Transporters in Bulandshahr Demand Lower Toll Taxes Amid Rising Fuel Costs बोले बुलंदशहर: बढ़ते ईंधन के दाम और टोल टैक्स की मार झेल रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार, Bulandsehar Hindi News - Hindustan
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बोले बुलंदशहर: बढ़ते ईंधन के दाम और टोल टैक्स की मार झेल रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार

Bulandsehar News - -प्रतिवर्ष दिया जाता वाणिज्यिक टैक्स, फिर भी लगता वाहनों पर टोल टैक्सबोले बुलंदशहर: बढ़ते ईंधन दाम और टोल टैक्सबोले बुलंदशहर: बढ़ते ईंधन दाम और टोल टैक्स

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरMon, 5 May 2025 01:36 AM
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बोले बुलंदशहर:  बढ़ते ईंधन के दाम और टोल टैक्स की मार झेल रहा ट्रांसपोर्ट कारोबार

बुलंदशहर। जिले के विभिन्न स्थानों पर स्थित ट्रांसपोर्ट बढ़ते तेल के दाम और टोल टैक्स की मार झेल रहा है। ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वाले व्यापारियों के अनुसार प्रतिवर्ष वाणिज्यिक टैक्स देने के बाद भी टोल टैक्स लगने से नुकसान होता है। खुर्जा में करीब 300 से अधिक पॉटरी इकाइयां हैं। यहां से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा, गुजरात, कश्मीर, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु सहित विभिन्न राज्यों में पॉटरी उत्पाद जाता है। इसके लिए उद्यमी ट्रांसपोर्ट की सुविधा का प्रयोग करते हैं। जिसमें ट्रक, मेटाडोर आदि वाहन शामिल हैं। ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वालों के अनुसार वाणिज्यिक वाहन लेने के दौरान टैक्स जमा होता है।

साथ ही प्रतिवर्ष टैक्स दिया जाता है। जिसके बाद भी अलग अलग हाइवे पर टोल टैक्स वसूला जाता है। कई बार एक ही बार सामान जाने के दौरान कई जगह टोल टैक्स लग जाता है। जिसके अनुसार भाडा नहीं मिल पाता है। ऐसे में ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वाले व्यापारियों को कम लाभ होता है। वहीं बढ़ते डीजल के दामों से भी भाड़ा बढ़ जाता है। बावजूद इसके बढ़ते भाड़े को कस्टमर नहीं देना चाहता है। व्यापार को बनाए रखने के लिए कम लाभ में कार्य करना पड़ता है। ट्रांसपोर्ट कार्य करने वाले व्यापारियों के अनुसार वाणिज्यिक वाहनों पर प्रतिवर्ष लिया जाने वाले टैक्स के बाद टोल टैक्स नहीं लगना चाहिए। जिससे भाडा कम होगा। साथ ही अच्छा लाभ मिलेगा। टोल टैक्स नहीं लगने पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले उत्पादों का मूल्य भी कम होगा। ऐसे में सभी तरह के व्यापारियों को लाभ मिलने लगेगा। ------- पॉटरी कारोबारी चाहते हैं सस्ता ट्रांसपोर्ट खुर्जा के पॉटरी उत्पादों पर 12 प्रतिशत की जीएसटी लगती है। साथ ही टूट फूट से भी काफी नुकसान होता है। ऐसे में उद्यमी ट्रांसपोर्ट का भाडा सस्ता चाहते हैं, लेकिन बढ़ते इधनों के दाम और टोल टैक्स के चलते भाड़ा सस्ता नहीं हो पाता है। कारणवश कई बार उद्यमियों की ओर से ट्रांसपोर्ट रद्द हो जाता है। वरना कम मुनाफे के साथ टांसपोर्ट की सुविधा देनी पड़ती है। आज के दौर में व्यापार में काफी कम्प्टीशन है। जिसके चलते टांसपोर्ट का कार्य करने वाले व्यापारियों को कम मुनाफे के साथ ट्रांसपोर्ट की सुविधा देनी पड़ती है। ------- कोरोना काल में ट्रांसपोर्ट की नहीं मिलती सुविधा, तो भूखे रहते लोग कोरोना काल के दौरान लॉकडाउन लगने के चलते सभी का आवागमन रुक गया था। एसे में ट्रांसपोर्ट की सुविधा का संचालन होने के चलते लोगों को अनाज समय से मिल पाया था। यदि ट्रांसपोर्ट की सुविधाओं पर भी ब्रेक लग जाता, तो कई लोग भूखे रह जाते। कोरोना के मामले ज्यादा होने के साथ ही भारत में लॉकडाउन लग गया था। लोगों का घरों से बाहर निकलना सख्त मना था। समय के गुजरने के साथ ही घरों में रखा अनाज भी खत्म होना शुरू हो गया। एसे में अपनी जान को खतरे में डालकर टांसपोर्ट का कार्य करने वाले लोगों ने ट्रकों और मेटाडोर के जरिए लोगों तक खाना पहुंचाया था। ट्रकों में भरकर अनाज भेजा जाने लगा था। सभी आवश्यक कार्यों को पूरा करने के लिए ट्रांसपोर्ट की मदद ली गई थी। जिसके बाद भी टांसपोर्ट का कार्य करने वाले व्यापारियों को कम मुनाफा हो रहा है। वह लगातार सामान ले जाने वाले ट्रांसपोर्ट पर लगने वाले टोल को कम कराने की मांग कर रहे हैं। --------- साल भर में सिर्फ 6 महीने ही रफ्तार पकड़ता है कारोबार ट्रांसपोर्टर कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि यदि देखा जाए तो हमारा व्यापार 12 महीनों में से सिर्फ छह महीने ही चलता है। हर साल सावन की कावड़ यात्रा, बरसात और कड़ाके की सर्दी में ट्रकों की रफ्तार पर ब्रेक लग जाता है। इन छह महीनों में ही अपने खर्चे सहित कर्मचारियों का वेतन, बैंकों की किश्त, रिन्यूअल और टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। --------- डग्गामार वाहनों की संख्या से बढ़ रही दिक्कत ट्रांसपोर्ट संचालकों का कहना है कि इन दोनों डग्गामार वाहनों की संख्या दिन प्रतिदिन काफी बढ़ रही है। यह अनाधिकृत वाहन बिना किसी नियम कानून का पालन किए बगैर संचालित हो रहे हैं। साथ ही यह वहान माल ढोने का भी काम कर रहे हैं। जिससे ट्रांसपोर्ट कारोबार करने वालों की आमदनी में भारी गिरावट आ रही है। इन वाहनों के संचालित होने से उन्हें हजारों रुपए का नुकसान हो रहा है। ऐसे वाहनों पर प्रशासन के अधिकारियों को नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए। ----- ट्रांसपोर्टर संचालकों का दर्द जानिए वाणिज्यिक वाहन को खरीदने के दौरान टैक्स देना पड़ता है। जिसके बाद प्रतिवर्ष टैक्स देना होता है। ट्रांसपोर्ट सुविधा के दौरान टोल टैक्स देने पर भाड़ा महंगा हो जाता है। कई बार भाड़ा मिल जाता है। कई बार कम मुनाफे से व्यापार चलाना पड़ता है। -मनोज, ट्रांसपोर्ट संचालक एक बार में ही टैक्स जमा हो जाना चाहिए। प्रतिवर्ष टैक्स देने और टोल टैक्स को देने से लाभ कम मिल पाता है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -अजीत चौधरी, ट्रांसपोर्ट संचालक कई बार सड़क हादसे होने पर वाहनों में नुकसान हो जाता है। वहीं बढ़ते टोल टैक्स से मुनाफा कम हो जाता है। वाणिज्यिक वाहनों पर एक बार ही टैक्स लेना चाहिए। -मनोज, ट्रांसपोर्ट संचालक कई मार्ग एसे हैं, जहां पर टोल टैक्स वसूला जाता है। जिसके बाद भी उन मार्गों की हालत खराब है। खराब रोड़ पर ट्रांसपोर्ट सुविधा देने से वाहनों के पार्टस खराब हो जाते हैं। -राहुल कुमार, ट्रांसपोर्ट संचालक टोल टैक्स के बढ़ने से ट्रांसपोर्ट महंगा हो जाता है, लेकिन सामान भेजने वाले उपभोक्ता पुराने दामों को देते हैं। ट्रांसपोर्ट पर लगने वाला टोल कम होना चाहिए। जिससे उचित लाभ मिल सके। -अनुज पिलानी, ट्रांसपोर्ट संचालक बढ़ते टोल टैक्स से काफी नुकसान होता है। कई बार कम लाभ में लोगों को ट्रांसपोर्ट की सुविधा देनी पड़ती है। ट्रांसपोर्ट के लिए टोल में छूट मिलनी चाहिए। -अभय कुमार भारद्वाज, ट्रांसपोर्ट संचालक वर्षिक और टोल टैक्स देने से कई बार टैक्स भुगतान करना पड़ता है। एक ही बार टैक्स लिया जाना चाहिए। इससे काफी नुकसान होता है। कई बार बिना मुनाफे के ट्रांसपोर्ट सुविधा मुहैया करानी पड़ती है। -अमरजीत सिंह, ट्रांसपोर्ट संचालक इधनों के दाम भी अधिक हैं। इसके साथ ही टोल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इससे ट्रांसपोर्ट के कार्य में कम लाभ होता है। ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वालों के लिए टोल पर छूट मिलनी चाहिए। -अविनाश शर्मा, ट्रांसपोर्ट संचालक इधनों के बढ़ते दाम और बढ़ते टोल टैक्स से ट्रांसपोर्ट महंगा पड़ता है। एसे में उपभोक्ता पूरा भाड़ा नहीं दे पाते हैं। कम मुनाफे के साथ ट्रांसपोर्ट की सुविधा देनी पड़ती है। -लोकेश सैनी, ट्रांसपोर्ट संचालक सरकार को ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वाले लोगों के विषय में सोचना चाहिए। कई बार टैक्स जमा करने से काफी नुकसान हो जाता है। मुनाफा कम हो रहा है। -मोहित भारद्वाज, ट्रांसपोर्ट संचालक कई बार सड़क दुर्घटना होने से काफी नुकसान हो जाता है। वहीं इधनों के दाम और बढ़ता टोल टैक्स के चलते मुनाफा कम होता है। -मौहम्मद फैजान, ट्रांसपोर्ट संचालक ट्रांसपोर्ट के कार्य के दौरान उपभोक्ताओं से भाड़े को लेकर कई बार बहस हो जाती है। जिसके बाद भी कम मुनाफे के साथ कार्य करना पड़ता है। ट्रांसपोर्ट संचालकों ने कई बार टोल में छूट कराने की मांग की है। -फैजान, ट्रांसपोर्ट संचालक ------------------ सुझाव 1-वाणिज्यिक वाहनों पर खरीद के दौरान और प्रतिवर्ष लगने वाले टैक्स के अलावा टोल टैक्स नहीं लगना चाहिए। 2-ट्रांसपोर्ट खर्चा और मुनाफा लगाने के बाद न्यूनतम भाड़ा तय रहना चाहिए, जिससे ट्रांसपोर्ट का कार्य करने वाले व्यापारियों को नुकसान नहीं होगा। 3-जिले में अनाधिकृत मालवाहक वाहनों की वजह से कारोबार प्रभावित ना हों, इसके होने चाहिए प्रयास। 4-कृषि कार्य के वाहनों से नहीं होनी चाहिए माल की ढुलाई। 5-शहर में होनी चाहिए ट्रकों की पार्किंग व्यवस्था। शिकायत 1-वाणिज्यिक वाहनों पर टोल टैक्स की दरों को किया जाए कम। 2-शहर में ट्रकों की पार्किंग की व्यवस्था होनी चाहिए। 3-एक मार्ग पर कई जगह टोल देना होता है, इससे ट्रांसपोर्ट कारोबार से जुड़े लोगों को होती है दिक्कत। 4-कृषि कार्य में लगने वाले वाहनों से बंद होना चाहिए माल ढुलाई का काम। 5-अनाधिकृत वाहनों का संचालन होना चाहिए बंद। ------ कोट:: ट्रांसपोर्टरों की समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण कराया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही ट्रांसपोर्ट संचालकों की बैठक बुलाकर खुद की समस्याओं को जानने की कोशिश की जाएगी। - डा.भोला सिंह, सांसद, बुलंदशहर ------------

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