Changing Trends in Flour Mills Health Impacts and Business Challenges in Bulandshahr बोले बुलंदशहर: पैकिंग और विज्ञापन में मुकाबला नहीं कर पा रहे आटा चक्की व्यापारी, Bulandsehar Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsBulandsehar NewsChanging Trends in Flour Mills Health Impacts and Business Challenges in Bulandshahr

बोले बुलंदशहर: पैकिंग और विज्ञापन में मुकाबला नहीं कर पा रहे आटा चक्की व्यापारी

Bulandsehar News - बुलंदशहर में आटा चक्कियों का स्वरूप बदल रहा है। पहले लोग हाथ से पिसे हुए आटे का सेवन करते थे, जिससे बीमारियों की संख्या कम थी। अब फ्लोर मिलों के आगमन से लोग पैकिंग वाला आटा पसंद कर रहे हैं, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरFri, 28 March 2025 06:12 PM
share Share
Follow Us on
बोले बुलंदशहर: पैकिंग और विज्ञापन में मुकाबला नहीं कर पा रहे आटा चक्की व्यापारी

बुलंदशहर। बदलते दौर में आटा चक्कियों का भी स्वरूप बदल रहा है। पुराने जमाने में जब घरों में हाथों से चक्की का पिसा हुआ आटा खाने में प्रयोग होता था तो लोग कम ही बीमार पड़ते थे। क्योंकि इस आटा में किसी भी प्रकार की मिलावट होने का कोई संदेह नहीं रहता था। फिर दौर वो भी आया जब लोगों ने बिजली की मदद से आटा चक्की खोल ली। इन पर भी घरों की महिलाएं अथवा पुरुष राशन या मंडी से खरीदे गए गेहूं की धुलाई कराकर उसको अपनी आंखों के सामने पिसवाते थे। धीरे-धीरे बिजली से चलने वाली मशीनों के स्थान पर इनका आकार बड़ा होकर फ्लोर मिल पर पहुंच गया। जहां पर अब आधुनिक मशीनों की मदद से आटा पैकिंग हो रही है। जो बाजार में ग्राहकों को खूब पसंद आ रहा है। ऐसे में आटा चक्की कारोबार पर बहुत ज्यादा असर पड़ गया है। अब सिर्फ गरीब तबका ही आटा चक्की पर गेहूं की पिसाई करने के लिए आ रहा है। जबकि मध्यम और उच्च परिवार के लोग पैकिंग वाला आटा ही खाना पसंद कर रहे हैं और इसी वजह से वह बीमारियों की चपेट में भी आ रहे हैं।

1980 के दशक में शहर के तेलीवाड़ा में पांच-छह एक साथ आटा चक्की होती थी। धीरे-धीरे फ्लोर मिल लगने के बाद अब लोगों ने आटा चक्की का कारोबार बंद कर खुला आटा बिक्री करना शुरू कर दिया। स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब सिर्फ बाजार में एक ही आटा चक्की रह गई है। हालांकि कुछ व्यापारियों ने आटा चक्की को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट कर दिया है। जबकि वह बाजार में बैठकर खुले में आटा बिक्री करने का काम कर रहे हैं। इसके पीछे आटा चक्की का पुश्तैनी काम करने वाले कारोबारी अब्दुल गफ्फार का कहना है कि आज के दौर में लोग रेडिमेड माल को तव्वोजो दे रहे हैं। लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक नहीं हो रहे। आटा चक्की पर जब लोग गेहूं की पिसाई कराने आते थे तो उनकी आंखों के सामने आटा निकलता था। जिसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं होती थी। अब आटा पैकिंग में आ रहा है। जिसके खराब होने के चांस भी अधिक रहते हैं। इसलिए लोगों की सेहत पर भी इसका असर पड़ रहा है।

लोग झंझट से बचने के लिए पैकिंग वाला आटा कर रहे हैं पंसद : आटा कारोबारियों का कहना है कि अब लोगों के पास समय कम रहता है। इसलिए वह राशन पर मिलने वाले गेहूं को मंडी में बिक्री करना अधिक पसंद करते हैं। इसके बदले में वह पैकिंग वाला आटा खरीद रहे हैं। लोगों के मन में अब यह भी अवधारणा बन गई है कि गेहूं की पिसाई में अधिक समय लगता है और बाजार में हर तरफ पैकिंग वाला विभिन्न दामों में आटा पैकेट उपलब्ध हैं। ऐसे में गेहूं को ढोना और फिर आटा को घर तक ले जाने के झंझट से भी लोग तौबा कर रहे हैं। यही वजह है कि आज आटा चक्की कारोबार की पूछ कम हो रही है।

मधुमेह रोग से बचने के लिए खूब बिक्री हो रहा है मिक्स आटा : अधिकांश लोग इस समय मधुमेह रोग से पीड़ित है। संभवतय शायद ही ऐसा कोई घर शेष हो, जहां पर इस बीमारी का पीड़ित मरीज ना हो। ऐसे में आटा चक्की कारोबारियों के पास मिक्स आटा की डिमांड सबसे अधिक है। गेहूं के साथ-साथ चावल, जौ, चने, बाजारे, सोयाबीन का आटा भी उपलब्ध है। इसके अलावा चने का सत्तू और जौ का सत्तू भी लोगों को खूब पसंद आ रहा है। मिश्रित आटा की बिक्री होने के बाद से कारोबारियों को राहत जरूर मिली है, लेकिन वह चाहते हैं कि आटा चक्की का चलन फिर से शुरू हो जाए तो बेहतर होगा।

--------

सेहतमंद तो खुली आंखों के सामने निकलने वाला आटा ही होता है

इस समय लोग जहां योग की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, वहीं कुछ ऐसे भी है जो अपनी सेहत के प्रति बिल्कुल भी जागरूक नहीं है। इसलिए लोग अधिक बीमार हो रहे हैं और शायद ऐसा कोई घर शेष होगा, जहां पर लोग किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित होंगे। कोई हाई ब्लड प्रेशर का मरीज होगा तो किसी को मधुमेह होगा। कोई दिल की बीमारी से परेशान होगा तो कोई खराब पाचन क्रिया से जूझ रहा होगा। चिकित्सकों का भी मानना है कि सेहत बिगड़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह खानपान होता है। आजकल के युवा वर्ग जिस प्रकार जंक फूड पसंद कर रहे हैं और गेहूं, मक्का, बाजारा, जौ, चावल आदि का कम सेवन कर रहे हैं। यह उनकी सेहत पर भी असर डाल रहा है। आटा चक्की कारोबारी अब्दुल गफ्फार ने बताया कि आंखों के सामने निकलने वाला आटा ही सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की मिलावट होने का कोई भी चांस नहीं होता।

----

पॉलीथिन में मिलने वाला आटा कर सकता है नुकसान

पॉलीथिन में मिलने वाला आटा भी सेहत के लिए कई प्रकार की बीमारियां लेकर आता है। क्योंकि पॉलीथिन को लेकर इस समय नगर पालिका और अन्य विभाग इस पर बैन लगाने के साथ-साथ उसे जब्त करने की भी कार्रवाई कर रहे हैं। उसके बाद भी धड़ल्ले से पॉलीथिन में विभिन्न प्रकार की कंपनियां आटा बिक्री करने का काम कर रही है। आटा कारोबारियों का कहना है कि यदि कंपनियों को आटा बिक्री करना है तो उसे कट्टे में ही होना चाहिए। ऐसे में अधिकांश लोग कई-कई दिनों तक घरों में पॉलीथिन में ही आटा रख लेते हैं। इस आटे की रोटियां बनाने और खाने से कई प्रकार की परेशानी होने का खतरा बना रहता है। इसलिए प्रशासन के अधिकारियों को कोशिश करनी चाहिए कि कंपनियों को जागरूक करें और कोशिश करें कि वह आटे की पैकिंग ऐसी करें, जिसके सेवन से लोगों की सेहत पर कोई प्रभाव नहीं पड़े।

-----

फ्लोर मिल चलने चाहिए शहर से बाहर

आटा चक्की कारोबारियों का कहना है कि फ्लोर मिल शहर के अंदर चलने के बजाय इन्हें बाहर संचालित होना चाहिए। क्योंकि शहर के भीतर उनके चलने से उनके बड़े-बड़े वाहनों से अक्सर जाम लग जाता है। जिस वजह से शहर के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि फ्लोर मिल बाहर चले जाएंगे तो शहर में लगने वाले जाम से निजात मिल सकेगी। इस व्यवस्था के लिए प्रशासन के अधिकारियों को सुनियोजित योजना बनानी चाहिए।

------

क्या कहते हैं आटा चक्की कारोबारी

दिन-प्रतिदिन महंगाई बढ़ रही है। साथ ही आटा चक्की के कारोबार में भी काफी कंपटीशन हो गया है। चक्की बंद होकर फ्लोर मिल बन रहे हैं। इससे दिक्कत तो हो ही रही है।

-अब्दुल गफ्फार

शहर में अब गिनी-चुनी ही आटा चक्की शेष रह गई है। जो लोग काफी समय से इस कारोबार से जुड़े थे अब उन्होंने अपना कारोबार बड़ा कर फ्लोर मिल लगाने शुरू कर दिए हैं। इससे यह काम काफी प्रभावित हो रहा है।

-वसीम

यदि बाजार में मिश्रित आटा को छोड़ दिया जाए तो आटा चक्की संचालकों के पास दिनभर में गिने-चुने ही ग्राहक गेहूं की पिसाई कराने आते हैं। जिससे काफी दिक्कत हो रही है।

-गौरव

ग्राहक समय की बचत करने के लिए पैकिंग वाला आटा लेना अपनी वरीयता सूची में शामिल कर रहे हैं। इससे आटा चक्की का कारोबार करने वाले व्यापारियों को परेशानी हो रही है।

अरविंद अग्रवाल

महंगाई के चक्कर में मुनाफा कम हो रहा है। काफी समय तक शहर की गली-मोहल्लों में आटा-चक्की हुआ करती थी, अब इनकी संख्या धीरे-धीरे कम होने लगी है।

उत्कर्ष

यदि आटा चक्की कारोबार को बचाना है तो इस कारोबार को करने वाले लोगों के लिए प्रशासन को ठोस योजना बनानी होगी। इससे ही कुछ फायदा हो सकता है।

-इब्राहिम

------

सुझाव::

1.रेडीमेड माल को तरजीह के साथ-साथ आटा चक्की कारोबारियों की समस्याओं का भी ध्यान रखना चाहिए।

2.आटा चक्की कारोबारियों का उत्थान किस प्रकार होगा, इस पर मंथन होना आवश्यक।

3.लोगों को अपनी सेहत के प्रति सचेत रहना है तो आंखों के सामने गेहूं की पिसाई वाला ही आटा खाएं।

4.आटा चक्की खोलने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाए। साथ ही उन्हें कई रियायतें भी दी जाए।

5.समय-समय पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस कारोबार को करने वालों के साथ बैठक करनी चाहिए।

शिकायत::

1.आटा चक्की संचालन में सबसे बड़ी बाधा मीटर की। इस समस्या का समाधान जरूरी।

2.प्रशासन के अधिकारियों को आटा चक्की संचालकों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का हल कराना चाहिए।

3.अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने पर मंथन होना चाहिए और आटा चक्की कारोबार के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

4.लोगों को भी आंखों के सामने निकलने वाले आटे को ही रसोईघर में प्रयोग करना चाहिए।

5.जहां पर आटा चक्की चल रही हैं, वहां पर पार्किंग की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

-------

कोट::

आटा चक्की कारोबारियों की परेशानियों को दूर करने की कोशिश रहेगी। उनको क्या-क्या मदद मिल सकती है, इस पर भी अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। यदि संभव हुआ तो शासन स्तर पर भी वार्ता कर उनकी समस्याओं को हल कराया जाएगा।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।