बैंडबाजे के साथ निकाली भगवान महावीर की शोभायात्रा
Bijnor News - जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर की जयंती दिगम्बर जैन समाज द्वारा धूमधाम से मनाई गई। शम्भा बाजार स्थित जैन मंदिर पर ध्वजारोहण के बाद भगवान महावीर की शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में विभिन्न...

जैन धर्म के अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर की जयंती दिगम्बर जैन समाज द्वारा श्रद्धापूर्वक मनाई गई। गुरुवार की प्रात: शम्भा बाजार स्थित जैन मन्दिर पर जैन समाज के अध्यक्ष अशोक कुमार जैन (भट्ठे वालों) द्वारा ध्वजारोहण किया गया। तदुपरांत भगवान महावीर की शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सुनील जैन एवं कल्पना जैन द्वारा रथ में विराजमान भगवान महावीर की आरती की गई। शोभायात्रा में सबसे आगे जैन धर्म का बैनर लिए दो युवक चल रहे थे, जिनके पीछे चार घोड़ों पर किशोर जैन धर्म के ध्वज लिए बैठे थे। शोभायात्रा में जहां बाहर से आई ढोल पार्टी अपना करतब दिखा रही थी, वहीं गडूलनों पर मानस्तंभ, घंटियां व अहिंसा परमो धर्म का बैनर लगा हुआ था। दो गडूलनों पर चंवर व जैन धर्म की झंडियां लगी हुई थीं, उसके पीछे एक ठेले पर जलती धूप वातावरण को सुगंधित कर रही थी। एक पालकी में शोभायमान जैन धर्म के पावन ग्रंथ ‘श्री जिनवाणी को चार कहार उठाये चल रहे थे, जबकि दो बैंड जैन धर्म के भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।
शोभायात्रा में एक सुसज्जित बग्घी में राजा श्रेणिक के रूप में प्रदीप कुमार जैन व उनकी पत्नी रानी चेलना के रूप में स्नेहलता जैन बैठे हुए थे। सबसे पीछे रथ चल रहा था, जिसके आगे भजन मंडली धार्मिक गीत गाते हुए चल रही थी जिन पर जैन समाज के स्त्री-पुरूष नृत्य कर रहे थे। जैन समाज के सदस्यों द्वारा रथ को स्वयं खींचा जा रहा था। रथ में आरके जैन भगवान महावीर की प्रतिमा को लिए बैठे थे, जबकि कुबेर के रूप में मुकुल जैन व सारथी के तौर पर नितिन जैन विद्यमान थे।
शोभायात्रा के सिविल लाइन स्थित जैन भवन में पहुंचने पर श्रीजी का जलाभिषेक के साथ पूजा की गई। तदुपरांत शोभायात्रा वहां से लौटकर जैन मन्दिर वापस आई, जहां श्रीजी की पूजा कर उन्हें पुन: उनके सिंहासन पर विराजमान किया गया। शोभायात्रा में जैन समाज के समस्त पदाधिकारियों सहित समाज के अनेक स्त्री-पुरूष शामिल थे।
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