पाठा की दो बेटियों ने पुलिस में पाई कामयाबी, ट्रेनिंग सेंटर में हुआ जोरदार स्वागत
Chitrakoot News - चित्रकूट के पाठा क्षेत्र में चार दशक तक डकैतों का आतंक रहा। अब, इन डकैतों के सफाए के बाद, पाठा की बेटियां पुलिस में भर्ती होकर देश की सेवा के लिए आगे आई हैं। मांशी और पूजा ने पुलिस भर्ती परीक्षा में...
चित्रकूट, संवाददाता। घनघोर जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों के बीच एमपी सीमा से सटे पाठा क्षेत्र के गांवों में करीब चार दशक तक दुर्दांत डकैतों का खौफ लोगों के बीच रहा है। दुर्दांतों की बंदूकों से निकलने वाली गोलियों की तड़तड़ाहट पाठा के गांवों में गूंजती रही है। इसी पाठा में दुर्दांतों का सफाया होने के साथ ही अब यहां की बेटियां पुलिस में भर्ती होकर बंदूक थामने के लिए आगे आ चुकी है। एमपी सीमा से सटा पाठा क्षेत्र चार दशक तक दुर्दांतों का मुफीद ठिकाना रहा है। उस दौरान डकैतों के खिलाफ मुंह खोलने वाले लोगों को अपनी जिंदगी ही गंवानी पड़ी है।
इन डकैतों की वजह से ही पाठा हर क्षेत्र में पीछे चला गया। लेकिन अब दुर्दांतों का सफाया होने के साथ ही पाठा की बेटियां भी बंदूक थामकर अपराधियों से लोहा लेने को आगे आ रही है। मानिकपुर ब्लाक क्षेत्र की रहने वाले परमानंद केशरवानी की बेटी मांशी और रामनगर ब्लाक के इटवां गांव के रहने वाले साधारण किसान धीरज द्विवेदी की बेटी पूजा द्विवेदी ने इस वर्ष पुलिस भर्ती परीक्षा में सफलता हासिल कर चुकी है। दोनो स्वास्थ्य परीक्षण आदि की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ट्रेनिंग में जाने की तैयारी कर रही है। पाठा के मारकुंडी कस्बे में सेवानिवृत्त प्रदीप शुक्ला लाला फौजी ने प्री आर्मी ट्रेनिंग सेंटर संचालित कर रखा है। वह सेना और पुलिस भर्ती में जाने के लिए इच्छुक युवाओं को नि:शुल्क प्रशिक्षण दे रहे है। मांशी और पूजा ने यहीं पर प्रशिक्षण लेने के बाद सफलता हासिल की। दोनो का ट्रेनिंग सेंटर में जोरदार स्वागत किया गया। तैयारी कर रहे अन्य युवाओं को दोनो ने अपनी सफलता हासिल करने के लिए किए गए प्रयास को साझा किया। इसके बाद कस्बे में सभी युवाओं ने जुलूस निकालकर पाठा के लोगों के बीच संदेश दिया कि अब यहां के युवा बीहड़ का रास्ता नहीं पकड़ने वाले है। बल्कि अब वह लोग देश की सेवा करने की राह पर चल पड़े है।
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