बीजेपी ने पीडीए फाॅर्मूले का खोजा जवाब, संगठन में तेज हुआ जातीय गुणा गणित; जानें रणनीति
संगठनात्मक ढांचे में जातीय गुणा-गणित दुरुस्त करने पर भाजपा का जोर है। इसके जरिए भाजपा विपक्ष के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को जवाब देना चाहती है। भगवा खेमे ने इसकी कवायद संगठनात्मक मंडलों के गठन से शुरू कर दी है। इन मंडलों में पार्टी करीब 1 लाख 17 हजार कार्यकर्ताओं को समायोजित करेगी।

UP Politics: भाजपा ने संगठनात्मक मोर्चे पर अभी से 2027 की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी सामाजिक समीकरण साधने में जुटी है। इसके लिए संगठनात्मक ढांचे में जातीय गुणा-गणित दुरुस्त करने पर जोर है। इसके जरिए भाजपा विपक्ष के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को जवाब देना चाहती है। भगवा खेमे ने इसकी कवायद संगठनात्मक मंडलों के गठन से शुरू कर दी है। इन मंडलों में पार्टी करीब 1 लाख 17 हजार कार्यकर्ताओं को समायोजित करेगी। इनमें पिछड़ों और दलितों की भागीदारी बढ़ाने पर फोकस रहेगा।
लोकसभा चुनाव से सबक लेने के बाद भाजपा नये सिरे से सामाजिक ताना-बाना बुनने में जुट गई है। उधर, विपक्ष पीडीए के दांव से उसे चुनौती दे रहा है। इसे देखते हुए भाजपा ने सबको साधने की मुहिम शुरू कर दी है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह इसे लेकर क्षेत्रवार बैठकें कर रहे हैं। इस मुहिम को अमलीजामा पहनाने की कवायद में वे पिछड़ी जातियों में उन सभी जातियों को मंडल कमेटियों में शामिल करने पर जोर दे रहे हैं, जिन्हें अभी प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। पिछड़ों और दलितों को वरीयता के साथ ही सभी जातियों को भागीदारी देने पर जोर है।
अब तेज होगी जिला-मंडल गठन की कवायद
दरअसल भाजपा का संगठन प्रदेश में 1918 मंडलों में बंटा है। हर मंडल में 61 लोगों की कमेटी गठित होनी है। इस लिहाज से प्रदेश में 1 लाख 16 हजार 998 कार्यकर्ता सिर्फ मंडलों में ही समायोजित हो जाएंगे। इसके अलावा अभी जिला कमेटियों का भी गठन होना है। पार्टी 98 संगठनात्मक जिलों में से 70 जिलाध्यक्ष घोषित कर चुकी है। अभी 28 की घोषणा होना बाकी है, हालांकि इन्हें लेकर सारी कवायद लगभग पूरी हो चुकी है।
कुछ नाम दिल्ली भेजे भी जा चुके हैं। पहलगाम की आतंकी घटना के बाद से बदले माहौल में पार्टी की सभी संगठनात्मक गतिविधियां थम गई थीं। अब सीजफायर के ऐलान के बाद भाजपा अपनी सियासी गतिविधियों को फिर तेज करने में जुटेगी। अब मंडलों और जिलों की कमेटियों के गठन की कवायद तेज होगी।