स का सेवन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इससे किडनी स्टोन, लीवर की समस्याएं और हार्मोनल असंतुलन का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन सप्लीमेंट्स का सेवन केवल डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
महंगी हो गई जिम फीस
आजकल जिम जाना सिर्फ शौक नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गई है। हर व्यक्ति चाहता है कि उसका शरीर आकर्षक और स्वस्थ रहे। लेकिन हाल के वर्षों में जिम फीस में अत्यधिक बढ़ोतरी ने एक बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। विशेषकर मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों के लिए जिम की फीस इतनी बढ़ गई है कि यह उनकी पहुंच से बाहर हो गया है। एक सामान्य जिम की फीस अब 1000 से लेकर 5000 रुपये तक हो सकती है। इसका परिणाम यह हुआ है कि जो लोग अपनी फिटनेस को लेकर गंभीर थे, उनके लिए यह खर्च वहन करना कठिन हो गया है। जिनके पास अच्छा जिम जाने का खर्च नहीं है। वे गली-मोहल्ले के सस्ते जिम में जाकर अपनी फिटनेस पर काम करने की कोशिश करते हैं। लेकिन इस तरह के जिमों में जरूरी उपकरणों और अच्छे प्रशिक्षकों की कमी होती है। इससे उनकी परेशानी बढ़ जाती है। इधर, बॉडी बिल्डिंग करने वाले अधिकांश युवाओं के सामने बेहतर कैरियर बनाने की चुनौती रहती है।
शिकायतें
-बॉडी बिल्डरों के लिए रोजगार अवसरों की कमी
-बिना पंजीकरण संचालित किए जा रहे हैं कई जिम
-कई जिमों में नहीं की है योग्य प्रशिक्षकों की तैनाती
-जिम जाने वाले कर रहे गलत सप्लीमेंट का उपयोग
-साल दर साल बढ़ाई जा रही है जिम की मासिक फीस
सुझाव
-बॉडी बिल्डरों को रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएं
- रियायती योजनाएं, छात्रवृत्तियां उपलब्ध करानी चाहिए
- सप्लीमेंट्स के उपयोग के बारे में मार्गदर्शन देना चाहिए
-. अभियान चलाकर सभी जिमों का पंजीकरण होना चाहिए
- जिम की फीस को लेकर गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए
हमारी भी सुनें
शहर में कई अच्छे बॉडी बिल्डर हुए हैं। बॉडी बिल्डिंग में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को सरकारी नौकरी का अवसर मिलना चाहिए। इससे युवाओं का रुझान बढ़ेगा।
शाश्वत श्रीवास्तव
जिम का क्रेज बढ़ने के साथ समस्याएं भी बढ़ रही हैं। जिम की फीस पहले से काफी ज्यादा हो गई है। फीस मध्यमवर्गीय परिवारों के युवाओं की पहुंच से बाहर हो गई है।
अकबर अली
गली-मोहल्लों में खुले जिमों को प्रशिक्षित व योग्य प्रशिक्षकों के साथ रखा जाना चाहिए। ताकि वहां प्रशिक्षण के स्तर में सुधार हो सके। योग्य प्रशिक्षक तैनात होने चाहिए।
स्वास्तिक पांडेय
ये चुनौतीपूर्ण काम है लेकिन फायदेमंद भी है। इससे न केवल शारीरिक मजबूती आती है। बल्कि जिम करने वाले युवा मानसिक रूप से भी मजबूत बन जाते हैं।
कुलदीप यादव
खुद को फिट रखने को अब हर उम्र के लोग जिम जा रहे हैं, जो लोग जिम में वर्कआउट करते हैं। खान-पान का ध्यान रखते हैं। अन्य लोगों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं।
अश्वनी प्रताप राना
जिम फीस कुछ वर्षों में कई गुना तक बढ़ गई है। पहले जिम की फीस 100 से 150 रुपये तक हुआ करती थी। अब फीस 1000 के पार हो चुकी है, इस पर नियंत्रण लगना चाहिए।
आदर्श गुप्ता
बॉडी बिल्डिंग में सफलता पाने के लिए एक अच्छा कोच होना जरूरी है। अच्छे कोच न केवल शारीरिक रूप से मार्गदर्शन करते हैं। बल्कि मानसिक रूप से भी प्रेरित करते हैं।
राजीव राय
बॉडी बिल्डिंग करने वाले अधिकतर युवाओं के सामने करियर बनाने की चुनौती रहती है। ज्यादातर युवा एक या तो बाउंसर या फिर बॉडीगार्ड ही बन पाते हैं।
शहबान खान
युवा जिम जाकर बॉडी बनाने का सपना ही नहीं शारीरिक रूप से हमेशा स्वस्थ भी रह सकते हैं। लेकिन, तमाम युवा फीस के अभाव में जिम छोड़ देते हैं।
अनुराग गुप्ता
महंगे जिमों की फीस से परेशान होकर कई युवा गली-मोहल्लों में खुलने वाले सस्ते जिम की ओर रुख करते हैं। इसमें कई बार हादसे हो जाते हैं।
अमित यादव
जिम संचालक मुनाफा कमाने के लिए कामचलाऊ कोच से काम चला रहे हैं। जबकि प्रशिक्षित और योग्य कोचों नियुक्त करने से इस क्षेत्र में निखार आएगा। इस ओर ध्यान देना चाहिए।
किरन
पहले की तुलना में जिम की मशीनें काफी महंगा हो गया है। इस वजह से जिम की मासिक फीस भी बढ़ गई है। जिम मशीनों पर सब्सिडी मिलनी चाहिए।
ओम यादव
कई बार जिम में हादसे हुए हैं। इसका कारण जिम आने वाले युवाओं में जिम एटीकेट्स की कमी होती है। जिम करने वाने लोगों को नियमों का पालन करना चाहिए।
दुर्गेश प्रताप
खुद को फिट रखने के लिए जिम जाना जरूरी है। मेरी सभी से यही अपील है कि वो उम्र की परवाह नहीं करें। खुद को फिट रखने के लिए जिम जाकर नियमित व्यायाम जरूर करें।
विवेक
जिम में नियमित वर्कआउट के साथ नए तरह के गेम्स कराए जाने चाहिए। इससे वर्कआउट करने वाले को लाभ मिलेगा। सभी जिमों में रनिंग का इंतजाम होना चाहिए।
मो. रफीक
बहुत से जिम संचालक कमाई करने के लिए युवाओं को नुकसानदायक सप्लीमेंट का सेवन करा देते हैं। इस पर पूरी तरह रोक लगाए जाने की जरूरत है।
धर्मवीर राय
अनावश्यक एस्ट्राइड के सेवन से होनहार बॉडी बिल्डरों की जान जाने का खतरा रहता है। सरकार को चाहिए कि जिम प्रशिक्षुओं के साथ ही ट्रेनर व संचालकों भी राहत दे।
राकेश सिंह
आज के दौर में काफी संख्या में युवतियां, महिलाएं जिम जाती हैं। कई जिमों में महिला प्रशिक्षकों की तैनाती नहीं है। इस पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
सौरभ तिवारी
बोले जिम्मेदार
जिम ट्रेनर, जिम प्रशिक्षु के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है। जो भी रोजगार मेले में शामिल होना चाहते हैं पहले वह सेवा योजना पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराएं। एक पोर्टल है सेवा मित्र उस पर भी रजिस्ट्रेशन कराने पर कंपनियां, जेम पोर्टल या फिर अन्य ऑनलाइन टेलीफोनिक सुविधा के जरिये काल करके नौकरी के लिए ऑफर देती हैं। पंजीकरण से उनको भविष्य में भी लाभ मिल सकता है। सरकार कोई पॉलिसी लागू करती है तो जिम ट्रेनर व जिम प्रशिक्षु बॉडी बिल्डर को यह लाभ मिलेगा। बॉडी बिल्डिंग क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश रहे युवा, युवतियों के लिए प्रयास होगा कि कंपनियों से संपर्क कर उनके लिए अलग से रोजगार मेला लगवाया जाए।
अवधेंद्र प्रताप वर्मा, जिला सेवा योजना अधिकारी, बस्ती।
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