हत्या के मामले में 25 साल बाद भी दाखिल नहीं हुई चार्जशीट, रिपोर्ट दर्ज
Bulandsehar News - 1999 में नगर क्षेत्र में हुई लाखे सिंह की हत्या के मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। आरोप पत्र सीओ कार्यालय में दाखिल किया गया, लेकिन न्यायालय में नहीं भेजा गया। एसएसपी ने जांच के बाद तीन...

नगर क्षेत्र में करीब 25 साल पहले हुई हत्या के मामले में पुलिस ने विवेचना कर सीओ कार्यालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया, किंतु सीओ कार्यालय से न्यायालय में यह आरोप पत्र प्रेषित ही नहीं किया गया। जिला जज न्यायालय से बार-बार पत्राचार किए जाने के बाद एसएसपी ने कमेटी बनाकर पूरे प्रकरण की जांच कराई, तो वर्ष 2000 में सीओ कार्यालय में तैनात तीन पुलिसकर्मियों की लापरवाही उजागर हुई। इनमें से दो उपनिरीक्षक सेवानिवृत हो चुके हैं। एसएसपी के आदेश पर नगर कोतवाली में दोनों सेवानिवृत दरोगा और एक मौजूदा दरोगा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। वर्ष 1999 में नगर क्षेत्र में हुए लाखे सिंह हत्याकांड में सीओ कार्यालय में उस वक्त तैनात पुलिसकर्मियों की बड़ी लापरवाही सामने आई है।
नगर पुलिस द्वारा जांच कर आरोप पत्र सीओ कार्यालय में प्रेषित कर दिया गया, किंतु साठगांठ अथवा लापरवाही के चलते यह आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित नहीं किया गया। अब मामले में नगर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। नगर कोतवाली में एएसपी नगर के कार्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल हरेंद्र सिंह ने दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया है कि वर्ष 1999 में नगर कोतवाली में मुकदमा अपराध संख्या 363/1999 के तहत धारा 302 आईपीसी बनाम कैलाश पुत्र नेपाल निवासी लोधी वाली गली, देवीपुरा द्वितीय(कोतवाली नगर) के तहत दर्ज कराया गया था। 22 मई 1999 में आरोपी कैलाश द्वारा अपने बाबा लाखे सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने विवेचना उपरांत 29 मार्च 2000 को आरोप पत्र संख्या 102/2000 सीओ पेशी कार्यालय में प्रेषित कर दिया। आर्म्स एक्ट में पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल कर दी गई, किंतु हत्या में केस डायरी न्यायालय में दाखिल न होने के कारण जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा बार-बार पत्राचार किया गया। सीओ कार्यालय एवं न्यायालय में उक्त अभियोग की केस डायरी की जानकारी न होने के संबंध में एसएसपी बुलंदशहर द्वारा 17 जनवरी 2025 को जांच के आदेश किए गए। इन पर हुई एफआईआर दर्ज जांच में वर्ष 2000 में सीओ कार्यालय में तैनात पुलिसकर्मी रामधन सिंह नागर (सेवानिवृत उपनिरीक्षक) निवासी गौतमबुद्धनगर, कृष्णवीर सिंह (सेवानिवृत उपनिरीक्षक) निवासी गाजियाबाद और उपनिरीक्षक अशोक कुमार (वर्तमान में थाना अरनियां) की लापरवाही सामने आई। इसमें से सेवानिवृत उपनिरीक्षक रामधन सिंह नागर और कृष्णवीर सिंह हेड पेशी तथा उपनिरीक्षक अशोक कुमार कांस्टेबल क्लर्क के पद पर तैनात थे। नगर कोतवाली में एसएसपी के आदेश पर तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। नगर कोतवाली प्रभारी ने बताया कि मामले में नियमानुसार जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी। जांच में लापरवाही आई सामने एसएसपी के आदेश पर पूरे प्रकरण की जांच पुलिस उपाधीक्षक मधुप कुमार सिंह द्वारा की गई। जांच में सामने आया कि सेवानिवृत उपनिरीक्षक रामधन सिंह नागर निवासी गौतमबुद्धनगर, सेवानिवृत उपनिरीक्षक कृष्णवीर सिंह निवासी गाजियाबाद दिनांक 8 अप्रैल 2000 से 9 मई 2001 तक सीओ नगर कार्यालय में हेड पेशी नियुक्त थे। उपनिरीक्षक अशोक कुमार(थाना अरनियां) उस वक्त सीओ नगर पेशी कार्यालय में कांस्टेबल क्लर्क थे द्वारा उक्त मुकदमे की दैनिकी एवं आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित न करने, एसआर पत्रावली तथा वर्ष 1999 का रजिस्टर सुरक्षित न रखने के संबंध में लापरवाही, उदासीनता आदि के दोषी पाए गए। न्यायालय में आरोप पत्र समय से प्रेषित न होने के कारण मुकदमा उपरोक्त के आरोपी कैलाश पुत्र नेत्रपाल के खिलाफ अभियोजन पक्ष द्वारा प्रभावी पैरवी नहीं की जा सकी है। उम्रकैद तक की सजा का है प्रावधान वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष कुमार राघव ने बताया कि आईपीसी 409 के तहत आरोप साबित होने पर अभियुक्त को अधिकतम उम्रकैद अथवा 10 साल तक की सजा और अर्थदंड का प्रावधान है। ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो लोकसेवक, बैंकर, व्यापारी आदि है और अपनी जिम्मेदारी में विश्वास का उल्लंघन करता है। कोट-- नगर क्षेत्र में वर्ष 1999 में हुई हत्या के मामले में चार्जशीट दाखिल नहीं हो सकी है। इसका पता चलने पर जांच कराई गई। जांच के आधार पर लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। - दिनेश कुमार सिंह, एसएसपी
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